गुरू मां के निधन पर कानपुर पहुँचे राजनाथ सिंह, यूपी 2022 चुनाव के लिए दे गये हवन सामग्री
Agnipath Scheme : राजनाथ सिंह ने किया 'अग्निपथ योजना' का एलान, 4 साल के लिए सेना में भर्ती होंगे युवा
जनज्वार, कानपुर। सोमवार कानपुर (Kanpur) पहुँचे देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। इसके अलावा वह भलि भांति जानते हैं कि सूबे की राजनीति में वोटों का माहौल कैसे बनाया जाता है। अपनी गुरूमां के निधन पर शहर आए रक्षामंत्री ने पाकिस्तान को सबक सिखाने और नेस्तनाबूद कर देने की बात कही।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह धर्म-परिवर्तन कराने वालों पर नजरें टेढ़ी कर गये। उन्होने खुद को हिंदू मुस्लिम का सहयोगी बताया साथ ही धर्म-परिवर्तन कराने वालों पर सख्त कार्रवाई करने की बात भी कही। साथ ही कहा ऐसे लोगों को बख्शा नहीं जाएगा।
एक दिन पहले बोले गये आरएसएस (RSS) चीफ मोहन भागवत के डीएनए वाले बयान पर कुछ देर मौन रहने के बाद उन्होने कहा कि भाजपा सबका साथ और सबका विकास वाली पार्टी है। हमारी राजनिती का आधार न्याय और मानवता रहा है। भाजपा ने कभी हिंदू मुस्लिम की बात नहीं की और इन दोनो को बांटना गलत है।
भारतीय सीमा पर ड्रोन हमले को लेकर उन्होने सेना को आगे करते हुए कहा कि भारत की सीमाएं (Borders) सुरक्षित हैं। वह देशवासियों को आश्वस्त करते हैं कि देश और देशवासी सुरक्षित हैं। आगो जो भी चुनौतियां आएंगी सेनाए निपटने में सक्षम हैं।
डिफेंस मिनिस्टर कानपुर के श्यामनगर स्थित हरिहर धाम में अपने गुरू संतोष द्विवेदी की पत्नी मिथिलेश को निधन पर शोक संवेदनाएं प्रकट करने पहुँचे थे। रक्षामंत्री की गुरूमां मिथिलेश का बीमारी के चलते 22 जून को निधन हो गया था। उनका अपने गुरू से 30 साल पुराना रिश्ता है, ऐसा उन्होने बताया।
शहर पहुँचे राजनाथ सिंह से मुलाकात करने के लिए तमाम भाजपाई जुगाड़ भिड़ाते रहे। लेकिन रक्षामंत्री सीधा आश्रम में प्रवेश कर गये। सभी नेताओं को आश्रम के बाहर ही बिठा दिया गया। यूपी सरकार के मंत्री सतीश महाना, मंत्री नीलिमा कटियार, मेयर प्रमिला पांडेय, सहित तमाम विधायक आश्रम के बाहर ही इंतजार करते रहे।
यूपी का मुख्यमंत्री बनने के बाद से राजनाथ अपने गुरू का आशिर्वाद ले रहे हैं। वह सबसे पहले आश्रम पहुँचते थे। 2014 में गृहमंत्री और फिर 2019 में देश का रक्षामंत्री बनने के बाद राजनाथ सिंह आश्रम पहुँचकर गुरू का आशिर्वाद लेने आए थे। बताया जाता है कि वह सभी चुनावों से पहले यहां जरूर आते हैं।
शनिवार और रविवार के लॉकडाउन के बाद सोमवार 5 जुलाई को दुकान-बाजार खुलने का दिन था। लेकिन लाल बंगला से लेकर पीएसी मोड़ तक तैनात पुलिस ने दुकाने नहीं खुलने दी। रास्तों में पड़ने वाली सभी दुकाने बंद करवा दी गईं। दुकाने ना खुलने से दो दिन के लॉकडाउन के बाद इंतजार करते लोगों असुविधा हुई जिसके चलते स्थानिय निवासियों में नाराजगी भी देखी गई।