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China on Taiwan : चीन की अमेरिका को धमकी, यहां पर किया हस्तक्षेप तो चुकानी पड़ेगी कीमत

Janjwar Desk
2 March 2022 3:19 AM GMT
China on Taiwan : चीन की अमेरिका को धमकी, यहां पर किया हस्तक्षेप तो चुकानी पड़ेगी कीमत
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China on Taiwan: अमेरिका के 'ज्वाइंट चीफ्ट ऑफ स्टाफ' के पूर्व अध्यक्ष माइकल मुलेन समेत पांच सदस्यों का दल का ताइपे पहुंचने के बाद चीन ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।

China on Taiwan : एक तरफ रूस का भीषण हमला यूक्रेन के कई शहरों पर जारी है तो दूसरी ओर ताइवान (Taiwan) के मुद्दे पर चीन (China) ने अमेरिका (US) धमकी दी है। चीन ने खुली धमकी देते हुए कहा है कि अगर अमेरिका ताइवान की आजादी का समर्थन करता रहा तो उसे भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। चीन ने ये धमकी उस समय दी है जब अमेरिकी अधिकारियों का एक दल ताइवान की राजधानी ताइपे में है।

एच चीन की नी​ति का पालन करे अमेरिका

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वेन वेनबिन ने कहा है कि ताइवान के लिए अपने तथाकथित समर्थन का प्रदर्शन करने के लिए किसी को भी भेजने के अमेरिकी कोशिश बेकार है। अमेरिका की बेहतरी इसी में है कि वो एक-चीन के सिद्धांत का पालन करे।

दरअसल, अमेरिका के 'ज्वाइंट चीफ्ट ऑफ स्टाफ' के पूर्व अध्यक्ष माइकल मुलेन समेत पांच सदस्यों का दल ताइपे में है। इस दल का ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू ने स्वागत किया है। ये दल दो दिन में राष्ट्रपति साई इंग वेन समेत दूसरे अधिकारियों से मुलाकात करेगा। अमेरिका ने ये दल ताइवान के साथ समर्थन जताने के लिए भेजा है। इस बात से चीन चिढ़ गया है।

अमेरिका को है इस बात की आशंका

बता दें कि अमेरिका को ताइवान में यूक्रेन जैसे हमले की आशंका सता रही है। बीते कुछ महीनों में चीन ने अपनी सैन्य तैयारियां तेज की हैं। चीन बार-बार लड़ाकू जेट्स को ताइवान की सीमा पर भेजता है। कई बार चीनी युद्धपोत ताइवान की जलसीमा में भी दाखिल हो चुके हैं। चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता रहा है।

1972 में अमेरिका ने किया था एक चीन नीति का समर्थन

साल 1972 में अमेरिका ने एक चीन की नीति का समर्थन किया था। 1972 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन की यात्रा की थी। इस यात्रा के दौरान ही सात साल बाद चीन और अमेरिका के राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे। इसके बाद अमेरिका ने ताइवान से संबंध खत्म कर लिए थे। अब भी अमेरिका के ताइवान से आधिकारिक रूप से संबंध नहीं हैं। इसके बावजूद अब अमेरिका ताइवान को रक्षा के लिए हथियारों की आपूर्ति करता है। यूक्रेन में अमेरिका ने कमजोरी दिखाई और इस कमजोरी का फायदा उठाने की कोशिश चीन जरूर करेगा।

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