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विमर्श

अर्जुन की छाल के Benefits! कैसे है असाध्य रोगों को ठीक करने में है रामबाण, जानें उपयोग करने का बेहतर तरीका ?

Janjwar Desk
16 Dec 2021 5:04 PM GMT
अर्जुन की छाल के Benefits! कैसे है असाध्य रोगों को ठीक करने में है रामबाण, जानें  उपयोग करने का बेहतर तरीका ?
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Benefits of arjuna bark powder: भारत में कई प्रकार के औषधीय वृक्ष पाए जाते हैं। उन्ही वृक्षों में से एक है अर्जुन का वृक्ष (Benefits of arjuna bark powder), अर्जुन का वृक्ष एक बड़ा सदाहरित पेड़ है।

Benefits of arjuna bark powder: भारत में कई प्रकार के औषधीय वृक्ष पाए जाते हैं। उन्ही वृक्षों में से एक है अर्जुन का वृक्ष (Benefits of arjuna bark powder), अर्जुन का वृक्ष एक बड़ा सदाहरित पेड़ है। अर्जुन का पेड़ (Benefits of arjuna bark powder) भारत में होने वाला एक औषधीय वृक्ष है। अर्जुन का पेड़ (Benefits of arjuna bark powder) 60 से 80 फीट ऊँचा होता है। पहाड़ी क्षेत्रों में नालों के किनारे तथा बिहार, मध्य प्रदेश में काफी पाया जाता है। इसको हिंदी में अर्जुन, अरजान, अंजनी, मट्टी, अंग्रेजी में अर्जुन ट्री और संस्कृत में वीरवृक्ष, वीर, धनंजय आदि नामों से भी जाना जाता है।

आयुर्वेद में तीन प्रकार के दोषों वात , पित्त और कफ का वर्णन किया है। इन तीनों दोषों के सम होने पर हमारा शरीर और मन स्वस्थ रहता है। वात को कम रखने के लिए सबसे उत्तम कोई औषधि है, तो वह है अर्जुन की छाल, नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी महीना वात के रोगों का होता हैं । वात के रोगों में घुटने का दर्द , कमर दर्द , जोड़े के दर्द असाध्य रोग हार्ट अटैक , मधुमेह होतें हैं ऐसे में अर्जुन की छाल (Benefits of arjuna bark powder) किसी रामबाण से कम नहीं हैं। इसकी छाल पेड़ से उतार लेने पर फिर उग आती है। एक वृक्ष में छाल तीन साल के चक्र में मिलती हैं।

छाल (Benefits of arjuna bark powder) बाहर से सफेद, अन्दर से चिकनी, मोटी तथा हल्के गुलाबी रंग की होती है। लगभग 4 मिलीमीटर मोटी यह छाल वर्ष में एक बार स्वयंमेव निकलकर नीचे गिर पड़ती है। स्वाद कसैला, तीखा होता है तथा गोदने पर वृक्ष से एक प्रकार का दूध निकलता है। आज हम बतायेंगें अर्जुन की छाल के फायदे और नुकशान के बारें में , अर्जुन की छाल की तासीर गर्म होती है या ठंडी और कैसे कर सकते हैं अर्जुन की छाल का बेहतर उपयोग।

अर्जुन की छाल (Benefits of arjuna bark powder) के फ़ायदे


अर्जुन की छाल हृदय के लिए रामबाण

अर्जुन की छाल से हृदय की मांसपेशियों को बल मिलता है, हृदय की पोषण-क्रिया अच्छी होती है। मांसपेशियों को बल मिलने से हृदय की धड़कन ठीक और सबल होती है। एक पेट की एसिडिटी होती है एक होती है रक्त की एसिडिटी या खून की अम्लता, रक्त की एसिडिटी बहुत ही भयानक होती है, जो आगे चलकर हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याओं को लेकर आती है इसमें अर्जुन की छाल का प्रयोग हृदय के लिए बहुत ही लाभप्रद है।

