Begin typing your search above and press return to search.
विमर्श

डीपफेक टैक्नोलॉजी पर चिंता जताने वाले पीएम मोदी की पार्टी भाजपा कर चुकी है चुनाव में इसका इस्तेमाल

Janjwar Desk
26 Nov 2023 12:16 PM GMT
डीपफेक टैक्नोलॉजी पर चिंता जताने वाले पीएम मोदी की पार्टी भाजपा कर चुकी है चुनाव में इसका इस्तेमाल
x

file photo

बीजेपी और सत्ता की नजर में जो फेक है वही वास्तविक है और जो सही में वास्तविक है वह अर्बन नक्सल, माओवादी, देशद्रोही, आतंकवादी, पाकिस्तानी और टुकड़े-टुकड़े गैग है। बीजेपी का आईटी सेल तो फेक न्यूज़ की खान है और देश का मीडिया भी इसी राह पर है...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Our PM says, deepfake technology will lead us towards a major crisis. दीपावली की रात में प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए “डीपफेक” पर चिंता व्यक्त की। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर देखे जा रहे एक वीडियो के जिक्र किया जिसमें वे गरबा करते नजर आ रहे हैं, पर प्रधानमंत्री जी का यह दावा ही झूठा निकला क्योंकि उस वीडियो में प्रधानमंत्री नहीं बल्कि उनके हमशक्ल, ने गरबा किया था और वह वीडियो वास्तविक वीडियो था।

डीपफेक एक टेक्नोलॉजी है, जिसकी मदद से किसी भी ऑडियो-विजुएल फाइल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से आवाज या चित्र को बदला जा सकता है – किसी की आवाज बदल कर दूसरे की आवाज डाली जा सकती है, या फिर किसी के चेहरे पर किसी दूसरे का चेहरा लगाया जा सकता है। डीपफेक की मदद से बनी फाइलें बिलकुल वास्तविक नजर आती हैं। हाल में ही अभिनेत्री रश्मिका मंधाना ने सोशल मीडिया पर प्रसारित अपनी डीपफेक फोटो की शिकायत की है। इसके बाद अमिताभ बच्चन और करिश्मा कपूर ने भी इसे खतरनाक बताया है।

आश्चर्य यह है कि डीपफेक पर चिंता जताने के बाद भी प्रधानमंत्री समेत किसी ने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के व्यापक उपयोग और इससे होने वाले नुकसान पर कुछ नहीं कहा है। अमेरिका और यूरोप के अनेक देश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग और प्रसार पर लगाम लगाना चाहते हैं, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के विकास से जुड़े वैज्ञानिक भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौता जैसा वैश्विक क़ानून की वकालत कर रहे हैं, पर हमारे देश में प्रधानमंत्री जी इसके व्यापक प्रसार पर तो बहुत जोर देते हैं, मगर इस पर लगाम लगाने पर चुप्पी साध लेते हैं। हाल में ही यूनाइटेड किंगडम में अनेक देशों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर लगाम लगाने के लिए सम्मिलित तौर पर ब्लेत्च्ले समझौता (Bletchley Agreement) किया है, जिस पर अमेरिका. चीन, जापान और यूरोपियन यूनियन ने सहमति के हस्ताक्षर किये हैं, पर भारत ने इस अधिवेशन में हिस्सा ही नहीं लिया।

प्रधानमंत्री या किसी भी दूसरे बीजेपी नेता द्वारा डीपफेक पर चिंता जाहिर करना महज एक दिखावा ही कहा जाएगा, क्योंकि लगभग साढ़े तीन वर्षों पहले संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा के चुनावों के समय दिल्ली बीजेपी ने डीपफेक टेक्नोलॉजी का खुलेआम इस्तेमाल किया था, पर प्रधानमंत्री ने उस समय कुछ भी नहीं कहा था। यह पहला मौका था जब हमारे देश में किसी राजनीतिक दल ने डीपफेक टेक्नोलॉजी का उपयोग चुनावों में प्रचार के लिए किया था। समाचार साईट वाईस डॉट कौम ने सबसे पहले इसका खुलासा किया था, और इसके आधार पर रिपोर्टिंग कई समाचारपत्रों के साथ ही एमआईटी टेक्नोलॉजी रिव्यू में भी की गयी थी।

दिल्ली चुनावों के समय बीजेपी नेता मनोज तिवारी ने एक वीडियो बनवाया था जिसमें उन्होंने हिन्दी में बीजेपी को वोट देने की अपील के साथ ही अरविन्द केजरीवाल पर भी तंज कसा था। इसके बाद दिल्ली बीजेपी ने आइडियाज फैक्ट्री (Ideaz Factory) नामक एक आईटी कंपनी से संपर्क कर डीपफेक का काम दिया। इसके अनुसार मनोज तिवारी के मौलिक हिन्दी संवाद वाले वीडियो के आधार पर अंग्रेजी और हरियाणवी में भी सन्देश वाले वीडियो बनाने थे। यानी डीपफेक टेक्नोलॉजी का उपयोग कर मनोज तिवारी को अंग्रेजी और हरियाणवी में भी जनता को सन्देश देना था। ये वीडियो बने, सोशल मीडिया पर भी व्यापक तरीके से प्रचारित किये गए और इसमें भाषा के अनुसार मनोज तिवारी के होठों के हिलने का अंदाज बदला गया और मौलिक स्क्रिप्ट में भी कुछ बदलाव किये गए।

