What is Pegasus India Controversy | पेगासस स्पाईवेयर दुनियाभर में खबर है, और भारत में सरकारी रहस्य है
(भारत में एनएसओ ग्रुप पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं : केंद्र सरकार)
महेंद्र पाण्डेय की रिपोर्ट
What is Pegasus India Controversy | इजराइल की कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाईवेयर, यानि जासूसी उपकरण, पेगासस (Pegasus, a spyware manufactured by NSO group of Israel) दुनियाभर में खबर बना रहा है| अनेक निरंकुश शासकों वाले देशों में भी जनता, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों पर इसके इस्तेमाल के विरोध में आन्दोलन किये जा रहे हैं, सरकार से जवाब माँगा जा रहा है, मुकदमे दायर किये जा रहे हैं और इसके उपयोग को प्रतिबंधित करने के लिए नए क़ानून का मसौदा तैयार किया जा रहा है| अमेरिका ने इसे व्यापार की काली सूचि (Blacklisted in USA) में डाल दिया है| हालां कि एनएसओ ग्रुप ने इसे खरीदने वाली सरकारों का नाम नहीं बताया है और अधिकतर सरकारों ने भी इसे लेकर चुप्पी साध रक्खी है, फिर भी कुछ देश ऐसे भी हैं जिन्होंने स्वीकार किया है कि उन्होंने पेगासस खरीदा है| पर, दुनिया के किसी भी देश का व्यवहार भारत सरकार जैसा बेशर्मी भरा नहीं है, और इसकी यही बेशर्मी लगातार साबित करती रही है कि मोदी सरकार ने इसका भरपूर इस्तेमाल किया है| मोदी सरकार इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न बताती है, इससे पहले राफेल को भी ऐसा ही कुछ बताया था| राफेल के बारे में देश का तथाकथित मीडिया हरेक जानकारी दुनिया को कई दिनों तक बताता रहा था, पर इसके दाम का जिक्र होते ही सरकार ने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रश्न बता दिया|
एनएसओ ग्रुप के अनुसार पेगासस से अमेरिकी और इजराईली नंबर वाले फ़ोन हैक नहीं किये जा सकते, इसके बाद भी अमेरिका ने दुनियाभर में इसकी मदद से मानवाधिकार हनन का हवाला देकर इसे व्यापार की काली सूचि में शामिल कर दिया है| अमेरिका में यह मामला अभी ख़त्म नहीं हुआ है और डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस में इस कंपनी के ऊपर अनेक आपराधिक मुकदमे सक्रिय तौर पर चलाये जा रहे हैं| इसमें सबसे अधिक जोर अवैध तरीके से किसी के मोबाइल फ़ोन या पूरे नेटवर्क पर नियंत्रण से सम्बंधित है| वहां इन मुकदमों का आधार वर्ष 2017 में गैरी मिलर (Garry Millar) नामक मोबाइल सिक्यूरिटी एग्जीक्यूटिव द्वारा कुछ सांसदों को लिखा गया पत्र था, जिसमें उन्होंने एनएसओ ग्रुप और अमेरिकी मोबाइल सिक्यूरिटी कंपनी मोबिलिओ के बीच साठगाँठ का दावा किया था| वहां की जांच का आलम यह है कि एक अमेरिकी जब देश से बाहर था और अमेरिका के नंबर वाला मोबाइल इस्तेमाल नहीं कर था, तब उसके फ़ोन को पेगासस से हैक किया गया था – उससे भी डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस के अधिकारियों ने विस्तृत विमर्श किया था| यही नहें, मेक्सिको के कुछ नागरिक जब अमेरिका यात्रा पर थे तब पेगासस द्वारा उनके फ़ोन को हैक किया गया था – मेक्सिको के इन नागरिकों से भी अमेरिकी डिपार्टमेंट ऑफ़ जस्टिस (Department of Justice) के अधिकारियों ने विस्तृत जानकारी ली|
इन सबसे दूर, हमारे देश का पूरा तंत्र ही अलग है| सरकार द्वारा सारा तमाशा रचने के बाद भी उसे कभी किसी चीज की जानकारी नहीं रहती बल्कि सरकार की तरफ से ऐसे वक्तव्य आते हैं जैसे पेगासस का नाम ही पहली बार सुना हो| हरेक ऐसा मामला अंत में सर्वोच्च न्यायालय पहुंचता है, जहां एक कमेटी बन जाती है और उसके बाद सारे समाचार बंद हो जाते हैं| सरकार इस पूरी प्रक्रिया को एक कवच की तरह इस्तेमाल करती है और मामले को न्यायालय में रहने के कारण हरेक जवाब से बच जाती है| न्यायालय भी अपनी जिम्मेदारियों से बच जाते हैं क्योंकि केस को स्वीकार करते ही जनता को लगता है कि अब न्याय होगा, पर यह सब कवायद सरकार के विरुद्ध उठाने वाले हरेक संगीन आरोप को शांत करने का एक नायाब तरीका है| किसी को नहीं मालूम कि पेगासस पर जांच करने वाली सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त कमेटी ने आज तक किसी ऐसे पत्रकार, विपक्षी नेता या वकील से बात भी की है जिसका नाम पेगासस से हमले वाली सूचि में था| यह भी नहीं पता कि इस कमेटी के दायरे में सरकारी हैक के शिकार रोना विल्सन से पूछताछ है भी या नहीं|
