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विमर्श

टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने मानसिक तनाव पर शुरू की विश्वव्यापी बहस

Janjwar Desk
2 Jun 2021 2:45 PM IST
टेनिस खिलाड़ी नाओमी ओसाका ने मानसिक तनाव पर शुरू की विश्वव्यापी बहस
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(ओसाका के नजदीकी बताते हैं कि वे स्वभाव से अंतर्मुखी हैं और बहुत कम बोलती हैं पर एक जागरूक महिला हैं और देश दुनिया की समस्याओं पर अपनी अलग राय रखती हैं)

नाओमी ओसाका ने जाने-अनजाने एक ऐसी समस्या की तरफ दुनिया का ध्यान खींचा है, जिसकी पूरी दुनिया उपेक्षा करती है.....

महेंद्र पाण्डेय का विश्लेषण

इस दौर में टेनिस की दुनिया की श्रेष्ठतम खिलाड़ियों में जापानी मूल की खिलाड़ी नाओमी ओसाका शामिल हैं। इस समय नाओमी ओसाका की रैंकिंग दुनिया में दूसरी है और ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट फ्रेंच ओपन में भी वे सीडेड खिलाड़ियों में दूसरे स्थान पर थीं। पर, फ्रेंच ओपन का पहला राउंड जीतने के बाद उन्होंने इस टूर्नामेंट से हटने का ऐलान कर दिया है।

पिछले सप्ताह उन्होंने घोषणा की थी कि वे मैच के बाद होने वाले प्रेस कांफ्रेंस के दौरान तनाव और अवसाद का शिकार हो जाती हैं, इसलिए वे फ्रेंच ओपन के दौरान किसी प्रेस कांफ्रेंस में नहीं जायेंगी। उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया था की संभव है इस कारण उनपर आयोजक जुर्माना लगाएं या फिर टूर्नामेंट से बाहर करने जैसा कोई सख्त कदम उठा सकते हैं। दरअसल हरेक मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में उपस्थित रहना और पत्रकारों के सवालों को जवाब देना आयोजकों से किये गए करार का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

नाओमी ओसाका की इस घोषणा के बाद से ही लगभग पूरी दुनिया में मानसिक व्याधियों, अवसाद और तनाव जैसे विषयों पर एक गंभीर चर्चा शुरू हो गयी है और बहुत सारे विशेषज्ञों और खिलाड़ियों ने ओसाका की तारीफ़ की है। पहले राउंड में सीधे सेटों में जीत हासिल करने के बाद नाओमी ओसाका ने प्रेस कांफ्रेंस में शिरकत नहीं की। इसके बाद जो कुछ भी हुआ वह एक तमाशा से कम नहीं है। फ्रेंच ओपन के आयोजकों ने ओसाका पर 15000 डॉलर का जुर्माना लगाया।

आनन फानन में चारों ग्रैंड स्लैम – फ्रेंच ओपन, यूएस ओपन, ऑस्ट्रेलियन ओपन और विम्बलडन – के आयोजकों ने सम्मिलित तौर पर एक अनेक पृष्ठों वाला पत्र जारी कर धमकी भी दी कि यदि ओसका ने अगले राउंड के बाद भी प्रेस कांफ्रेंस में शिरकत नहीं की तो आयोजक और बड़ी फाइन लगा सकते हैं, इस टूर्नामेंट से बाहर कर सकते हैं और संभव है संभी ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताओं से भी बाहर किया जा सकता है। आयोजकों ने यह भी कहा कि ओसाका ने प्रेस कांफ्रेंस में अनुपस्थित रहकर टेनिस को बदनाम किया है।

जाहिर है कि इसके बाद ओसाका को अपना मासिक स्वास्थ्य या फिर टूर्नामेंट में से एक चुनना था – और ओसाका ने टूर्नामेंट छोड़कर अपने मासिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी और आयोजकों को एक गहरी शिकस्त दी। नाओमी ओसाका अब तक चार ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट जीत चुकी हैं और पहला ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट का खिताब वर्ष 2018 में यूएस ओपन में सेरेना विलियम्स को हराकर जीता था।

यह मैच काफी विवादास्पद रहा था और सेरेना विलियम्स ने खुले आम इस मैच पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए नाराजगी जाहिर की थी। ओसाका ने टूर्नामेंट छोड़ने के ऐलान के साथ ही यह भी बताया कि वर्ष 2018 के उस मैच के विवादों के बाद से ही वे लम्बे समय तक अवसाद और व्यग्रता में रहीं।

