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विमर्श

22 vows of Ambedkar: डॉ. अम्बेडकर की फोटो से भक्ति, विचार से नफरत

Janjwar Desk
14 Oct 2022 7:30 PM IST
22 vows of Ambedkar: डॉ अम्बेडकर की फोटो से भक्ति, विचार से नफरत
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22 vows of Ambedkar: डॉ अम्बेडकर की फोटो से भक्ति, विचार से नफरत

22 vows of Ambedkar: 5 अक्टूबर 22 के दिन अंबेडकर भवन ,नई दिल्ली में जय भीम मिशन द्वारा बौद्ध धम्म की दीक्षा दिलाई गई | यह कार्यक्रम 2 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद सम्पन्न हुआ | जय भीम मिशन के संस्थापक दिल्ली सरकार में रहे समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम जी थे और इन्हीं के नेतृत्व में बौद्ध धम्म की दीक्षा का आयोजन हुआ |

पूर्व सांसद उदित राज की टिप्पणी

22 vows of Ambedkar: 5 अक्टूबर 22 के दिन अंबेडकर भवन ,नई दिल्ली में जय भीम मिशन द्वारा बौद्ध धम्म की दीक्षा दिलाई गई। यह कार्यक्रम 2 वर्ष की कड़ी मेहनत के बाद सम्पन्न हुआ। जय भीम मिशन के संस्थापक दिल्ली सरकार में रहे समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम जी थे और इन्हीं के नेतृत्व में बौद्ध धम्म की दीक्षा का आयोजन हुआ। जैसे ही भाजपा को पता लगा, इस पर हमला बोल दिया कि हिन्दू धर्म का अपमान हुआ है। कार्यक्रम के नायक दबाव में आ गये। जब कार्यक्रम के कर्ता-धर्ता थे तो यह स्वीकार करने में क्यों डरे क्यों? जिन 10 हजार लोगों ने इनके साथ दीक्षा ली, उनको नेतृत्वविहीन कर दिया और कहा कि 22 प्रतिज्ञाओं के कारण हिन्दू धर्म को ठेस पहुंचा है तो वो माफ़ी मांगते हैं। सोचा था कि माफ़ी मांगने से पीछा छूट जाएगा, लेकिन मामला बढ़ता गया।

इस्तीफ़ा देने के बाद मामला और तूल पकड लिया और समर्थक भी सकते में आ गये। मीडिया ने भी घेरा -घारी शुरू कर दिया। तो जवाब क्या देना था वह भी बड़ा अचम्भित करने वाला है। गौतम जी ने कहा कि उनकी पार्टी – आम आदमी पार्टी गुजरात में चुनाव लड़ रही है। उस क्षति को बचाने के लिए इस्तीफ़ा दिया यह कहते नही थके नही कि वह अपने नेता अरविन्द केजरीवाल की छवि खराब न हो इसलिए ऐसा किया। इन्हें 14 अक्टूबर 1956 में बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर द्वारा बौद्ध धम्म की दीक्षा लेते समय 22 प्रतिज्ञा के साथ खड़ा होना जरूरी नहीं समझा, बल्कि अपने नेता को बचाना ज्यादा जरूरी लगा।

कार्यक्रम के तैयारी के समय क्या इसका परिणाम के बारे नहीं सोचना था? समाज परिवर्तन करना आसान नही है और इसके लिए कुर्बानी भी देनी पड़ता है। यह सब करने के बाद भी यह कहना कि मिशन जारी रखंगे तो कुछ अजीब सा ही लगता है।सही वक्त तो यही था कि कहते उन्होंने 22 प्रतिज्ञाओं की शपथ दिलाई और अगर यह गलत है तो बाबा साहेब डॉ अम्बेडकर ऐसी गलती पहले ही कर चुके हैं।अगर हिम्मत से खड़े रहते तो भाजपा भी पीछे हटती और बाबा साहेब की फोटो लगाने वाले हीरो केजरीवाल की भी हिम्मत ना होती कि इस्तीफ़ा मांग लेते।

भावना और प्रचार के चकाचौंध में जनता गुमराह हो जाती है। आम आदमी पार्टी दो ही महापुरुष का फोटो लगाती है। एक हैं शहीद भगत सिंह और दूसरा डॉ बी आर अम्बेडकर। अक्सर समर्थक फोटो देखकर ही भावविह्वल हो जाते हैं। डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर को मानने वाले फोटो से ही प्रभावित हो रहे हैं। सवाल-जवाब नही कर हैं कि विचार का क्या होगा? भाजपा ने भी अम्बेडकर सर्किल बनाया जो दिल्ली, महू, नागपुर से होते हुए चैत्य भूमि बम्बई तक पहुँचता है। भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी से पूछना चाहिए कि क्या उनका फ्रेम फोटो तक ही है कि विचार से भी लेना- देना है। जब इतना सब कुछ हो गया है और जिसके लिए है उनका भी उल्लेख करना जरुरी है।

बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाएँ -

1. मैं ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं करुँगा और न ही मैं उनकी पूजा करुँगा।

2. मैं राम और कृष्ण, जो भगवान के अवतार माने जाते हैं, में कोई आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करुँगा।

3. मैं गौरी, गणपति और हिंदुओं के अन्य देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखूँगा और न ही मैं उनकी पूजा करुँगा।

4. मैं भगवान के अवतार में विश्वास नहीं करुँगा।

5. मैं यह नहीं मानता और न कभी मानूँगा कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार थे, मैं इसे पागलपन और झूठा प्रचार-प्रसार मानता हूँ।

6. मैं श्राद्ध में भाग नहीं लूँगा और न ही पिंड-दान दूँगा।

7. मैं बुद्ध के सिद्धांतों और उपदेशों का उल्लंघन करने वाले तरीके से कार्य नहीं करुँगा।

8. मैं ब्राह्मणों द्वारा कोई भी कार्यक्रम नहीं कराऊँगा।

9. मैं मनुष्य की समानता में विश्वास करता हूँ।

10. मैं समानता स्थापित करने का प्रयास करुँगा।

11. मैं बुद्ध के आष्टांगिक मार्ग का अनुशरण करूँगा।

12. मैं बुद्ध द्वारा निर्धारित दस पारमिताओं का पालन करुँगा।

13. मैं सभी जीवित प्राणियों के प्रति दया रखूँगा तथा उनकी रक्षा करुँगा।

14. मैं चोरी नहीं करुँगा।

15. मैं झूठ नहीं बोलूँगा।

16. मैं कामुक पापों को नहीं करुँगा।

17. मैं शराब, ड्रग्स जैसे मादक पदार्थों का सेवन नहीं करुँगा।

18. मैं महान आष्टांगिक मार्ग के पालन का प्रयास करुँगा एवं सहानुभूति और प्यार भरी दयालुता का दैनिक जीवन में अभ्यास करुँगा।

19. मैं हिंदू धर्म का त्याग करता हूँ जो मानवता के लिए हानिकारक है और उन्नति और मानवता के विकास में बाधक है, क्योंकि यह असमानता पर आधारित हैं, और स्व-धर्म के रूप में बुद्ध धम्म को अपनाता हूँ।

20. मैं ढृढ़ता के साथ यह विश्वास करता हूँ कि बुद्ध धम्म ही सच्चा मार्ग है।

21. मुझे विश्वास है कि मैं फिर से जन्म लें रहा हूँ (धर्म परिवर्तन के द्वारा)।

22. मैं गंभीरता एवं दृढ़ता के साथ घोषित करता हूँ कि मैं इसके (धर्म परिवर्तन के) बाद अपने जीवन का बुद्ध के सिद्धांतों व शिक्षाओं एवं उनके धम्म के अनुसार मार्गदर्शन करुँगा।

बीजेपी ने जिन प्रतिज्ञा के कारण विरोध किया, उसी की सरकार ने ये प्रतिज्ञाएँ हिंदी Vol -37, पेज न. 498 से 524 और अंग्रेजी Vol- 17 के पार्ट न. 3, पेज 524 से 558। में छपवा रखा है। गौतम जी यह बोलते तो भाजपा वाले भाग खड़े होते।

तर्क और सत्य के साथ खड़ा रहना सबके बस का नहीं। यही तो वक्त था जब डट कर खड़ा होना था। अब पूरे देश में सवाल खड़ा किया जाए कि क्या बीजेपी और आम आदमी पार्टी को डॉ अंबेडकर के फोटो से ही प्रेम और विचार से इतनी नफरत। इनके अनुआयी भी जुबान से ही 22 प्रतिज्ञा की रट न लगाएं, बल्कि वो अपने जीवन में भी उतारें। अगर इनको बाबा साहब के विचारों से इतनी ही नफरत है तो खुलकर सामने आ जाएँ, आम आदमी पार्टी अपने कार्यालय से डॉ आंबेडकर की तस्वीर को हटा दे, भाजपा बाबा साहब का नाम लेकर बात करे। इन लोगों को लुका छिपी बंद कर देना चाहिए। गुजरात एवं हिमाचल के चुनाव में भी यह विमर्श को स्थान देना बनता है।

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