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विमर्श

रिया चक्रवर्ती की 'Witch-Hunting' सिर्फ TRP की मुनाफाखोरी के लिए नहीं

Janjwar Desk
9 Sep 2020 8:13 AM GMT
रिया चक्रवर्ती की Witch-Hunting सिर्फ TRP की मुनाफाखोरी के लिए नहीं
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हमारे देश में अपराधी घोषित होने के लिए सिर्फ उसका किया जुर्म मायने नहीं रखता, बल्कि लिंग, जाति और धर्म भी मायने रखता है...

डॉ. वर्तिका का विश्लेषण

रिया चक्रवर्ती जब एनसीबी (Narcotics Control Bureau) दफ्तर के सामने मीडिया से घिरी बेबस और असहाय जूझ रही थी, यूं लगता था कि जैसे वह अभी फूट पड़ेगी तब आपको क्या याद आ रहा था वह दृश्य देखकर ? बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं है अपने आस-पास घटित उन घटनाओं को याद कीजिये जहां एक महिला को डायन घोषित कर उसके साथ कुछ भी कर गुजरने की शक्ति एक भीड़ अपने हाथ मे ले लेती है। उसे उसके सारे ही अधिकारों से वंचित कर अमानवीयता की हदें पार कर दी जाती हैं। ऐसी घटनाएं हमारे गांवों में आज भी होती हैं और आजकल तो भारत वर्ष का सामान्य मष्तिष्क सनातनी भी हुआ पड़ा है।

क्या रिया चक्रवर्ती को मीडिया के बीच जूझते हुए देखकर आपको द्रौपदी की याद आ रही थी? जब उसे भरी सभा में निर्वस्त्र किया जा रहा था। यह दृश्य देखकर लगा कि उन्हीं महिलाओं के सिलसिले में हमारे समाज द्वारा एक और लड़की डायन, चरित्रहीन घोषित कर अपने सभी मानवीय अधिकारों से वंचित कर दी गयी है। उसकी सारी शक्तियां छीनकर उसे एक प्रतिक्रियावादी भीड़ के हवाले कर दिया है।ऐसा लग रहा है जैसे यह उन्हीं घटनाओं का राष्ट्रीय मंचन चल रहा है और इसके दर्शक वही हैं जो रिया चक्रवर्ती के कपड़े तक नोच लेना चाहते हैं।

एक सवाल यह भी है कि क्या यह सब सिर्फ टीआरपी के लिए किया जा रहा है? मामला दरअसल इतना आसान है नहीं क्योंकि इसके पीछे कुछ शक्तियां है। ये वहीं शक्तियां हैं जो इस पूरे मामले में मीडिया को संरक्षण देकर इस मुद्दे का राजनीतिक दोहन करना चाहती हैं। वो एक भीड़ का समर्थन हासिल करके एक महिला का चरित्र घोषित कर उसके साथ कुछ भी कर डालने की सामाजिक स्वीकार्यता हासिल करते हैं। मामला सिर्फ़ टीआरपी का नहीं है क्यूँकि मामला अगर सिर्फ टीआरपी का रहता तो यह कौन नहीं जानता कि इस मुख्य धारा की मीडिया को अभी कुछ शक्तियों द्वारा सिर्फ आंखे तरेर दी जांय तो टीआरपी का सारा भूत उतर जाएगा। लेकिन मामला दरअसल राजनीतिक है। इसके दोहरे फायदे हैं- एक तो उस पिछड़ी हुई सामंती मानसिकता का पोषण और दूसरे जीडीपी, बेरोजगारी, बाढ़, कोरोना से हो रही मौतों और चीन द्वारा जमीन हथियाये जाने से लोगों का ध्यान भटकाना।

रिया चक्रवर्ती की विच हंटिंग इसीलिए जारी है। विच-हंट क्या है यह जान लेना भी थोड़ा जरूरी है। हम किसको 'विच' कहते हैं? विच का हिंदी मतलब चुड़ैल या डायन होता है। आमतौर पर अगर देखा जाए जो चुड़ैल या डायन वो औरतें होते हैं जो बाँझ होती हैं, घरों से बाहर निकलती है, जिनके पति नहीं होते या वो अकेली होती हैं। देखे तो ये वो औरतें हैं जो समाज के ढाँचे से अलग होतीं हैं। अपनी किताब 'Caliban and the witch (1942)' में सिल्विया फ़ेडरेचिचि बताती है की आमतौर पर जिन महिलाओं को विच कहा जाता था उनके लिए बाग़ी, अवज्ञाकारी, नाजायज़ संबंध इत्यादि शब्दों का प्रयोग किया जाता था। वो आगे लिखतीं हैं की जो औरतें बिना किसी मर्द के रहती है, सवाल करती है या किसी मसले पर विरोध जताती हैं या अपनी राय रखती हैं उनको भी चुड़ैल या डायन कहा जाता है।

