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विमर्श

Germany approves new abortion law: जर्मनी में महिलाओं के विरोध के बाद हिटलर काल के गर्भपात कानून में राहत

Janjwar Desk
27 Jun 2022 8:42 AM GMT
Germany approves new abortion law: जर्मनी में महिलाओं के विरोध के बाद हिटलर काल के गर्भपात कानून में राहत
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Germany approves new abortion law: 24 जून 2022 को गर्भपात कानूनों में बदलाव के बाद अमेरिका और जर्मनी में बड़ी संख्या में महिलायें सडकों पर उतरीं, पर कारण ठीक विपरीत थे|

महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट

Germany approves new abortion law: 24 जून 2022 को गर्भपात कानूनों में बदलाव के बाद अमेरिका और जर्मनी में बड़ी संख्या में महिलायें सडकों पर उतरीं, पर कारण ठीक विपरीत थे| इस दिन अमेरिका में महिलाएं सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गर्भपात को असवैधानिक करार (Abortions made unconstitutional) दिए जाने के फैसले के विरुद्ध प्रदर्शन कर रही थीं| महिला समानता का दुनिया को पाठ पढ़ाने वाला अमेरिका वर्ष 1994 के बाद से पोलैंड, निकारागुआ और एल साल्वाडोर (Poland, Nicaragua & El Salvador) के बाद ऐसा चौथा देश बन गया जहां गर्भपात असंवैधानिक करार दिया गया है| अमेरिका के एक अर्थशास्त्री का आकलन है कि अमेरिका में अब प्रतिवर्ष कम से कम 60,000 अधिक जन्म होंगें|

दूसरी तरफ इसी दिन जर्मनी में महिलायें खुशी जाहिर करने के लिए सडकों पर थीं क्योंकि वहां की संसद ने आपराधिक कानूनों के तहत गर्भपात से जुड़े एक क़ानून को हटा लिया है| जर्मन क्रिमिनल लॉ के पैराग्राफ 219ए (Paragraph 219A of German Criminal Law) के तहत कोई भी डॉक्टर किसी भी तरीके से गर्भपात से सम्बंधित सूचना का प्रचार नहीं कर सकता था, और यदि कोई ऐसा करते हुए पकड़ा जाता है तब उसे 2 वर्ष की कैद या जुर्माना किया जा सकता था| जर्मन संसद ने इस पैराग्राफ को जर्मन क्रिमिनल लॉ से हटा दिया है| संसद में इसे हटाने के पक्ष में सोशल डेमोक्रेट्स, लिबरल्स, ग्रीन पार्टी और वामपंथियों ने मतदान किया, जबकि दक्षिणपंथियों ने इसका विरोध किया था|

जर्मन क्रिमिनल लॉ में इस पैराग्राफ का समावेश मई 1933 में हिटलर द्वारा पूरी तरह सत्ता नियंत्रण के तुरंत बाद किया गया था| इसके बारे में पिछले दशक तक किसी को पता भी नहीं था, पर इसके बाद जर्मनी में गर्भपात के विरुद्ध आवाज उठाते पुरातनपंथी दक्षिणपंथी संगठनों ने खोजा और फिर इसके तहत अनेक शिकायतें दर्ज कराईं और कुछ डॉक्टर पर जुर्माना भी लगाया गया| इस पैराग्राफ के हटा देने के बाद जर्मनी की पारिवारिक मामलों की मंत्री लिसा पांस (Lisa Pans) ने कहा है कि इससे महिलाओं के अधिकारों में बढ़ोत्तरी होगी| न्याय मंत्री मार्को बुस्च्मन्न (Marco Buschmann) ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि अब हम उस बेवकूफी वाली स्थिति से बाहर आ गए हैं जिसके तहत कोई भी नागरिक या गर्भपात के विरोधी सोशल मीडिया पर गर्भपात पर अनाप-शनाप लिख सकते थे, अफवाह फैला सकते थे पर प्रशिक्षित चिकित्सक इसके बारे में उचित परामर्श भी नहीं दे सकते थे|

जर्मनी में गर्भ में गंभीर परेशानियां, बलात्कार की शिकार पीडिता या 12 सप्ताह से कम समय के गर्भ को छोड़कर गर्भपात तकनीकी तौर पर गैर-कानूनी है, पर इन कानूनों का उपयोग शायद ही कभी किया जाता है| पिछले कुछ वर्षों में जर्मनी में गर्भपात केन्द्रों की संख्या में भी तेजी से कमी आई है – वर्ष 2003 में वहां इस तरह के 2050 केंद्र थे, पर वर्ष 2020 तक इनकी संख्या 1309 ही रह गयी|

