अलीबाबा के मालिक Jack Ma को क्यों बर्बाद करना चाहती है चीन सरकार
वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार। चीन की शी जिनपिंग सरकार को सच का आईना दिखाना देश के सबसे बड़े उद्योगपति जैक मा को भारी पड़ा है। चीन की सरकार हाथ धोकर जैक मा और उनकी कंपनियों के पीछे पड़ी है। एंटी-ट्रस्ट कानून का उल्लंघन करने के आरोप में चीन की सरकार ने दुनिया की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में से एक अलीबाबा पर 18 अरब युआन यानी 20,500 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया गया है।
चीन के मार्केट रेगुलेटर स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन फॉर मार्केट रेग्युलेशन (एसएएमआर) ने अलाबाबा होल्डिंग्स को एंटी-मोनोपोली लॉ के उल्लंघन का दोषी पाया और कंपनी पर इतना भारी-भड़कम जुर्माना लगाया। चीन की सरकार ने अलीबाबा पर आरोप लगाया था कि जैक मा की स्वामित्व वाली कंपनी अलीबाबा ने अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल करके चीन के बाजार में अपना एकाधिकार जमाया और इसका गलत फायदा उठाया।
अलीबाबा और एंट ग्रुप के साथ जैक मा की अन्य कंपनियों के खिलाफ एंटी-ट्रस्ट कानून के तहत एसएएमआर ने दिसंबर 2020 में जांच शुरू की थी और अब कंपनी को इसका दोषी पाया गया है। एसएएमआर ने कहा कि कंपनी 2015 से बाजार में अपनी दमदार स्थिति का गलत इस्तेमाल कर रही है, जो एंटी-मोनोपॉली नियमों का उल्लंघन है।
एसएएमआर ने बताया कि कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने वाले मर्चेंन्ट्स को दूसरे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स पर जाने से रोकती थी, जो चीन में प्रोडक्ट्स के फ्री ट्रेड का मर्चेंट्स के व्यापार करने के अधिकारों का उल्लंघन है। अलीबाबा ने अपना गलती मान ली है और एसएएमआर के फैसले को स्वीकार कर लिया है। कंपनी ने कहा कि वह एसएएमआर के आदेश का पालन भी करेगी और कॉरपोरेट गवर्नेंस को बढ़ावा देगी।
दरअसल, अलीबाबा ग्रुप के फाउंडर जैक मा ने अक्टूबर, 2020 में शंघाई में एक भाषण में देश के फाइनेंशियल रेगुलेटर्स और राज्य के स्वामित्व वाले बैंकों की आलोचना की थी। जैक मा ने सिस्टम में सुधारों की मांग की थी और ग्लोबल बैंकिंग रेगुलेशन को बूढ़े लोगों का क्लब बताया था। जैक मा की यह आलोचना चीन की जिनपिंग सरकार को नागवार गुजरी। इसके बाद नवंबर, 2020 में जैक मा के एंट ग्रुप के 37 बिलियन डॉलर के आईपीओ को निलंबित कर दिया गया। तभी से चीन की सरकार जैक मा पर शिकंजा कस रही है। जैक मा की कंपनियों को इससे भारी घाटा हुआ है। कंपनी के शेयर नवंबर से अब तक 30% से अधिक टूट चुके हैं।
पूरी दुनिया के लिए जैक मा की कहानी प्रेरणादायक है कि कैसे एक पूर्व अंग्रेजी शिक्षक एक सफल उद्यमी बन गया। वह तकनीकी विशेषज्ञ नहीं हैं, लेकिन वह एक महान वक्ता और चीन के साथ-साथ दुनिया भर में तकनीकी उद्यमियों के लिए प्रेरणा हैं। जब दूसरे लोग इंतजार कर रहे थे, जैक मा जल्दी से रुझानों को परख लेते थे। हालांकि उनके पास भी विफलताओं की कहानियां थीं, लेकिन उन्होंने हमेशा उससे कुछ सीखा। इसलिए, उनका उद्यम अलीबाबा चीन के सबसे बड़े ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म के रूप में विकसित हुआ है।
वर्ष 2004 में अलीबाबा पर बढ़ते ट्रैफिक को देखकर मा ने तुरंत अपने प्लेटफार्म पर निर्बाध लेनदेन के लिए तीव्र भुगतान मंच बनाया। अलीपे नामक इस तीसरे पक्ष के भुगतान ऐप ने तमाम उम्मीदों को पार करते हुए बहुत कम समय में लाखों उपयोगकर्ता हासिल किए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मासिक आधार पर सक्रिय 73 करोड़ से ज्यादा उपयोगकर्ताओं के साथ अब इस ऐप के एक अरब से ज्यादा उपयोगकर्ता हैं। इस कंपनी को बाद में ऐंट ग्रुप के रूप में नामांकित किया गया। यह कंपनी अब वित्तीय सेवाओं के लिए एक विस्तृत शृंखला प्रदान कर रही है, जिसके कारण यह पारंपरिक बैंकिंग एवं वित्तीय सेवाओं के लिए चुनौती बन गई है। ऐंट ग्रुप की लोकप्रियता और वृद्धि ऐसी थी कि 2020 के अंत में प्रस्तावित आईपीओ (प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव) के साथ सूचीबद्ध होना स्वाभाविक था। कंपनी ने एक आईपीओ में बाजार से 37 अरब डॉलर तक जुटाने की उम्मीद की थी।
