Cryptocurrency and CBDC: क्या क्रिप्टोकरेंसी पर RBI सही दिशा में कदम आगे बढ़ा रहा है?
क्रिप्टोकरेंसी और आरबीआई की भूमिका पर प्रो. अरूण कुमार का आलेख
Cryptos and CBDC : संसद (Parliament) में इस साल के बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitaraman) ने एक साफ मैसेज दे दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) को देश में अधिक तवज्जो नहीं दी जाएगी। यह भी तय कर दिया गया था कि इस पर भारी टैक्स लगाया जाएगा और नुकसान पर कैपिटल गैन (Capital Gain) की सुविधा भी नहीं मिलेगी। पर दुनिया में जब फिलहाल अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है ऐसे समय में क्रिप्टो के बढ़ते प्रयोग से देश को जूझना पड़ रहा है।
कथित तौर पर रूसी क्लेप्टोक्रेट्स (Russian Clyptocrates) प्रतिबंधों से बचने के लिए क्रिप्टो का उपयोग कर रहे हैं। यूक्रेन जो अपने ढीले नियमों के कारण क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए एक केंद्र रहा है अब रूस के साथ लड़ाई के दौरान उनका उपयोग धन प्राप्त करने के लिए कर रहा है।
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति (President of America) जो बाइडेन (Joe Biden) ने भी एक आधिकारिक आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं जिसमें सरकारी एजेंसियों को डिजिटल करेंसी (Digital Currency) और क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) के बढ़ते के महत्व के बीच उसकी उपयोगिता को टटोलने के लिए कहा गया है। भारतीय एजेंसियां (Indian Agencies) भी क्रिप्टोकरेंसी को लीगल करने के लिए तरीकों पर बीते साल अक्टूबर से ही काम कर रही है। क्या अमेरिका के क्रिप्टोकरेंसी पर अपना मत साफ करने से इस दिशा में फैसला लेने पर भारत सरकार को भी मदद मिलेगी यह बड़ा सवाल है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने भी भारत सरकार (Government of India) को क्रिप्टोकरेंसी की वैधता पर अपना रुख साफ करने को कहा है। आपको बता दें कि इस साल के बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टोकरेंसी से होनी वाली कैपिटल गेन और क्रिप्टो ट्रांजेंक्शन (Crypto Transaction) पर टैक्स लगाने का प्रावधान तो किया है पर उसे अवैध घोषित नहीं किया गया है।
आरबीआई गर्वनर फरवरी महीने में साफ-साफ तीन बातें कही थी
पहली बात जो उन्होंने कही थी वह यह थी कि निजी क्रिप्टोकरेंसी हमारी अर्थव्यवस्था और माइक्रोइकोनॉमिक स्टैबिलिटी (Microeconomic Stability) के लिए एक खतरा हैं। उन्होंने दूसरी बात कही थी कि क्रिप्टोकरेंसी में निवेशक (Invester) अपनी जिम्मेदारी पर निवेश कर रहे हैं और तीसरी बात जो उन्होंने कही थी वह यह थी कि इन क्रिप्टोकरेंसीज के पास कोई अंतर्निहित (संपत्ति) नहीं है यहां तक कि उनके पास एक ट्यूलिप भी नहीं है। इसके बाद, आरबीआई के एक डिप्टी गवर्नर ने तो यहां तक कह दिया था कि क्रिप्टोकरेंसी एक पोंजी योजना से भी बदतर है उन्होंने इसके साथ ही यह सुझाव भी दिया था कि उन्हें वै नहीं किया जाना चाहिए। पर इस सबके बाद हाल ही में आरबीआई (Reserve Bank of India) की ओर से यह घोषणा की गयी है वह सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (Central Bank Digital Currency, CBDC) जारी करेगा।
क्रिप्टोकरेंसी को अवैध घोषित करने में क्या कठिनाई है?
क्रिप्टो को क्रिप्टोकुरेंसी के रूप में बुलाने वाले गवर्नर ने अनजाने में ही सही पर उन्हें मुद्रा के रूप में स्वीकारा है। उनका यह बयान अर्थव्यवस्था की वित्तीय प्रणाली में क्रिप्टोकरेंसी के अपनी जगह बनाने और अधिक व्यापक रूप से प्रयोग होने के प्रति चिंता का संकेत देते हैं। यह खतरा क्रिप्टोकरेंसी को लेकर इसलिए है क्योंकि यह ब्लॉकचेन (Blockchain) तकनीक पर आधारित विकेंद्रीकृत चरित्र के साथ सामने आता है जिसे केंद्रीय बैंक (Central Bank) विनियमित नहीं कर सकते हैं यह उद्यमी और निजी संस्थाओं को सक्षम बनाता है कि वे क्रिप्टो को संपत्ति और धन के रूप में उपयोग कर सकें। आपको बता दें कि सातोशी नाकामोतो (Satoshi Nakamoto) ने 2009 में बिटकॉइन के नाम की क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत इसी तकनीक के आधार पर की थी। क्रिप्टो जिसका इस्तेमाल इंटरनेट (Internet) के माध्यम से होता है, उसपर बैन लगाना तभी संभव है जब दुनिया के सभी देश एक साथ आएं और इसपर फैसला ले। इसके बाद भी यह संभव है कि कुछ टैक्स हैवेन देश वैश्विक समझौतों को धता बता हुए क्रिप्टोकरेंसी को चलाते रहने की अनुमति दे दें। यह जिन्न अब बोतल से बाहर आ चुका है। हाल ही में क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्यांकन $2 ट्रिलियन से ऊपर पहुंच गया था जो विश्वस्तर पर रखे गए सोने के मूल्य से भी अधिक था। निसंदेह इसका असर दुनिया की वित्तीय प्रणालियों और देशों की संप्रभुता पर भी पड़ता है। इसलिए आरबीआई के लिए यह जरूरी है कि वह क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रक्षात्मक होने की बजाय जल्द से जल्द यह सोचे कि इससे इससे कैसे निपटा जाए?