24 जून को अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय ने गर्भपात के विरुद्ध फैसला देते हुए सबसे बड़ी दलील यही दी है कि इसका उल्लेख संविधान में नहीं है, इसलिए यह असंवैधानिक है| जर्मनी में गर्भपात से जुड़ी एक कानूनी अड़चन तो हटा दी गयी, संविधान में इसे शामिल करने की कोई पहल नहीं की जा रही है| पर, फ्रांस ने इस दिशा में पहल शुरू कर दी है| 25 जून को फ्रांस के नेशनल असेंबली के दो सदस्यों ने घोषणा की है कि जल्दी ही गर्भपात को संविधान में शामिल करने का प्रस्ताव लाया जाएगा| ये दोनों सदस्य राष्ट्रपति इम्मानुएल मैक्रॉन की द रिपब्लिक ऑन द मूव पार्टी (The Republic on the Move Party of Emmanuel Macron) के हैं| राष्ट्रपति मैक्रॉन ने इस घोषणा का स्वागत किया है और कहा है कि भविष्य में भी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार मिले इसके लिए यह आवश्यक है| फ्रांस में गर्भपात को मान्यता देने वाला क़ानून वर्ष 1975 से चला आ रहा है, पर मैक्रॉन ने कहा है कि आगे कोई भी आकर क़ानून को पलट सकते है, पर संविधान में इसे शामिल करने के बाद भविष्य में भी महिलायें सुरक्षित रहेंगीं|

अमेरिका में पिछले लगभग 50 वर्षों से गर्भपात को कानूनी मान्यता देने वाले क़ानून का सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों द्वारा अचानक पलट देना, न्याय व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है| इससे इतना तो स्पष्ट है कि न्यायाधीश न्याय करने नहीं आते, बल्कि अपने आकाओं की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को बढाने आते हैं, और कभी-कभी इस क्रम में अपने आकाओं का नुकसान भी कर जाते हैं| डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) पिछले राष्ट्रपति चुनावों के पहले तक गर्भपात के मुखर विरोधी थी| सर्वोच्च न्यायालय में गर्भपात को असंवैधानिक करार देने वाली खंडपीठ में 5 पुरातनपंथी घुर दक्षिणपंथी न्यायाधीशों ने एक मत से इसके पक्ष में निर्णय सुनाया जबकि तीन न्यायाधीशों ने इसका विरोध किया था| जिन पांच न्यायाधीशों ने गर्भपात को असंवैधानिक बताया, उनमें से तीन की नियुक्ति डोनाल्ड ट्रम्प से अपने राष्ट्रपति काल में की थी|

सतही तौर पर तो यही लगता है कि वर्ष 2024 में फिर से राष्ट्रपति चुनावों में उम्मेदवार का सपना संजोये डोनाल्ड ट्रम्प इस फैसले से बहुत खुश होंगें| पर, ऐसा नहीं है| पिछले चुनावों, जिसमें वे हार गए थे, के दौरान देश भर की महिलाओं ने उनका विरोध किया था, और लगभग हरेक शहर में उनके विरुद्ध महिलाओं ने प्रदर्शन किया था| ऐसे में, ट्रम्प इस फैसले से खुश नहीं हैं क्योंकि उन्हें पता है कि अगले चुनावों में यदि वे खड़े हुए तो निश्चित तौर पर अधिकतर महिलायें उनके प्रबल विरोध में सामने आयेंगीं|

गर्भपात को असंवैधानिक करार देने वाले न्यायाधीशों की मानसिकता दर्शाने के लिए एक न्यायाधीश का फैसला काफी है – एक न्यायाधीश ने लिखा है कि गर्भ-धारण करने के बाद इसके बारे में कोई भी फैसला लेने का अधिकार महिलाओं को नहीं है| पर, दूसरी तरफ हाल के सर्वेक्षण में स्पष्ट होता है कि 85 प्रतिशत से अधिक अमेरिकी नागरिक गर्भपात को कानूनी मान्यता देने का समर्थन करते हैं| सेंटर फॉर रिप्रोडक्टिव राइट्स के अनुसार अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का असर अमेरिका की कम से कम 41 प्रतिशत महिलाओं पर पड़ेगा, और सबसे अधिक असर अश्वेतों, गरीबों और कम उम्र की महिलाओं पर पड़ेगा|

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