इसके बाद से उन्हें व्यग्रता, तनाव और अवसाद के लम्बे दौरे पड़ते हैं, जिन्हें वे अपने खेल से कुछ हद तक नियंत्रित करती हैं। पर, प्रेस कांफ्रेंस के अजीबो-गरीब सवालों पर वे सहज नहीं हो पातीं और फिर तनाव में आ जाती हैं। ओसाका टेनिस के प्रति किस कदर समर्पित हैं, इसका अंदाजा उनके वक्तव्य से लगाया जा सकता है, "मैं चाहती हूँ कि इस टूर्नामेंट में, आय्जकों के बीच और खिलाड़ियों के बीच केवल टेनिस की चर्चा हो, पर मेरे रहने से यहाँ केवल मेरे से सम्बंधित चर्चा की जा रही है| मेरे जाने के बाद फिर सबकुछ सामान्य हो जाएगा, विवाद ख़त्म हो जाएगा और फिर केवल टेनिस की चर्चा होगी"।

ओसाका के प्रेस कांफ्रेंस में अनुपस्थित रहने पर अनेक पत्रकार जो ओसाका के विरुद्ध बड़े लेख लिख रहे थे, वही पत्रकार अब इस वक्तव्य की तारीफ़ में लेख लिख रहे हैं।

ओसाका और सेरेना विलियम्स के बीच भले ही टेनिस कोर्ट पर कटुता होती हो, पर ओसाका के साथ सहानुभूति और समर्थन में सबसे पहले वक्तव्य देने वालों में सेरेना विलियम्स भी हैं। उन्होंने कहा कि, "इस समय सोचने को बहुत कुछ है, पर मैं केवल ओसाका के बारे में सोच रही हूँ। काश में उससे मिल पाती और उसे गले से लगा पाती। उसका दर्द में अच्छी तरह महसूस कर सकती हूँ क्योंकि पत्रकारों के बेहूदा सवालों से मुझे भी परेशानी होती है। खिलाड़ियों के शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत ध्यान दिया जाया है, पर मानसिक स्वास्थ्य उपेक्षित ही रहता है"।

नाओमी ओसाका के समर्थन में टेनिस की दिग्गज खिलाड़ी बिली जीन किंग और मार्टिना नवरातिलोवा ने भी वक्तव्य जारी किये हैं। मार्टिना ने कहा है कि वे ओसका के फैसके का सामान करती हैं और उम्मीद करती हैं कि वे जल्दी ही मानसिक अवसाद से पार पा लेंगीं| बिली जीन किंग ने ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट के आयोजकों पर भी प्रहार किया है और कहा है कि आयोजक अमानवीय व्यवहार कर रहे हैं। ओसाका ने बड़ी शालीनता से यह भी बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को वे कभी महत्वहीन नहीं समझतीं।

ओसाका के नजदीकी बताते हैं कि वे स्वभाव से अंतर्मुखी हैं और बहुत कम बोलती हैं पर एक जागरूक महिला हैं और देश दुनिया की समस्याओं पर अपनी अलग राय रखती हैं और अलग तरीके से विरोध भी जताती हैं। ओसाका ने अमेरिका में शुरू किये गए "ब्लैक लाइव्स मैटर" आन्दोलन का समर्थन किया, पर बहुत सारे भाषण या वक्तव्य नहीं दिए| उन्होंने पिछले वर्ष यूएस ओपन खेलते हुए हरेक राउंड में अपने मास्क पर उन अश्वेतों के नामों को प्रदर्शित किया जो अमेरिका की नस्ली पुलिस द्वारा मारे गए थे।

नाओमी ओसाका ने निश्चित तौर पर मानसिक स्वास्थ्य पर एक नई बहस को जन्म दिया है। दुनिया के लगभग सभी देशों में पूंजीवादी व्यवस्था चरम पर है, और इस व्यवस्था से आर्थिक और सामाजिक असमानता, बेरोजगारी, बेगारी, भूखमरी पनपती है, जो मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित करती है। ओसाका के साथ जिस तरह का वर्ताव फ्रेंच ओपन के आयोजकों ने किया, वह भी पूंजीवादी व्यवस्था की देन है, जहां आयोजक खिलाड़ियों को अपने गुलाम समझते हैं।

प्रेस कांफ्रेंस में प्रायोजकों के विज्ञापन और लोगो लगे होते हैं, जिसे पूरी दुनिया देखती है और पूंजीवाद और पनपता है। मीडिया हाउस का धंधा चमकता है क्योंकि पत्रकार ऐसे प्रेस कांफ्रेंस में निजी जिन्दगी के सवाल और खिलाड़ियों के आपसी मतभेद के उछलकर अपने दर्शक या पाठक बढाते हैं। इस पूरी मामले में हास्यास्पद यह है कि आयोजक कभी प्रेस कांफ्रेंस नहीं करते वे केवल प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं या फिर बिना कोई सवाल लिए केवल अपना वक्तव्य सुनाते हैं। ओसाका के टूर्नामेंट छोड़ने का ऐलान करते हुए भी आयोजकों ने कोई प्रेस कांफ्रेंस नहीं की।

