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Raksha Bandhan Movie Review In Hindi : 'जिंदा है दहेज रूपी दानव' याद दिलाती फिल्म रक्षाबंधन

Janjwar Desk
22 Aug 2022 3:30 AM GMT
Raksha Bandhan Movie Review In Hindi : जिंदा है दहेज रूपी दानव याद दिलाती फिल्म रक्षाबंधन
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Raksha Bandhan Movie Review In Hindi : 'जिंदा है दहेज रूपी दानव' याद दिलाती फिल्म रक्षाबंधन

Raksha Bandhan Movie Review In Hindi : आज के दौर में समाज के अंदर व्याप्त कुप्रथाओं पर बहुत कम फिल्में बन रही हैं. दहेज रूपी दानव हमारे समाज में आज भी पल बढ़ रहा है और निर्देशक आंनद एल राय ने इसी विषय पर हल्की फुल्की कॉमेडी के साथ फिल्म 'रक्षाबंधन' बनाई है.

हिमांशु जोशी की टिप्पणी

Raksha Bandhan Movie Review In Hindi : आज के दौर में समाज के अंदर व्याप्त कुप्रथाओं पर बहुत कम फिल्में बन रही हैं. दहेज रूपी दानव हमारे समाज में आज भी पल बढ़ रहा है और निर्देशक आंनद एल राय ने इसी विषय पर हल्की फुल्की कॉमेडी के साथ फिल्म 'रक्षाबंधन' बनाई है. दर्शकों को किस तरह हंसाया और रुलाया जाता है, ये कला आंनद एल राय को अच्छी तरह से आती है. रक्षाबंधन से पहले वह इस काम को 'तनु वेड्स मनु' और 'अतरंगी रे' फिल्मों में कर चुके हैं.

अक्षय कुमार के दम पर टिकी फिल्म

अक्षय कुमार के अभिनय का ही कमाल है कि फिल्म अपनी शुरुआत से ही दर्शकों को खुद से जोड़ लेती है. अक्षय कुमार द्वारा बोला गया संवाद 'सारा पैसा जो मैंने तुम्हारे दहेज के लिए जोड़ रखा है, वो मैं तुमपे लगाऊंगा. तुम्हें इस काबिल बनाऊंगा कि तुम खड़े होके उल्टा दहेज मांग सको' भारत के हर माता-पिता, भाई द्वारा अपनी बेटियों और बहनों से बोला जाना चाहिए.

भूमि पेडनेकर का बॉलीवुड में अब तक का सफर किसी परी कथा से कम नही है. इस फिल्म में वह अक्षय कुमार की प्रेमिका बनी नजर आई हैं और जितनी बार भी स्क्रीन पर दिखती हैं , प्रभावित ही करती हैं. वेब सीरीज गिल्टी माइंड्स में दिख चुके अभिनेता अरुण कालरा इस फिल्म में एक दहेजलोभी पिता बने हैं, वह अपनी संवाद अदाएगी से प्रभावित करते हैं. उम्मीद है कि अब उन्हें स्क्रीन पर अधिक समय मिलने लगेगा. इंटरवल तक फिल्म की कहानी बिखरी हुई सी लगती है पर इसके बाद फिल्म अपने मुख्य विषय पर ही चलती है. 'कंगन रूबी' गीत इस सीजन की शादी बारातों में खूब बजता सुनाई देगा. फिल्म का पार्श्व संगीत भी सही काम कर गया है.

दिल्ली में दहेज की बात होगी तो सुनाई देगी ही

'रक्षाबंधन' में एक बात बार-बार अखरती है कि इसके सेट को कुछ ज्यादा ही चहल पहल वाला बना दिया गया है. निर्देशक ने फिल्म की कहानी का केंद्र दिल्ली को चुनकर बहुत अच्छा किया, एक जगह बैकग्राउंड में लाल किला भी दिखता है. दहेज प्रथा रोकने का सन्देश देने के लिए दिल्ली से बेहतर जगह कोई और हो ही नही सकती थी. इससे दर्शकों तक यह सन्देश जाता है कि अगर हमारी राजधानी जैसी जगह में भी दहेज प्रथा चल रही है तो बाकी जगह का क्या हाल होगा.

महिलाओं का रंग और साइज जरूरी नही

दहेज प्रथा निभाने के साथ-साथ हमारे समाज में महिलाओं के लिए कई मापदंड भी बनाए गए हैं, जिनमें उनका खरा उतरना जरूरी होता है. महिलाओं के रंग और साइज के अनुसार ही समाज में उनको जाना जाता है. फिल्म में इस विषय पर भी बड़ी बारीकी से काम हुआ है.

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