मुद्रा के रूप में क्रिप्टोकरेंसी
क्या सीबीडीसी उभरती समस्या से निपटने में मदद करेगा? क्योंकि यह केवल एक फिएट मुद्रा के रूप में काम करेगा यह क्रिप्टो नहीं होगा। इसके आने के बाद भी क्रिप्टो मुद्रा के रूप में कार्य करता रहेगा। इस अंतर को समझे जाने की जरूरत है। मुद्रा एक टोकन है जिसका उपयोग कर बाजार लेनदेन में किया जाता है। पुराने जमाने में सिर्फ कागजी पैसे ही नहीं बल्कि गायें और तांबे के सिक्कों को भी टोकन के रूप में इस्तेमाल किया जाता था क्योंकि वे अपने आप में उपयोगी थे। लेकिन कागज की मुद्रा तब तक बेकार है जब तक सरकार उसे फिएट करेंसी घोषित नहीं करती। सर्वसहमति से उस पर छपे मूल्य के आधार पर उसे स्वीकार करता है। इसलिए, कम उपयोग वाली कागजी मुद्रा का मूल्य राज्य के समर्थन से तय होता ना कि उसके अंतर्निहित वस्तु से। वहीं क्रिप्टो एक कंप्यूटर प्रोग्राम में संख्याओं की एक स्ट्रिंग हैं और उपयोग के मामले में यह और भी बेकार हैं ऐसे में बिना राज्य के समर्थन के इसे मुद्रा या टोकन के रूप में कैसे स्वीकार किया जा सकता है? अमीरों के लिए उनकी स्वीकार्यता उन्हें पैसे के रूप में कार्य करने में सक्षम बनाती है। ठीक उसी तरह जैसे कम उपयोग मूल्य वाली पेंटिंग्स का उच्च मूल्यांकन किया जाता है क्योंकि अमीर उसके उच्च मूल्यांकन को समुहिकता के साथ स्वीकार करते हैं।
दुनिया में सबसे प्रचलित क्रिप्टो बिटकॉइन (Bitcoin) को महंगा होने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसकी कुल संख्या है 21 मिलियन तक इसके संचालन और उत्पादन के लिए उत्तरोत्तर अधिक से अधिक कंप्यूटर शक्ति और ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इसे सोने के खनन की संज्ञा दी जाती है। जैसे-जैसे बिटकॉइन के उत्पादन की लागत बढ़ती है इसकी कीमत भी बढ़ती जाती है। बिटकॉइन ने सट्टा निवेश को जन्म दिया है जो कीमत को अधिक बढ़ाता है और नए लोगों को इससे जुड़ने के लिए आकर्षित करता है। यही कारण है कि साल 2009 के बाद से इसकी कीमतों में बेतहाशा उतार-चढ़ाव के बावजूद इसने हाई रिटर्न दिया है और सट्टा बाजार के अनुमानों को सही साबित किया है।
ट्यूलिप मेनिया से कैसे अलग है क्रिप्टो?
