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विमर्श

Hindu nationalism: हिन्दू राष्ट्र का मतलब है 20 प्रतिशत सवर्णों-ताकतवरों की सेवा-गुलामी में 80 फीसदी को झोंक देना?

Janjwar Desk
21 Feb 2022 11:23 AM IST
Hindu nationalism: हिन्दू राष्ट्र का मतलब है 20 प्रतिशत सवर्णों-ताकतवरों की सेवा-गुलामी में 80 फीसदी को झोंक देना?
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Hindu nationalism: हिन्दू राष्ट्र का मतलब है 20 प्रतिशत सवर्णों-ताकतवरों की सेवा-गुलामी में 80 फीसदी को झोंक देना?

Hindu nationalism: हिन्दू राष्ट्र का मतलब भारत में रहने वाले हिन्दुओं का राष्ट्र नहीं है. हिन्दू राष्ट्र का मतलब साफ़ है मनु के वर्णवाद पर चलने वाला राष्ट्र जहाँ धर्म के नाम पर वर्ण का बोलबाला होगा. वर्ण व्यवस्था का सीधा अर्थ है ब्राह्मणवाद का राज जिसकी रक्षा करेंगे क्षत्रिय,व्यापार संभालेंगे वैश्य और सेवा करेंगे शुद्र और दासियों जैसी हालत में रहेंगी महिलाएं.

मंजुल भारद्वाज का विश्लेषण

Hindu nationalism: हिन्दू राष्ट्र का मतलब भारत में रहने वाले हिन्दुओं का राष्ट्र नहीं है. हिन्दू राष्ट्र का मतलब साफ़ है मनु के वर्णवाद पर चलने वाला राष्ट्र जहाँ धर्म के नाम पर वर्ण का बोलबाला होगा. वर्ण व्यवस्था का सीधा अर्थ है ब्राह्मणवाद का राज जिसकी रक्षा करेंगे क्षत्रिय,व्यापार संभालेंगे वैश्य और सेवा करेंगे शुद्र और दासियों जैसी हालत में रहेंगी महिलाएं.

स्वतंत्र भारत में संविधान से मिले मौलिक अधिकारों के बल पर आज जो शुद्र वर्ण की जातियां बिना सोचे समझे हिन्दू राष्ट्र का अँधा समर्थन कर रहीं हैं उन्हें याद रखना ज़रुरी है की जाति आधारित समाज या व्यवस्था में उनका स्थान क्या है? आज उन्हें कोई पूछता है तो सिर्फ़ संविधान की वजह से क्योंकि संविधान ने उन्हें समानता दी और वोट का अधिकार दिया जिसकी वजह से विकारी संघ उन्हें पूछता है. ढ़ोंगी प्रधानमन्त्री चुनाव के समय पाँव धोता है. नेता वोट के लिए उनके घर खाना खाते हैं और तरह तरह के पाखंड करते हैं.

भारत एक विचार की संकल्पना को समझना अब अनिवार्य हो गया है. राम को राजनीति में संघ ने क्यों उतारा? राम को राष्ट्रीय अस्मिता का मुद्दा कैसे बनाया गया? किसके राम? किसका मंदिर? इसके लिए किसी को विद्वान होने की ज़रूरत नहीं है बस अपने जीवन को जीते हुए अनुभवों पर गौर करें. अपनी कॉमन सेंस का उपयोग करें. संविधान के होते हुए आज भी शूद्रों का मंदिरों में प्रवेश वर्जित है. संविधान सम्मत समान नागरिक अधिकार होते हुए भी मंदिर प्रवेश वर्जित है तो सोचिये वर्णवाद वाली हिन्दू राष्ट्र की सत्ता में आपका क्या हाल होगा?

षड्यंत्र बहुत गहरा है देखिये जो व्यक्ति आज प्रधानमन्त्री बना है विकास का झांसा देकर उसका कैसे ब्रेनवाश किया गया है. वर्णवाद वाली सत्ता के हिसाब से उनकी जात क्या है? क्या वर्णवाद वाली सत्ता में उन्हें प्रधानमन्त्री बनने का अवसर मिलता? बिलकुल नहीं. प्रधानमन्त्री छोड़िये कोई मनुष्य भी नहीं मानता. दरबार में घुसने नहीं देता. लेकिन विकारी संघ ने उसके दिमाग़ में ऐसा विष भर दिया है की वो उसी संविधान को ध्वस्त कर रहा है जिसने उसे प्रधानमन्त्री बनाया. उन्हीं लोगों को दिन रात कोसता है जिन्होंने संविधान सम्मत देश बनाया. जिन्होंने देश को आज़ाद कराया. जिन्होंने वर्णवाद से मुक्ति दिलाने के लिए संविधान सम्मत लोकतंत्र बनाया.

