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विमर्श

उधर आतंकी संगठन अलकायदा ने तालिबान को बधाई दी, इधर भारत ने तालिबान से बात शुरू की : रवीश कुमार

Janjwar Desk
1 Sep 2021 6:36 AM GMT
उधर आतंकी संगठन अलकायदा ने तालिबान को बधाई दी, इधर भारत ने तालिबान से बात शुरू की : रवीश कुमार
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रवीश कुमार ने पीएम पर उठाया सवाल.

जल्दी ही गोदी मीडिया का ऐंकर तालिबान का स्वागत करना हुआ दहाड़ेगा, कहेगा तालिबान से हाथ मिलाकर पाकिस्तान को धूल चटा दिया मोदी ने, आप ताली बजाएंगे, बजाइये, थाली और ताली बजाने का राष्ट्रीय अनुभव किस दिन के काम आएगा....

क़तर के राजधानी दोहा में भारत के राजदूत दीपक मित्तल ने तालिबान के नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्तानकेज़ी से बात की है। शेर मोहम्मद दोहा स्थित तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख हैं। इस सूचना को भारत के विदेश मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर जारी किया है। तो अब आधिकारिक हो गया कि भारत तालिबान को मान्यता देने या उससे राब्ता रखने की दिशा में कदम उठा रहा है। विदेश मंत्रालय ने बताया है कि तालिबान की तरफ से बातचीत का प्रस्ताव आया था।

सवाल बहुत साधारण और छोटा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) तालिबान को आतंकवादी (Terrorist) मानते हैं या नहीं, दुनिया क्या मानती है इसे छोड़ दीजिए। सारी दुनिया के राष्ट्राध्यक्ष तालिबान को लेकर कम से कम खुद बयान दे रहे थे। उनके राष्ट्रहित और भू-रणनीति की राजनीति प्रभावित थी, लेकिन वे बोल रहे थे। इसलिए आप नहीं कह सकते कि भारत कोई बहुत बड़ी रणनीति बना रहा है इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तालिबान को आतंकवादी नहीं बोल रहे हैं। अपना दोस्त भी नहीं बोल रहे हैं।

उनकी चुप्पी टूटने का इंतज़ार गोदी मीडिया ने नहीं किया। गोदी मीडिया (Godi Media) ने यह तक नहीं पूछा कि तालिबान आतंकवादी है, नरेंद्र मोदी क्यों नहीं बोल रहे हैं। बेसब्र गोदी मीडिया दिन रात तालिबान के बहाने भारत के मुसलमान को तालिबानी बताने लगा, ताकि बेरोज़गार हिन्दू नौजवान मुसलमानों के बारे में तरह तरह की कल्पनाएं करने लगें और नफ़रत करने लगें। एक चैनल ने तो तालिबान की स्थापना करने वाले मुल्ला उमर Mulla Umar बेटे मुल्ला याकूब तस्वीर की जगह मेरठ के याकूब कुरैशी की तस्वीर लगा दी। तालिबान के स्वागत में बयान देने के नाम पर कुछ लोगों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए गए हैं। उसका आधार तो यही होगा कि तालिबान आतंकवादी है तो कुछ लोग इसका स्वागत कैसे कर सकते हैं, लेकिन अब जब भारत सरकार तालिबान से बातचीत करने लगी है तब इन मामलों का क्या होगा। भारत सरकार आतंकवादी से कैसे बात कर सकती है।

हमने इन सात सालों में इस मूर्खता को हासिल करने के लिए कम मेहनत नहीं की है। ज़्यादा ही मेहनत कर दी है इसलिए ये सब हो रहा है। गोदी मीडिया को लगा कि उनके नेता तालिबान को ललकारेंगे। उनकी चुप्पी का फायदा उठा कर बीजेपी के नेता, आईटी सेल और गोदी मीडिया ने तालिबान को लेकर अनाप-शनाप प्रोपेगैंडा ठेलने में लग गया। दर्शक हिन्दू बनकर आंखें फाड़कर देखने लगे। अपने पड़ोसियों को तालिबान से मिलाने में लग गए। उधर उनकी जेब से सरसों तेल के दो सौ और पेट्रोल के सौ रुपये कट गए।

