भारी हिंसा के बीच 7 अन्य देशों के साथ म्यांमार की सैन्य परेड में शामिल होने के लिए भारत की हो रही खिंचाई
[ प्रतीकात्मक तस्वीर, यंगून में भारतीय दूतावास के बाहर प्रदर्शन ]
जनज्वार डेस्क। सात अन्य देशों के साथ भारत ने म्यांमार की सशस्त्र सेना दिवस परेड में भाग लिया। म्यांमार में प्रदर्शनकारियों पर सैन्य कार्रवाई के बीच आठ देशों ने 27 मार्च को पड़ोसी देश के सैन्य परेड में प्रतिनिधियों को भेजने का फैसला किया।
यह बताया गया है कि भारत के अलावा, रूस, चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, थाईलैंड, लाओस और वियतनाम जैसे सात देशों ने म्यांमार की सशस्त्र सेना दिवस परेड के लिए प्रतिनिधि भेजे। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पिछले महीने एक सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार में सुरक्षा बलों ने 90 से अधिक लोगों की हत्या कर दी थी।
देश की समाचार एजेंसी म्यांमार नाउ ने दावा किया कि शनिवार को 40 शहरों में 91 नागरिक मारे गए। इसके साथ सैन्य तख्तापलट के बाद कुल 1,630 नागरिकों की मौत हो चुकी है।
रविवार 28 मार्च को संयुक्त राष्ट्र ने एक फरवरी को सत्ता पर कब्जा करने वाली म्यांमार सेना के शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के खिलाफ तेजी से व्यवस्थित हमलों, साथ ही साथ मानवाधिकारों के अन्य गंभीर उल्लंघनों के कारण भर्त्सना की है।
ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और अमेरिका सहित 12 देशों के रक्षा प्रमुखों ने रविवार को "निहत्थे लोगों के खिलाफ घातक बल प्रयोग" की निंदा की और इसे तख्तापलट के बाद से सबसे खूनी दिन बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने तो यहां तक कहा कि 'यह भयावह है। यह पूरी तरह क्रूरता है। और मुझे जो खबर मिली है उसके मुताबिक काफी संख्या में लोगों को बेवजह मारा गया है।' म्यांमार में शनिवार 27 मार्च का दिन सबसे खूनी हिंसा का रहा था और म्यांमार की सेना ने सड़कों पर खून की होली खेलकर कम से कम 114 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
खबरों के मुताबिक 27 मार्च को मारे गए लोगों में कथित रूप से एक 13 साल की बच्ची भी शामिल है, जिसके घर में घुसकर सैनिकों ने उसे गोली मार दी। म्यांमार के सैनिकों ने मेइखतिला के आवासीय इलाके में गोलीबारी की। म्यांमार नाउ की रिपोर्ट के मुताबिक अब तक इस हिंसा में करीब 20 नाबालिग बच्चे भी मारे गए हैं। देश में पिछले महीने हुए तख्तापलट के विरोध में हो रहे प्रदर्शन को दबाने के लिए सैनिक और पुलिसकर्मी लोगों को गोली मार दे रहे हैं।
पिछली 1 फरवरी को सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका था।
आठ देशों के प्रतिनिधियों ने नायपीटाव में म्यांमार सैन्य परेड में भाग लिया, जिसे प्रदर्शनकारियों को डराने के लिए स्पष्ट रूप से लाइव टीवी पर प्रसारित किया गया था। म्यांमार में भारत के प्रतिनिधि ने भी सेना की परेड में भाग लिया।
परेड में भारत की मौजूदगी ऐसे समय में आई है जब नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार की म्यांमार में सैन्य तख्तापलट पर चुप्पी और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हिंसा पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
म्यांमार की मौजूदा स्थिति पर भारत ने अभी "गहरी चिंता" जताई है। इसने कानून के शासन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बरकरार रखने का आह्वान किया है।
भारत ने अभी तक म्यांमार में प्रदर्शनकारियों पर अत्याचारों की निंदा नहीं की है। म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक और जूंटा-विरोधी समूहों ने सैन्य प्रतिनिधि को भेजने पर भारत की आलोचना की है।