प्रधानमंत्री की ह्त्या का आरोप मढ़कर चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन (Rona Wilson) को पिछले तीन वर्षों से जेल में बंद किया गया है, और दो महीने पहले यह खबर आई थी कि गिरफ्तारी से तीन महीनों पहले से उनके फोन की और उनकी जासूसी पेगासस द्वारा की जा रही थी| रोना विल्सन के वकीलों द्वारा एमनेस्टी इन्टरनेशनल के सिक्यूरिटी लैब (Security Lab of Amnesty International) को उनके आई-फोन के 2 बैक-अप उपलब्ध कराये गए थे, जिसके गहन फिरेंसिक विश्लेषण का निष्कर्ष है कि जुलाई 2017 में और फिर फरवरी-मार्च 2018 में पेगासस की मदद से रोना विल्सन की जासूसी की गयी है| इस जासूसी सॉफ्टवेयर को फोन में 15 एसएमएस द्वारा डाला गया था| इनमें से किसी भी एसएमएस को खोलने पर यह सॉफ्टवेयर स्वयं फ़ोन में इंस्टाल हो सकता था|
एनएसओ कंपनी द्वारा बार बार बताया जाता है कि पेगासस स्पाईवेयर केवल सरकारों को बेचे जाते हैं और इसका उपयोग सरकारों द्वारा केवल आतंकियों या सशस्त्र विद्रोहियों के विरुद्ध किया जा सकता है| दूसरी तरफ दुनियाभर में इस स्पाईवेयर द्वारा केवल पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं या फिर विपक्षी नेताओं के मोबाइल फ़ोन को हैक करने की खबरें आई हैं| किसी भी देश या फिर एनएसओ कंपनी ने आजतक कोई ऐसा उदाहरण नहीं दिया है जिससे पता चलता हो कि इस स्पाईवेयर का उपयोग एक भी आतंकवादी के विरुद्ध कहीं भी किया हो| इससे इतना तो स्पष्ट है कि भारत समेत दुनियाभर की सरकारों ने इस स्पाईवेयर को कहाँ और किसके विरुद्ध इस्तेमाल के लिए खरीदा है|
हंगरी (Hungary) में घोषित निरंकुश सरकार है और अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार वहां कुल 6 लोगों का मोबाइल फोन की जासूसी पेगासस से की गयी थी, इसमें चार पत्रकार थे| हंगरी की सिविल लिबर्टीज यूनियन (Civil Liberties Union) नामक संस्था इस 6 पीड़ितों की तरफ से हंगरी सरकार के विरुद्ध कानूनी लड़ाई की तैयारी कर रही है| सिविल लिबर्टीज यूनियन इजराइल में भी एक इस्राईली मानवाधिकार मामलों के विशेषज्ञ वकील एइतय मैक (Eitay Mack) की मदद से एनएसओ ग्रुप के विरुद्ध मुक़दमा दायर करने की तैयारी कर रही है| एइतय मैक के अनुसार पेगासस द्वारा नागरिकों की जासूसी इजराइल के कानूनों का स्पष्ट उल्लंघन है|
पोलैंड (Poland) में पेगासस मामले का खुलासा होते ही विपक्षी सांसद जनता की ऐसी जासूसी रोकने के लिए एक नया क़ानून की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं| वहां हालां कि गठबंधन सरकार के सबसे बड़े दल लॉ एंड जस्टिस ने अपने आप को इस पूरे मामले से अलग रखा है फिर भी पूरे मामले की जांच के लिए सांसदों की एक कमेटी का गठन किया है और सरकार ने स्वीकार भी किया है कि पेगासस स्पाईवेयर को खरीदा गया है|
इन दिनों यूरोप के अनेक मानवाधिकार संगठन यूरोपियन यूनियन से एनएसओ ग्रुप से नाता तोड़ने और इसके विरुद्ध कार्यवाही की मांग कर रहे हैं| इस बीच नयी जानकारियों के अनुसार बहरीन और जॉर्डन की अनेक सक्रिय महिला अधिकारों की कार्यकर्ताओं की जासूसी इस स्पाईवेयर द्वारा की गयी है| दक्षिण अमेरिकी देश एलसाल्वाडोर (El Salvador) के 35 पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी की जानकारी मिली है| मध्यपूर्व के लेबनान में अगस्त 2020 में जब धमाका हुआ था और बेरुत का एक बड़ा हिस्सा धराशाई हो गया था उस समय जब दुनियाभर के कार्यकर्ता वहां पहुंचे थे, तब अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की जासूसी पेगासस की मदद से की गयी थी|
पेगासस से तो इजराइल के नागरिक भी अछूते नहीं हैं| हाल में ही वहां की एक मीडिया साईट, काल्कालिस्ट, पर प्रकाशित खबर के अनुसार इजराइल के अनेक शहरों के नागरिकों ने स्थानीय पुलिस पर पेगासस द्वारा सामान्य नागरिकों की जासूसी का आरोप लगाया है| अब अनेक मानवाधिकार कार्यकर्ता और विपक्षी नेता इस मामले को उठा रहे हैं|
पेगासस काण्ड ने इतना तो बता दिया कि दुनियाभर की सरकारों के लिए आतंकवादी की परिभाषा बदल चुकी है, अब सरकारों की नजर में निष्पक्ष पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और सरकार के विरोध में आवाज उठाने वाले ही आतंकवादी हैं| यह भी स्पष्ट है कि दुनिया में हरेक जगह इसके विरुद्ध आवाजें उठ रही हैं, पर हमारे देश में यह एक सरकारी रहस्य है – हिंदी फिल्मों वाला रहस्य जिसमें दर्शकों को पता होता है कि खलनायक कौन है|