अर्जुन की छाल डायबिटीज को करे नियंत्रित

अर्जुन की छाल डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए फायदेमंद मानी जाती है। अर्जुन छाल में हेक्सोकिनेस, एल्डोलेस, फॉस्फोग्लुकोसोमेरेस और ग्लूकोनियोजेनिक जैसे कई एंजाइम्स पाए जाते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण अर्जुन की छाल में एंटीडायबिटिक गुण मौजूद होता है। जो डायबिटीज को नियंत्रित करने का काम करते हैं।

अर्जुन की छाल मोटापा कम करने के लिए

अर्जुन की छाल पेट की चर्बी दूर करने के लिए बहुत ज़्यादा असरदार मानी जाती है। अर्जुन की छाल में हाइपोलिपिडेमिक गुण मौजूद होता है जो वज़न घटाने में बहुत कारगर है।

अर्जुन की छाल ब्लड प्रेशर नियंत्रित

अर्जुन की छाल में मौजूद ट्राइटरपेनॉइड नाम का खास रसायन पाया जाता है जोकि ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में अहम भूमिका निभाता है।

अर्जुन की छाल और दालचीनी के फायदे

अर्जुन के सेवन से अलसर में भी लाभ होता हैं। इस काढ़े को और असरदार बनाने के लिए इसमें 10 ग्राम दालचीनी मिला मिला कर काढ़ा बनायें। अर्जुन की चाय भी बना कर पी जा सकती हैं। साधारण चाय की जगह अर्जुन की कुटी हुई छाल डालिये।

अर्जुन की छाल के नुकसान

अर्जुन की छाल उपयोग वैसे तो सर्दी खांसी से लेकर बड़े से बड़े असाध्य रोगों जैसे मधुमेह , हृदय रोगों में किया जाता है फिर भी कुछ सावधानियाँ आवश्यक हैं, अर्जुन की छाल के कुछ नुकसान भी हैं।

अर्जुन की छाल पेट में दर्द और सूजन होने पर

अर्जुन की छाल का पाऊडर , चाय या काढ़ा का पीने से यदि पेट में दर्द या शरीर में किसी भी हिस्से में सूजन की समस्या आती है, तो अर्जुन की छाल का उपयोग बंद कर देना चाहिए और नज़दीकी डॉक्टर से परामर्श लें।

उल्टी और मतली होने पर

यदि आपको उल्टी , घबराहट , बेचैनी होती है , पाचन और निष्कासन से सम्बंधी समस्या है, तो अर्जुन की छाल और पाउडर न प्रयोग करना की सलाह दी जाती है।

गर्भावस्था में

महिलाओं में गर्भावस्था में शरीर में कई प्रकार के परवर्तन होते हैं , शरीर में कई प्रकार की क्रिया होती है, इसलिए गर्भावस्था में भी छाल का प्रयोग नही करना चाहिए। गर्भावस्था में बिना डॉक्टर की सलाह के अर्जुन की छाल का सेवन न करें।

स्तनपान कराने वाली महिलाओं

स्तनपान कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन न करने की सलाह दी जाती है।

अर्जुन की छाल कैसे Use Kren

अर्जुन की छाल को हम चाय , काढ़े या पाउडर के रूप में उपयोग में ले सकते हैं। इसके लिए एक गिलास दूध या पानी के साथ , आधा चम्मच अर्जुन की छाल का पाउडर मिलकर अच्छे से उबालकर सुबह और रात को सोते समय उपयोग कर सकते हैं। सर्दियों में नवम्बर , दिसम्बर और जनवरी तक अर्जुन की छाल का उपयोग काफी कारगर होता है। वात को कम करने के लिए सबसे उत्तम कोई ओषधि है, तो वह है अर्जुन की छाल. वात मतलब वायु के रोग , सर्दियों में नवम्बर , दिसम्बर और जनवरी का महीना वात के रोगों का होता हैं वात के रोगों में घुटने का दर्द , कमर दर्द , जोड़े के दर्द और असाध्य रोग जैसे हार्ट अटैक , मधुमेह , आर्थराइटिस होते हैं अर्जुन की छाल किसी रामबाण से कम नहीं हैं।

विशेष दवा का सेवन

किसी विशेष दवा का सेवन करने वाले लोगों को बिना डॉक्टर की सलाह के इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

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