यह कथन कि क्रिप्टो की कोई अंतर्निहित संपत्ति नहीं है, ट्यूलिप भी नहीं है, उस समय को संदर्भित करता है जब ट्यूलिप गिरने से पहले कीमतों में नाटकीय रूप से वृद्धि दर्ज की गयी। लेकिन, ट्यूलिप (Tulip) को टोकन के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता था, जबकि क्रिप्टो का उपयोग इंटरनेट के माध्यम से किया जा सकता है। इसके अलावा, इसकी कीमत के रूप में ट्यूलिप की आपूर्ति तेजी से बढ़ सकती है लेकिन बिटकॉइन (Bitcoin) की संख्या सीमित है। तो ऐसे क्रिप्टो मूल्य प्राप्त करते हैं और एक संपत्ति बन जाते हैं जिसे नेट के माध्यम से लेन-देन किया जा सकता है। यह इसे सक्षम बनाता है मुद्रा के रूप में कार्य करने के लिए। पर अंतर्निहित मूल्य नहीं होने के कारण बिटकॉइन का उपयोग मुद्रा के रूप में करने में मुश्किलें भी हैं। लेकिन इसके लिए अन्य सरल क्रिप्टो उपलब्ध हैं।
क्रिप्टो में अंतर्निहित कठिनाइयों की विभिन्न डिग्री उसे दोबारा खर्च करने मे समस्या खड़ी करती है। फिएट मुद्रा चाहे भौतिक रूप में हो या इलेक्ट्रॉनिक रूप में वह संपत्ति होती है जो एक बार खर्च किया जा सकता है उसे दोबारा खर्च नहीं किया जा सकता जब तक कि इसका अवैध ढंग से उपयोग ना किया जाए क्योंकि यह खर्च करने वाले के पास उपलब्ध नहीं है। पर एक कंप्यूटर पर उपलब्ध सॉफ्टवेयर का बार-बार उपयोग किया जा सकता है। ब्लॉकचैन और एन्क्रिप्शन ने 'काम का सबूत' और 'हिस्सेदारी का सबूत' जैसे प्रोटोकॉल तैयार करके इस समस्या का समाधान किया है। यह क्रिप्टो को लेनदेन के लिए सक्षम बनाता है। यहां आपको बता दें कि पूर्व के प्रोटोकॉल में कठिनाईयां हैं पर वर्तमान प्रोटोकॉल हालांकि सरल है लेकिन इसमें हैकिंग और धोखाधड़ी की संभावना भी है। आज, हजारों अलग- अलग क्रिप्टो मौजूद हैं जैसे बिटकॉइन, ऑल्टकॉइन और स्टेबल कॉइन। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने गड़बड़ियां की है और उनके चक्कर में लोगों ने अपना पैसा खोया है।
सीबीडीसी क्रिप्टो से कैसे अलग है?
ब्लॉकचेन विकेंद्रीकरण (Decentratlisation) को सक्षम बनाता है। यानी क्रिप्टो प्लेटफॉर्म पर सभी के अपने-अपने कायदे कानून हैं। केन्द्रीय बैंक ऐसा नहीं चाहते हैं। वे एक ऐसी डिजिटल मुद्रा चाहते हैं जो उनकी ओर से जारी की गयी हो और नियत्रित की जाए। लेकिन ऊपर बताए गए प्रोटोकॉल (Protocol) सैद्धांतिक रूप से सभी को को अपनी मुद्रा बनाने में सक्षम बनाते हैं। इसलिए यह मुश्किल लगता है कि सीबीडीसी केंद्रीय नियंत्रण में होकर भी 'दोहरे खर्च' की समस्या का समाधान करे और एक क्रिप्टोकरेंसी के रूप में इस्तेमाल हो।
सौ देशों में सीबीडीसी पर खोज चल रही है
अगर सरकार एक केन्द्रीयकृत सीबीडीसी लाती है तो उसके हर लेनदेन को आरबीआई को वैलिडेट करना होगा। जो फिलहाल नहीं हो रहा है। वर्तमान में अगर आरबीआई ने कोई करेंसी नोट जारी कर दिया तो वह उसके हर एक लेनदेन को ट्रैक नहीं करता है। ऐसे में हर लेनेदेन को ट्रैक करने से यह पूरी प्रक्रिया जटिल हो जाएगी और इसका इस्तेमाल तब तक कठिन होगा जब तक इसके लिए एक नया और सुरक्षित प्रोटोकॉल ना तैयार कर लिया जाए। आईएमएफ (IMF) एमडी (MD) के अनुसार लगभग 100 देश किसी न किसी स्तर पर CBDC की खोज कर रहे हैं। कुछ शोध कर रहे हैं, कुछ परीक्षण और कुछ पहले से ही जनता के बीच सीबीडीसी वितरित कर रहे हैं। और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि आईएमएफ (IMF) भी इसमें गहराई से शामिल है।
केंद्रीय और वाणिज्यिक बैंकों के कामकाज पर भी पड़ेगा असर
फिलहाल जो स्थिति है उस आधार पर हम यह कह सकते हैं कि सीबीडीसी जारी करना न केवल जटिल होगा बल्कि वर्तमान में यह क्रिप्टो का विकल्प नहीं हो सकता है जिसका अंततः पैसे के रूप में इस्तेमाल किया जा सके। इसका असर केंद्रीय और वाणिज्यिक बैंकों के कामकाज पर भी पड़ेगा। आज की तारीख में हम यह कह सकते हैं कि क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने में अब बहुत देर हो चुकी है, क्योंकि इसके लिए जिस वैश्विक समन्वय की जरूरत है वह इस समय तो असंभव ही लगता है। इसके अलावे जो अमीर लोग क्रिप्टोकरेंसी से लाभ ले रहे हैं वे भी नहीं चाहेंगे कि इसपर बैन लगे। क्या अमेरिका इसके समाधान कार्य कर रहा है? इस बारे में आईएमएफ एमडी का कहना है कि मुद्रा का इतिहास एक नए दौर में प्रवेश कर रहा हैं। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी पर आरबीआई को इस समय सावधानीपूर्वक पर ध्यान देने की जरूरत है न कि इस मसले पर रक्षात्मक होने की।
लेखक वरिष्ठ अर्थशास्त्री और `Indian Economy's Greatest Crisis: Impact of the Coronavirus and the Road Ahead के लेखक हैं।
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