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विमर्श

सिर्फ देश के नाकाम नेतृत्व के कारण कोरोना रोगियों के मामले में भारत हुआ नंबर वन

Janjwar Desk
4 Aug 2020 5:26 AM GMT
सिर्फ देश के नाकाम नेतृत्व के कारण कोरोना रोगियों के मामले में भारत हुआ नंबर वन
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आखिर, दुनिया के तमाम महामारी विशेषज्ञों की भारत को लेकर की गई सबसे बदतरीन आशंकाएं और भविष्यवाणी अंततः सही साबित हुईं!

लाल बहादुर सिंह का विश्लेषण

भारत नए कोरोना (Covid-19 in India) मामलों के लिहाज़ से अमेरिका को भी पीछे छोड़कर नंबर 1 पर पहुंच गया है। कुल संख्या तो 18 लाख के पार पहुंच चुकी है। देश के गृहमंत्री, 2 राज्यों के मुख्यमंत्री, एक राज्यपाल, अनेक मंत्री, नौकरशाह इस समय पॉज़िटिव हैं। उत्तर प्रदेश में एक काबीना मंत्री की, बिहार के सीपीआइ राज्य सचिव, एक एमएलसी की दुःखद मौत हो चुकी है।

जहां दुनिया के सारे देशों में महामारी उतार पर है, वहीं भारत में इसका कोई आदि अंत ही नहीं दिख रहा, पीक (Corona Virus Peak in India) का कुछ पता नहीं!

1 अरब 30 करोड़ भारतवासी आज असहाय, मौत और खौफ के साये में जीने को मजबूर हैं।

आखिर, यह भयावह स्थिति हमारे देश में ही क्यों आयी, इसके लिए जिम्मेदार कौन है?

क्या जनता???

पर, प्रधानमंत्री ने और उनके गृहमंत्री ने स्वयं देश की जनता की बारंबार तारीफ की कि अकथनीय यातनाएं सहकर भी जनता ने वह सब किया, जो प्रधानमंत्री ने कहा, ताली-थाली बजाने से लेकर दुनिया के सबसे कठोर और लंबे लॉकडाउन का पालन करने तक!

हर देशभक्त, हर देशवासी यह चाहता था कि मोदी जी यह लड़ाई जीतें!

क्योंकि राजनेता मोदी हारते हैं तो भले कोई दल हारता है, कोई जीतता है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी (Modi's failure on corona virus) जब हारते हैं तो यह देश हारता है, इस देश की 130 करोड़ जनता हारती है!

पर, अफसोस यह हो न सका।

आज जब प्रधानमंत्री (Pm Modi Statement on Corona Virus) यह कहते हैं कि, 'सही समय पर लिए गए सही फैसलों (right decisions taken at right time ) के कारण भारत दूसरे देशों की तुलना में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बहुत अच्छी स्थिति में है।...हमने कोरोना के खिलाफ लड़ाई को जनांदोलन में बदल दिया।...हमने महामारी से लड़ने के लिए अपने हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विस्तार किया है'। ...तो उनके ये शब्द खोखले और कोरी लफ्फाजी लगते हैं!

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से जिन 38 हजार (Corona Virus Death in India) से ऊपर देशवासियों की जान चली गयी (इस महामारी को फैलने से रोक पाने में विफलता के कारण) उन भाई-बहनों के लिए, उनके परिजनों के लिए ये शब्द कोई सांत्वना नहीं, वरन जले पर नमक छिड़कने जैसे हैं!

दूसरे देशों से बार-बार तुलना का संदर्भ अगर हमारी विराट जनसंख्या है तो चीन की जनसंख्या तो हमसे भी ज्यादा है, वहां आबादी के अनुपात में क्यों मामले और मौतें हमारी तुलना में बेहद कम रहीं।

उसने कैसे 1 लाख से कम मामलों और 5 हजार से कम मौतों में ही महामारी पर प्रभावी नियंत्रण पा लिया और वुहान से बाहर फैलने नहीं दिया।

अगर तुलना का संदर्भ हमारी आर्थिक कमजोरी के कारण स्वास्थ्य व्यवस्था का पिछड़ापन है, तो आज भी वह हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता क्यों नहीं बन सकी? सरकारों को गिराना, बनाना, जनता के जीवन की कीमत पर येनकेन प्रकारेण चुनाव कराना आदि प्राथमिक क्यों बना हुआ है?

मंदिर निर्माण (Ram Madir Ayodhya) का धार्मिक कार्य धार्मिक लोग करेंगे, वह हमारे राजनैतिक नेतृत्व, प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता का कार्यभार क्यों बना हुआ है?

महामारी जब देश के अंदर विदेशों से तेजी से प्रवेश कर रही थी तब समय रहते हवाई अड्डों पर उस पर रोक के प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए गए? प्राथमिकता नमस्ते ट्रम्प का आयोजन क्यों बना हुआ था? वह भी उस अमेरिका से जहां बीमारी तेजी से फैल रही थी, सैकड़ों का काफिला यहां बुलाकर और लाखों की भीड़ जुटाकर।

देश में पहला मामला आने के बाद लगभग दो महीने इसे फैलने से रोकने के लिए, लॉकडाउन के लिए इंतज़ार क्यों किया गया?

लॉकडाउन (Lockdown) जब किया गया तो बिना किसी सुचिंतित योजना के, इस तरह कि न सिर्फ करोड़ों प्रवासी अकथनीय यातना के शिकार हुए, वरन बाद में जब भोजन और आजीविका के अभाव में उन्हें घरों को लौटने के लिए मजबूर किया गया, तो भगदड़ मच गई, लॉकडाउन की धज्जियां उड़ती रहीं और वह गाँवों-कस्बों तक फैल गया जहां स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ध्वस्त हैं।

वहां, देश के उन सर्वाधिक पिछड़े इलाकों में वह दिन दूना रात चौगुना रफ्तार से बढ़ रहा है और कहर बरपा कर रहा है, जहां किसी अभागे यूपी, बिहार, ओडिशा, बंगाल, असम, आंध्रा वाले को मेदांता, नानावती, अपोलो, एम्स में इलाज का विशेषाधिकार मिलने वाला नहीं है!

मोदी जी क्या 6 महीने का समय इतना कम होता है?

यदि आपके नेतृत्व में पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को सर्वोच्च और एकमेव प्राथमिकता बनाया गया होता और सारे सरकारी संसाधन, पीएम केयर फंड, अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिली मदद सबको इसके लिए झोंक दिया गया होता तो आज हम इतने खौफ़नाक मंजर से रुबरू न होते, इतने असहाय न होते !

मगर, वह हो न सका क्योंकि आपकी प्रथमिकताएँ कल भी अलग थीं, आज भी अलग हैं!

मोदी जी,

इन विराट विफलताओं, इन Acts of ommission and commission के लिए इतिहास कभी आपको माफ नहीं करेगा, इस देश की अभागी जनता कभी इनको भूल नहीं पाएगी।


(इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह पिछले 30 वर्षों से राजनीति में सक्रिय हैं।)

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