बढ़ते रंगभेद के बीच जॉनसन एंड जॉनसन ने लिया गोरेपन की क्रीम नहीं बेचने का निर्णय
महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी
जनज्वार। सौन्दर्य प्रसाधन के उत्पाद बनाने वाली प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन ने घोषणा की है कि जल्दी ही वह गोरेपन का लोशन बेचना छोड़ देगी। इसका उत्पादन उसने बंद कर दिया है, और अब न्युट्रोजेना और क्लीन एंड क्लियर नामक लोशन जितने भी बाज़ार में हैं उनके बिकने के बाद नयी आपूर्ति नहीं होगी। ये दोनों लोशन अमेरिका में नहीं बिकते थे, बल्कि एशिया और मध्य-पूर्व के बाज़ार में बिकते थे।
कंपनी का कहना है कि यह उनकी बैठक में फैसला लिया गया है, जिसमें कुछ लोगों ने अपनी राय रखी थी कि इस तरह के उत्पादों से रंगभेद की झलक मिलती है। इन उत्पादों से ऐसा लगता है जैसे गोरा रंग ही दुनिया में सबसे अच्छा है और सबको गोरा ही होना चाहिए।
जॉनसन एंड जॉनसन के प्रवक्ता के अनुसार ये सभी उत्पाद रंग को गोरा बनाने के लिए बनाए ही नहीं गए थे, बल्कि इनका विज्ञापन भी केवल काले धब्बे मिटाने की बात करता है। पर, कंपनी को यह भी पता है कि अधिकतर ग्राहक इसे गोरेपन की क्रीम समझते हैं। जाहिर है इससे कुछ लोगों के मस्तिष्क में स्वतः रंगभेद उभरने लगता है और वे दूसरे रंग वालों से अपने आप को अधिक महान बनाने का इसे एक तरीका समझते हैं।
इन उत्पादों को खरीदने वाले जाहिर है, गोरे रंग को श्रेष्ठ मानते हैं और अपने रंग से संतुष्ट नहीं हैं। जॉनसन एंड जॉनसन का कहना है कि रंग का कोई महत्व नहीं है, स्वस्थ्य त्वचा ही खूबसूरत त्वचा है। कंपनी की वेबसाइट से इन दोनों उत्पादों के लिंक भी जल्दी ही हटा लिए जायेंगे।
जॉनसन एंड जॉनसन के एक बहुचर्चित उत्पाद बैंड ऐड पर भी यह आरोप लगता रहा है कि उसका रंग इस तरह का रखा गया है जो केवल गोरे रंग के लोगों की त्वचा के रंग से ही मैच करता है। हाल में ही इंस्टाग्राम पर कंपनी ने बताया है कि जल्दी ही त्वचा के विभिन्न रंगों के हिसाब से बैंड ऐड बाजार में उतारे जायेंगे। वर्ष 2005 में भी कंपनी ने ऐसा किया था, पर इसका बाज़ार नहीं था, पर अब फिर से ऐसा किया जाएगा। कंपनी ने कहा कि रंगभेद विरोधी आन्दोलन के साथ उसका पूरा समर्थन है।
अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस द्वारा ह्त्या के बाद अमेरिका में पनपा रंगभेद विरोधी आन्दोलन एशिया को छोड़कर शेष दुनिया में फ़ैल चुका है। ऐसे में बाजार पर भी इसका प्रभाव पड़ना तय है। अनेक उत्पाद जिससे रंगभेद की बू आती थी, या फिर जिनके नस्ल प्रधान लोगो थे, नए तरीके से उत्पाद को बाजार में उतार रहे हैं। क्वेकर ओट्स नामक कंपनी के उत्पाद में एक अश्वेत महिला, आँट जेमिमा, अपने परम्परागत स्वरुप में दिखतीं थी। अब कंपनी अपना यह लोगो बदलने की तैयारी में है। इसी तरह क्रीम ऑफ़ वीट, अंकल बेन्स राइस और मिसेज बटरवर्थ नामक उत्पादों के लोगो भी बदले जा रहे हैं, इन सबमें भी अफ्रीकन अमेरिकन चेहरे हैं।
इन सबके बीच आप फेयर एंड लवली नामक क्रीम का क्या करेंगे, जिसके विज्ञापन सुबह से शाम तक सभी टीवी चैनलों पर चलता रहता है। इसके विज्ञापन में तो स्पष्ट तौर पर दिखाया जाता है कि किस तरह यह करें कुछ ही दिनों में रंग बदलकर आपको गोरा बना देती है। अब तक लगभग ग्यारह हजार लोगों ने इस क्रीम को बनाने वाली कंपनी यूनिलीवर को पत्र लिखकर इस उत्पाद को बाजार से हटाने को कहा है। यूनिलीवर ने इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया है।
हमारे देश के बाजार तो देसी और तथाकथित हर्बल फेयरनेस क्रीम और लोशन से भरे पड़े हैं, जो दिन-रात विज्ञापनों में लोगों को काले या सांवले से गोरा बनाते हैं, क्या ये सभी उत्पाद भी रंगभेद के विरोध में कभी बाजार से हटेंगे?