भारत ने आतंकवादी तालिबान से बात की है। गोदी मीडिया और आईटी सेल क्या करेगा। तालिबान का स्वागत करेगा। क्या प्रधानमंत्री मोदी की रणनीतिक समझदारी के गुण ज़ोर ज़ोर से गाएगा कि आतंकावादी तालिबान से बात कर मोदी ने सूझबूझ का परिचय दिया है। मास्टर स्ट्रोक है। वो लोग क्या करेंगे तो हर दिन इनबाक्स में आकर पूछते थे कि आप तालिबान पर क्यों चुप हैं। हम कोई विदेश मंत्री हैं? हम भी तो यही पूछ रहे थे कि प्रधानमंत्री मोदी तालिबान को आतंकवादी क्यों नहीं कह रहे हैं। इतना सिम्पल तो है। दिक्कत क्या है। फिर अपनी पार्टी के नेताओं को रोक भी नहीं रहे कि बात बात में मुसलमानों को या विरोधियों को तालिबान कहना बंद करो। तालिबान के नाम पर वोट भी और आतंकवादी कहने के नाम पर चुप्पी भी। कमाल है।

आज एक और खबर आई है। प्रधानमंत्री ने अफगान मामलों पर एक उच्च स्तरीय समूह बना दिया गया है। आगे से तालिबान से जो बातचीत होगी उसकी जवाबदेही इस समूह पर होगी कि भारत के हित में जो सुझा रहा है उसी का अनुसरण हो रहा है। इस समूह को आगे कर प्रधानमंत्री मोदी फिर से तालिबान को आतंकवादी या पड़ोस में आया नया संबंधी कहने से बच जाएंगे। स्टेस्टसमैन की छवि बनाने में कितनी मेहनत की गई लेकिन एक स्टेटमेंट नहीं आ सका।

हिन्दी प्रदेश के युवा और घरों में बैठे रिटार्यड लोगों की दुनिया लुट गई होगी। पिछले कई दिनों से इन्हें काम मिल गया था तालिबान के नाम पर अनाप-शनाप मैसेज ठेलने की। उन्हें लगा था कि आर्थिक संकट और बेरोज़गारी से परेशान जनता को एक बार फिर से हिन्दू मुस्लिम डिबेट में धकेला जा सकता है। धकेल दीजिए। इसमें सफल होना कौन सी बड़ी बात है। लेकिन अब बाहर आकर आप स्वागत तो कीजिए कि आतंकवादी तालिबान से बात कर भारत ने अच्छा किया है। माला भी पहनाने जाना चाहिए था।

ED और गोदी मीडिया लगा कर विपक्ष को खत्म कर,, चुनावी चंदे पर नियंत्रण कायम कर मैदान खाली कर विजेता बना जा सकता है लेकिन ख़ाली मैदान में दहाड़ने वाला योद्धा विजेता ही हो यह ज़रूरी नहीं है। आगे पीछे कोई चुनौती नहीं होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने मन की बात नहीं बोल पाए कि भारत के लिए तालिबान क्या है।

मैं यह लेख इसी बात पर समाप्त करता हूं और आप अपने इनबाक्स में आतंकवादी तालिबान से प्रधानमंत्री मोदी की सरकार की बातचीत के समर्थन में आने वाले पोस्ट का इंतज़ार कीजिए। जल्दी ही गोदी मीडिया का ऐंकर तालिबान का स्वागत करना हुआ दहाड़ेगा। कहेगा तालिबान से हाथ मिलाकर पाकिस्तान को धूल चटा दिया मोदी ने। आप ताली बजाएंगे। बजाइये। थाली और ताली बजाने का राष्ट्रीय अनुभव किस दिन के काम आएगा।

वैसे आतंकी संगठन अल क़ायदा (al qaeda) ने तालिबान को बधाई दी है। आज ही भारत ने तालिबान से बात की है।

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