चीनी सरकार और नियामक; पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना और चाइना बैंकिंग ऐंड इंश्योरेंस रेगुलेटरी कमीशन, जिसके दायरे में ऐंट ग्रुप पनपा था, ने जैक मा की इस इकाई को बड़ा होने दिया। यह दुनिया को यह दिखाने का भी तरीका था कि चीन ने उद्यमशीलता का समर्थन किया और वहां लोग व्यापार करने के लिए स्वतंत्र थे। लेकिन मा और उनकी कंपनी के लिए चीजें तब बदल गईं, जब 24 अक्तूबर, 2020 को एक शिखर सम्मेलन में भाषण के दौरान, जिसमें सरकारी मशीनरी और नियामक थे; जैक मा ने एक अप्रिय टिप्पणी की।
इस बैठक में जैक मा ने सार्वजनिक रूप से जो कहा, वह अन्यथा एक चतुर वक्ता के लिए अकल्पनीय था। मा ने वैश्विक वित्तीय नियमों के लिए बहुत जरूरी सुधारों का हवाला देते हुए अपने भाषण की शुरुआत की और चीनी बैंकिंग प्रणाली पर अनजाने में हमला किया।
यह स्वाभाविक रूप से चीनी नेतृत्व और नियामकों को अच्छा नहीं लगा। उसने ऐंट ग्रुप के संचालन में तुरंत हस्तक्षेप किया और नियमों को भी बदल दिया, जिससे आईपीओ का पालन करना मुश्किल हो गया और कंपनी को भी उसी तरीके से काम करना पड़ा।
इसके बाद आईपीओ को स्थगित कर दिया गया और जैक मा सार्वजनिक रूप से गायब हो गए। 'जैक मा कहां हैं'-यह मीडिया की सुर्खी बन गई। आधिकारिक रूप से न तो चीन की सरकार ने बताया है कि वह कहां हैं और न ही जैक मा के करीबी लोगों ने उनके बारे में कोई स्पष्टीकरण दिया है। उनकी टिप्पणी के बाद, चीन के बैंकिंग नियामक ने त्वरित उपभोक्ता ऋणों को धन देने के लिए परिसंपत्ति-समर्थित प्रतिभूतियों के उपयोग के लिए नए नियम जारी किए, जिससे विशेष रूप से ऐंट ग्रुप को अपने व्यवसाय के उस हिस्से पर लगाम लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा।
ऐसा नहीं है कि ऐंट ग्रुप इस ऋण कारोबार से बहुत पैसा कमा रहा था; लेकिन बदले में उन्हें जो मिल रहा था, वह बड़ी जानकारी (डाटा) थी कि लोगों ने कैसे पैसा कमाया और खर्च किया, जिससे उन्हें अपने वित्तीय उत्पादों को इस आधार पर आगे बढ़ाने में मदद मिली। नागरिकों के बारे में इतनी जानकारी किसी भी सरकार के लिए एक स्वाभाविक रूप से चिंता का विषय है, क्योंकि वह इस तरह की जानकारी अपने पास रखना चाहेगी।
यहीं से जैक मा के लिए मुश्किलें शुरू हुईं। वास्तव में कोई नहीं जानता कि जैक मां अभी कहां हैं, लेकिन एक चीज स्पष्ट है कि चीन के साथ-साथ अन्य देशों में भी व्यवसायों की कभी उन डाटा और जानकारी तक पहुंच नहीं हो सकती है, जिसके बारे में सरकारों और नियामकों को लगता है कि इन संस्थाओं को अनुमति देने से वे लोगों पर नियंत्रित कर सकते हैं। ऐंट ग्रुप के साथ जिस तरह का डाटा है, उसकी पहुंच के साथ वह उपयोगकर्ताओं को खर्च करने, निवेश करने और उधार लेने के लिए प्रेरित कर सकता है, क्योंकि ऐंट ग्रुप उसे सही समझता है।
हालांकि भारतीय उद्यमों-पेटीएम, जोमैटो और बिग बास्केट में जैक मा ने साल भर पहले अतिरिक्त निवेश किया था, लेकिन इन कंपनियों का भविष्य इस बात पर टिका है कि कैसे जैक मा वापसी करते हैं और अब उनका चीनी व्यवसाय कैसे काम करेगा। जैसा कि कुछ अन्य बड़े चीनी प्रौद्योगिकी दिग्गज भी विनियामक जांच का सामना कर रहे हैं, यह उन लोगों के लिए एक चेतावनी की घंटी है, जो आंख बंद करके महसूस करते हैं कि इंटरनेट पर उनकी सभी जानकारी व डाटा सुरक्षित है और उस पर उनका पूर्ण नियंत्रण है।