एक पितृसत्तात्मक समाज ऐसी औरोतों के लिए चुड़ैल से लेकर भदी-भदी गालियाँ का इस्तेमाल करना हक़ समझता है। अगर सोशल मीडिया जैसे की फेसबुक, ट्विटर और इन्स्टाग्राम पर देखा जाए तो रिया के लिए तमाम तरह के भद्दी बातों और गालियों का इस्तेमाल किया गया है। इन कामेंट्स को देखकर हमारी कुंठित समाज का पता चलता है। एक तरफ़ आप किसी के लिए न्याय माँगते है और दूसरी तरफ किसी महिला के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते है जो क़ानूनी और सामाजिक रूप से ग़लत है। किसी के लिए न्याय माँगने के लिए क्या गालियों का इस्तेमाल करना ज़रूरी है? रिया ने सुशांत के पैसे लिए या नहीं ये तय करने वाले हम और आप कौन होते हैं? ये दो लोगों के बीच की बात थी और अगर कुछ ग़लत हुआ तो वो पुलिस और कोर्ट तय करेगी या फिर जनता जनता?


सुशांत के पिता को लगा की सुशांत के साथ रिया ने धोखाधारी किया है और वो एक एफआईआर दर्ज करवाते हैं। ये उनका निज़ी मामला था और उन्हें जो लगा वो उन्होंने किया लेकिन अपनी कुंठाओ में उलझे कुछ लोग रिया को खुल्लेआम गालियाँ और मारने की धमकी दे रहें हैं। सोशल मीडिया पर किसी महिला को रेप की धमकी देना किस न्याय की बात करता है? और अगर रिया गुनहगार हैं भी तो क्या किसी को उसके साथ रेप करने का अधिकार है? हम रिया से इतने सवाल कर रहे हैं लेकिन ऐसी तमाम गालियों से और रेप की धमकी देने वालों से सवाल कब करेंगे?

यूरोप में विच हंटिंग की बात बहुत पुरानी है। यूरोप में जहाँ सबसे ज़्यादा विच हंटिंग के मामले सामने आए थे वो जर्मनी था। इस बात का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता की एक किताब 'Malleus Maleficarum' (The hammer of witches) जो 1486 में हाइन्रिक क्रेमर और जेकब स्प्रेंगर द्वारा लिखी गयी थी वो अगले 200 सौ सालों में बाइबल के अलावा सर्वाधिक बिकने वाली किताब थी। इस किताब में यूरोप में हो रहे विच हंटिंग के मामलों को चर्च से बिना जोड़े देखना मुमकिन नहीं है। विच हंटिंग को कैथोलिक और प्रॉटेस्टंट्स के बीच लड़ाई और वर्चस्व के लिए एक साधन की तरह इस्तेमाल किया गया था। इससे ये साफ़ होता की विच हंट हमेशा से एक राजनीतिक संसाधन की तरह प्रयोग में लाया गया हो। रिया का मीडिया ट्राइयल इसका सबसे ताज़ा उदाहरण है। वो अगर गुनाहगार है तो उसके लिए पुलिस और कोर्ट है। लेकिन मामला ख़तरनाक तब हो जाता है जब मीडिया अपने न्यूज़ रूम में बैठे-बैठे एक भीड़ को एक महिला की तरफ उसे चरित्रहीन घोषित कर उकसा रही है। उसकी सज़ा क्या होनी चाहिए ये भी तय कर ले रही है।

एनसीबी ऑफिस के सामने जब रिया चक्रवर्ती पर मीडिया टूट पड़ी थी तब एकबारगी ऐसा लगा था कि वह टूट जाएगी और मीडिया और सरकार अपने राजनीतिक मंसूबों में कामयाब हो जाएगी। सामंती और पितृसत्तात्मक शक्तियां सफल हो जाएंगी। आज एनसीबी ने रिया को गिरफ्तार कर लिया है लेकिन गिरफ्तार होते वक्त रिया ने जो टीशर्ट पहनी हुई थी उसपे अंधेरे में रोशनी की तरह एक मैसेज था:

"Roses are red, Violets are blue,

Let's smash patriarchy, me and you

(डा. वर्तिका ने अपनी पीएचडी जवाहरलाल यूनिवर्सिटी, नई दिल्ली से किया है। उनसे उनके ईमेल [email protected] पर सम्पर्क किया जा सकता है।)

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