50 लाख युवाओं को अप्रेंटिसशिप देने का था लक्ष्य लेकिन मिला सिर्फ 10 लाख को, तय स्टाइपेंड भी नहीं दे पा रही सरकार
50 लाख युवाओं को अप्रेंटिसशिप देने का था लक्ष्य, 10 लाख को ही मिला, वर्ष-2019 से पहले तय स्टाइपेंड भी नहीं दे पा रही सरकार
प्रीति भरद्वाज की रिपोर्ट
National Apprenticeship Training Scheme: देश भर की इंडस्ट्री में ज्यादा से ज्यादा कुशल और तकनीकी लोग काम कर सकें इसके लिए चल रही अप्रेंटिसशिप योजना लक्ष्य से 80 फीसदी पीछे रह गई है। पांच वर्षों में 50 लाख युवाओं को अप्रेंटिसशिप देने की योजना थी जो महज 10 लाख 34 हजार तक सिमट कर रह गई। यही नहीं जिनको लाभ मिल भी रहा है उन्हें तय राशि नहीं दी जा रही है। लेकिन अब सरकार ने मन बनाया है कि अप्रेंटिस को मिलने वाली स्टायफंड को दोगुना कर दिया जाए।
जानकारी के मुताबिक सरकार ने पांच वर्षों में 50 लाख युवाओं को अपरेंटिसशिप देने का लक्ष्य रखा था लेकिन इसमें कई तरह की अड़चन आई िजसकी वजह से योजना सफल नहीं हो पाई। सरकार साल दर साल योजना पर बजट कम करती चली गई और दूसरी ओर बड़ी इंडस्ट्री का कहना है कि हमें सरकार अप्रेंटिसशिप के हिस्से का 50 फीसदी हिस्सा दे या नहीं दे लेकिन उनकी गुणवत्ता जब तक अच्छी नहीं होगी तब तक उन्हें ट्रेनिंग देना या काम लेना बहुत फायदेमंद नहीं है।
यदि गुणवत्ता अच्छी होगी तो बड़ी इंडस्ट्री अप्रेंटिसशिप की राशि सरकार से 50 फीसदी लिये बिना भी अप्रेंटिसशिप देने का तैयार है। हालांकि स्मॉल स्केल इंडस्ट्री में काम करने वालों को सरकार को आर्थिक मदद देनी पड़ेगी। दूसरी ओर सरकार का यह भी कहना है कि इंडस्ट्री व्यक्ति विशेष से अनुबंध करने की जगह अब कांट्रैक्टर से अनुबंध करती है। इस वजह से भी समस्या आ रही है। छह माह से तीन वर्ष तक की अप्रेंटिसशिप होती है।
अपरेंटिस स्टाइफंड बढ़ाने की तैयारी
शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि अप्रेंटिसशिप के तहत जो राशि वर्तमान में दी जा रही है वह पर्याप्त नहीं है। लिहाजा ग्रेजुएट अपरेंटिस को 18 हजार और डिप्लोमाधारी अपरेंटिस को प्रति माह 15 हजार रुपये देने की तैयारी की जा रही है। वर्ष-2019 में सरकार ने गजट नोटिफिकेशन जारी कर कहा था कि ग्रेजुएट अपरेंटिस को प्रति माह नौ हजार और डिप्लोमा अपरेंटिस को आठ हजार रुपये मिलेंगे। जबकि सच्चाई है कि अभी भी वर्ष-2019 के पहले की राशि ग्रेजुएट अपरेंटिस को 4984 रुपये और डिप्लोमाधारी अपरेंटिस को प्रति माह 3542 रुपये दे रही है। सरकारी रिपोर्ट बताती है कि बजट की कमी की वजह से अपरेंटिस को यह राशि भी नहीं मिल पा रही है।
एक लाख से ज्यादा इंडस्ट्री पंजीकृत
शिक्षा विभाग और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) द्वारा योजना चलाई जा रही है। इसके तहत देश भर में कुल 119168 इंडस्ट्री पंजीकृत है जबकि महज 24603 इंडस्ट्री ही अप्रेंटिस रख रही है।
ज्यादा इंडस्ट्री में 100 से कम अप्रेंटिस
देश में 70 फीसदी इंडस्ट्री ऐसी जहां 100 से कम अपरेंटिस काम कर रहे हैं। 13 फीसदी इंडस्ट्री में 101 से 300 के बीच, पांच फीसदी इंडस्ट्री में 301 से 500 और 12 फीसदी इंडस्ट्री में 500 से ज्यादा अपरेंटिस काम कर रहे हैं।
वर्ष बजट खर्च अप्रेंटिस की संख्या
- 2017-18 500 38.58 173034
- 2018-19 90 41.62 200035
- 2019-20 61.25 47.61 264235
- 2020-21 73.02 108.7 175217
- 2021-22 120 52 (अक्टूबर-2021 तक) --
(बजट और खर्च की राशि करोड़ में है।)