इस वाकये के साढ़े तीन वर्षों बाद अब प्रधानमंत्री जी को यह टेक्नोलॉजी चिंताजनक नजर आने लगी है और इसे भविष्य के लिए खतरनाक संकेत बता रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है जिसके पास ऐसे वीडियो के सत्यापन की कोई सुविधा नहीं है, इसलिए खतरे और भी गंभीर हैं। प्रधानमंत्री जी के अनुसार उन्होंने भी अपना एक ऐसा वीडियो सोशल मीडिया पर देखा है जिसमें वो गरबा करते नजर आ रहे हैं – यह डीपफेक वीडियो इतना अच्छा बना है कि मैं इससे बहुत प्रभावित हूँ।

पर, प्रधानमंत्री जी का यह दावा भी फेक साबित हुआ। हाल में ही मुंबई के एक उद्योगपति और कलाकार विकास महंते (Vikas Mahate) ने सोशल मीडिया के माध्यम से दावा किया है कि प्रधामंत्री जिस डीपफेक वीडियो की बात कर रहे हैं, वह दरअसल डीपफेक नहीं बल्कि वास्तविक वीडियो है। विकास महंते की शक्ल और कद-काठी प्रधानमंत्री मोदी से बहुत अधिक मिलती है, इसके साथ ही वे बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी की विचारधारा पसंद करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी के हमशक्ल होने के कारण विकास महंते को देश-विदेश में अनेक कार्यक्रमों में बुलाया जाता है। दिवाली से ठीक पहले उन्हें लन्दन के एक कार्यक्रम में बुलाया गया था, जहां गरबा करते हुए इस वीडियो को बनाया गया है। चुनावों के समय भी बीजेपी के रोड शो में अनेक जगह विकास महंते को बुलाया जाता है और उन्हें ट्रक पर सबसे आगे खड़ा किया जाता है। विकास महंते के अनुसार गुजरात के मुख्यमंत्री रहते वे मोदी जी से मिल भी चुके हैं, पर मोदी जी ने उनके साथ फोटो खिंचवाने से मना कर दिया था।

जाहिर है, बीजेपी और स्वयं प्रधानमंत्री मोदी के लिए विकास महंते कोई अनजाना नाम या अनजानी शक्ल नहीं हैं, और प्रधानमंत्री के दावे वाली वीडियो डीपफेक नहीं बल्कि वास्तविक वीडियो है जिसमें प्रधानमंत्री नहीं बल्कि उनके हमशक्ल हैं। वर्ष 2019 के चुनावों के समय प्रधानमंत्री के दूसरे हमशक्ल अभिनन्दन पाठक का नाम और तस्वीरें भी चर्चा में थीं। अभिनन्दन पाठक प्रधानमंत्री मोदी से तो प्रभावित हैं पर बीजेपी और सरकार की नीतियों से सहमत नहीं हैं। उन्होंने वर्ष 2019 के चुनावों में लखनऊ ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था।

प्रधानमंत्री मोदी के डीपफेक पर चिंता प्रकट करने से चिंता कम और सवाल अधिक खड़े होते हैं। यदि उन्हें सही में इस टेक्नोलॉजी के दुरूपयोग की चिंता है, तो फिर वे बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ ही सामान्य जनता को यह बात क्यों नहीं बताते – आजकल तो लगभग हरेक दिन वे चुनावी दौरे पर ही रहते हैं, भाषण देते हैं, रोडशो करते हैं। क्या एक चिंताजनक बात जनता को जानने का अधिकार नहीं है? दूसरा सवाल यह है कि बिना पर्याप्त जांच के ही उन्होंने किसी वीडियो को किस आधार पर सार्वजनिक तौर पर डीपफेक करार दिया। कहीं, यह सब सहानुभूति या विक्टिम कार्ड का तरीका तो नहीं है। यह भी संभव है कि वे डीपफेक का जिक्र और उदाहरण देकर अप्रत्यक्ष तौर पर बीजेपी कार्यकर्ताओं को इसके व्यापक उपयोग का सन्देश दे रहे हों।

बीजेपी और सत्ता की नजर में जो फेक है वही वास्तविक है और जो सही में वास्तविक है वह अर्बन नक्सल, माओवादी, देशद्रोही, आतंकवादी, पाकिस्तानी और टुकड़े-टुकड़े गैग है। बीजेपी का आईटी सेल तो फेक न्यूज़ की खान है और देश का मीडिया भी इसी राह पर है। आश्चर्य यह है कि प्रधानमंत्री जी के नमो ऐप से भी अनेकों बार फेकन्यूज़ और मोर्फेड वीडियो को शेयर किया है।

हमारे देश में जिस तरह की स्थितियां हैं, उसमें डीपफेक की तो जरूरत ही नहीं है। यहाँ तो जो सत्ता में हैं और उनके समर्थक कभी भी किसी पर भी कोई अनर्गल और बिना सबूत के ही आरोप लगा सकते हैं और इन निराधार आरोपों के आधार पर पुलिस से लेकर सभी जांच एजेंसियां अपनी कार्यवाहीं में लग जाती हैं। मीडिया पर किसी को कभी भी मुजरिम करार दिया जा सकता है। सभी चुनावी भाषण बस निराधार आरोप पर ही टिके हैं।

Next Story

विविध