नाओमी ओसाका ने जाने-अनजाने एक ऐसी समस्या की तरफ दुनिया का ध्यान खींचा है, जिसकी पूरी दुनिया उपेक्षा करती है। पिछले वर्ष से विश्व स्वास्थ्य संगठन लगातार आगाह कर रहा है कि कोविड 19 के दौर के ख़त्म होते होते मानसिक विकार ही अगली महामारी बन जायेंगें।

कोविड 19 से ग्रस्त व्यक्ति ठीक होने के बाद भी मानसिक परेशानियों से घस्त हो रहे हैं, उनके परिवार वाले और समाज भी इस दहशत से मानसिक अवसाद और तनाव से घिर जाता है। गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, सरकारी लापरवाही और एक अनिश्चित भविष्य अधिकतर लोगों को मानसिक अवसाद से भर रहा है। दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन, तापमान बृद्धि और प्रदूषण भी पूरी दुनिया को प्रभावित कर रहे हैं और बड़ी आबादी को मानसिक तौर पर बीमार कर रहे हैं।

अनेक पत्रकार भी अब खुले तौर पर ओसाका का समर्थन कर रहे हैं। कई पत्रकारों ने आत्मंथन करने के बाद स्वीकार किया है कि ऐसे प्रेस कांफ्रेंस में उनका रवैया ठीक नही रहता है और खिलाड़ी सहज नहीं रहते। अनेक पत्रकारों और खिलाड़ियों ने आज के दौर में प्रेस कांफ्रेंस के औचित्य पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं, इन लोगों के अनुसार आज के दौर में हरेक खिलाड़ी का सोशल मीडिया अकाउंट है और भारी संख्या में फौलोवर हैं।

सभी खिलाड़ी नियमित तौर पर उसमें टूर्नामेंट में अपने मैच के बारे में अपडेट देते हैं, फिर प्रेस कांफ्रेंस की जरूरत कहाँ है? अनेक लेखकों ने कहा है कि ऐसे प्रेस कांफ्रेंस में एक अश्वेत महिला के सामने ढेर सारे श्वेत पत्रकार होते हैं और उनके ध्यान अश्वेतों को नीचा दिखाने पर रहता है। बहुर सारे पत्रकार इसे नस्ल भेद का उदाहरण भी करार देते हैं| चर्चित श्वेत और ग्लैमरस खिलाड़ी मारिया शारापोवा पर मादक पदार्थों के सेवन के आरोप के बाद टेनिस खेलने पर प्रतिबन्ध लगा था। प्रतिबन्ध हटाने के ठीक बाद यूएस ओपन के आयोजकों ने सारे नियम टाक पर रखकर उन्हें वाइल्डकार्ड एंट्री दे दी थी।

अनेक सामाजिक कार्यकर्ता और लैंगिक समानता के संगठन इस पूरे मामले को खेलों में लैंगिक असमानता का एक उदाहरण भी मानते हैं। विश्व के पहले नंबर के टेनिस खिलाड़ी सर्बिआ के नोविक जोकोविक पिछले वर्ष के अंत से लगातार कोविड 19 की वैक्सीन पर दुष्प्रचार फैला रहे हैं, और कोविड काल में ही भारी विरोध के बाद भी बाल्कन में एक बड़ा टेनिस टूर्नामेंट आयोजित किया था, जिसके वाद वे और अनेक दूसरे खिलाड़ी कोविड 19 की चपेट में आये थे, पर किसी ग्रैंड स्लैम आयोजक ने उनपर कोई कार्यवाही नहीं की| विश्व के छठे स्थान के खिलाड़ी जर्मनी के एलेग्जेंडर ज्वेरेव पर अपनी गर्ल फ्रेंड के साथ घरेलु हिंसा और मानसिक प्रताड़ना का आरोप सिद्ध हो गया है, पर किसी ग्रैंड स्लैम टूर्नामेंट आयोजक ने कोई कार्यवाही नहीं की।

अब तो अनेक पत्रकार और मानवाधिकार संगठन ऐसे मामलों में विश्व स्वास्थ्य संगठन और दूसरे स्वास्थ्य संगठनों के दखल की मांग भी कर रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन लम्बे समय से बता रहा है कि मानसिक स्वास्थ्य भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती है, पर दुनिया इसे नजरअंदाज कर रही है। दूसरी तरह एक खिलाड़ी सच्चाई से अपने मानसिक अवसाद और तनाव के बारे में चर्चा कर रही है, और पूंजीवाद उसे सजा दे रहा है – और विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ दुनिया में मानवाधिकार के झंडा बुलंद करने वाले सभी नेता खामोश हैं।

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