चकरा गए ना मन्दिर में प्रवेश वर्जित होने के बावजूद कैसे राम मन्दिर के मुद्दे पर ओ बी सी,दलितों को लामबद्ध कर,संविधान के ख़िलाफ़ खड़ा कर, सत्ता पर काबिज़ हो उन्हीं के द्वारा संविधान को ध्वस्त कर मनु के वर्णवाद वाला हिन्दू राष्ट्र बनाना. यह है ब्राह्मणवाद का षड्यंत्र. यह है संविधान सम्मत भारत को तोड़ने के लिए विकारी संघ का हिन्दू राष्ट्र बनाने का षड्यंत्र. इस षड्यंत्र की सफ़लता का आधार है भावनाएं. स्वतंत्रता के बाद से (मोदी सरकार को छोड़कर) अभी तक की सरकारों ने सभी भारतीयों के लिए थोडा बहुत किया. कहीं ज्यादा कहीं कम. अब जिन्हें कम मिला उनके मन में असंतोष पनपा. उस असंतोष को विकारी संघ ने नफ़रत में बदल कर ज़हर बना दिया. इस नफ़रत ने लोगों की मति भ्रमित कर दी और मंगलयान भेजने वाले देश में गणपति दूध पी गया !

आज के हालात देखिये रोज़गार छीन कर 80 करोड़ लोगों को दाने दाने के लिए मोहताज़ कर दिया. कौन हैं यह 80 करोड़ लोग? क्या ठाकुर हैं? वैश्य हैं? ब्राह्मण हैं? यह वही लोग हैं जिन्होंने राम मंदिर बनाने के लिए मोदी को वोट दिया था. मन्दिर बन रहा है पर मोदी ने वोट देने वालों को भीख का कटोरा क्यों थमा दिया? देश की पूरी सम्पति को अम्बानी,अदानी को क्यों बेच दिया? विकारी संघ के चाहने वाले लोग बैंकों के 10 ट्रिलियन रूपये लेकर विदेश भाग गए. मोदी को वोट देने वाले लोगों को क्या मिला 'ना खाऊंगा ना खाने दूंगा का जुमला'.

अपने मतदाताओं को मोदी ने भाषण में झूठ पिलाया. बदन से कपड़े,पेट से भोजन, हाथों से काम छिनकर दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया. और खुद दिन में 10 पोषाक, सबसे महंगे हवाई जहाज की यात्रा, खूब खाना और अपने दोस्तों को खिलाना. दिन भर जनता को भरमाने के लिए गिरगिट की तरह रंग बदलने के करतब करना और 18-18 घंटे काम करने का जुमला चलाना !

हिन्दू राष्ट्र का मतलब है 4.3 प्रतिशत ब्राह्मणों का राज जिसकी रक्षा करेंगे 20 प्रतिशत क्षत्रिय और जिसकी सेवा करेंगे 75 ओ बी सी,दलित,आदिवासी और महिला. जो महिलाएं आज मोदी की तस्वीर वाली साड़ी पहन रही हैं वो याद रखें विकारी संघ महिला को केवल बच्चे पैदा करने की मशीन और पति की दासी समझता है.देवदासी प्रथा,सती प्रथा को याद रखिये. माता को पूजना, जय बोलना एक पाखंड है अगर सच में माँ को पूजा जाता तो आज माँ लाचार और बेसहारा ना होती. बलात्कारित,प्रताड़ित शोषित अबला नहीं होती! कोई धर्म महिला को समान अधिकार नहीं देता. सिर्फ़ और सिर्फ़ संविधान समान अधिकार देता है.

समझ लीजिये हिन्दू राष्ट्र वर्णवाद का कूड़ा है. जो प्रकृति विरोधी है. प्रकृति सबको समान समझती है. पर वर्णवाद ब्राह्मणों को श्रेष्ठ मानता है. वर्चस्ववाद की बीमारी से ग्रस्त दमन,अन्याय, असमानता,हिंसा,शोषण का पैरोकार है हिन्दू राष्ट्र. विविधता और मानवता का शत्रु है हिन्दू राष्ट्र!

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