UNHRC में मानवाधिकार के मसले पर हुई मोदी सरकार की खिंचाई, रणनीतिक साझेदार अमेरिका ने भी CAA को बताया अल्पसंख्यक विरोधी
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जेनेवा। स्विटजरलैंड की राजधानी जेनेवा में मानवाधिकार ( Human right ) के मसले पर यूएनएचआरसी की बैठक ( UNHRC meeting ) सात नवंबर से जारी है। खास बात ये की ताजा बैठक में खुद को भारत ( India ) का रणनीतिक साझेदार बताने वाला और सुपरपावर अमेरिका ( America ) ने भारत की जमकर की खिंचाई की है। इतना ही नहीं, भारत से कई तीखे सवाल भी पूछे हैं। अमेरिका, बेल्जियम, कनाडा, सहित कई देशों ने यूएनएचआरसी (UNHRC) में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), हिजाब ( Hijab ), धर्मांतरण ( conversion act ) और हेट स्पीच ( Hate Speech ) को लेकर भारत से चुभते सवालों के जवाब भी मांगे हैं।
सीएए, एफसीआरए और धर्मांतरण विरोधी कानून पर उठे सवाल
हालांकि, सदस्य देशों के सवालों का जवाब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता डटकर दे रहे हैं। उन्होंने यूएन के सदस्य देशों को समझाने की कोशिश की है। 18 नवंबर तक चलने वाली इस बैठक में भारत की ओर से सौंपी गई राष्ट्रीय रिपोर्ट की भी समीक्षा की जाएगी। बैठक में पत्रकारों और ह्यूमन राइट्स के लिए काम करने वाले लोगों के साथ सरकार के व्यवहार, CAA, फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (FCRA), धर्मांतरण विरोधी कानून जैसे मुद्दों पर सवाल भारत से किए जा रहे हैं।
फिलहाल, यूएनएचआरसी ( UNHRC ) में अमेरिका ( America ) और बेल्जियम ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को 'अल्पसंख्यक विरोधी' करार दिया है। भारत से पूछा है कि क्या इस कानून को निरस्त किया जाएगा। बेल्जियम ने ये भी कहा कि क्या भारत सरकार अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने वाले CAA और धर्मांतरण विरोधी कानूनों को निरस्त करेगी। दोनों देशों ने ये भी पूछा कि क्या भारत सरकार ये सुनिश्चित करेगी कि उनके देश में पत्रकारों, ह्यूमन राइट्स और सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन्स को अभिव्यक्ति, अपने अधिकारों का प्रयोग करने और विरोध प्रदर्शन करने की खुली आजादी है। बता दें कि UNHRC में एक दिन पहले हुई बैठक को लेकर अमेरिका, बेल्जियम, स्पेन, पनामा, कनाडा और स्लोवेनिया ने अपने सवाल परिषद में पहले ही पेश कर दिए थे।
अमेरिका ने भारत की दुखती रग पर रखा हाथ, हिजाब पर मांगा जवाब
अमेरिका ने भारत में मानवाधिकार को लेकर सख्त टिप्पणियां भी की हैं। अल्पसंख्यकों की स्थिति, हिंदूवादी संगठनों, एक्टिविस्ट के अधिकारों और गोहत्या कानूनों से जुड़े आठ सवाल अब तक पूछे हैं। अमेरिका ने भारत में हिजाब के मुद्दे पर पिछले कुछ समय पहले हुए विवाद का जिक्र करते हुए कहा कि भारत के एक राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में धार्मिक पोशाक पहनकर जाने पर काफी विवाद हुआ था। हम उन घटनाओं को लेकर भी चिंतित हैं, जिनमें धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों को डराया-धमकाया गया। क्या भारत सरकार बताएगी कि वो धार्मिक अल्पसंख्यक समूहों को भेदभाव से बचाने के लिए क्या कदम उठा रही है। यूएस डेलिगेट्स ने भारत सरकार से ये भी पूछा है कि यूएपीए (Unlawful Activities Prevention Act (UAPA), एनएसए, सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 499 और 500 जैसे कानूनों में मानवाधिकार को लेकर भारत अपनी प्रतिबद्धता का किस तरह पालन कर रहा है। अल्पसंख्यकों के खिलाफ जारी ज्यादती पर क्या कार्रवाई कर रहा है।
नये कानूनों से सबकी सुरक्षा करने में मिलेगी मदद
UNHRC News : भारत प्रतिनिधि ने इन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानूनों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। इन मसलों को सदस्य देशों को बेहतर समझ विकसित करने की जरूरत है। तुषार कपूर ने कहा कि सीएए उन कानूनों की तरह हैं जो अलग-अलग देशों में नागरिकता के लिए मानदंड तैयार करते हैं। इस कानून में परिभाषित मानदंड भारत और उसके पड़ोस के लिए विशिष्ट है और ऐतिहासिक संदर्भ और वर्तमान जमीनी वास्तविकताओं को ध्यान में रखता है। सीएए का मकसद भारत के पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के 6 अल्पसंख्यक समुदाय हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई लोगों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर भारतीय नागरिकता मिलने में मदद करता है। ये कानून पड़ोसी देशों के धार्मिक आधार पर पीड़ित हुए लोगों को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने में सक्षम बनाएगा। यह अधिनियम न तो किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता छीनता है और न ही किसी भी धर्म से संबंधित किसी भी विदेशी को भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की मौजूदा प्रक्रिया में संशोधन करता है।
मेहता ने इस बात का भी जिक्र किया कि भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार की गारंटी देता है। किसी भी अन्य स्वतंत्रता की तरह, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रकृति में पूर्ण नहीं है और भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, दूसरे देशों के साथ संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, शालीनता या उसके हित में उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इन प्रतिबंधों की कल्पना राष्ट्रीय और सार्वजनिक हितों की रक्षा के लिए की गई है और इन्हें काफी हद तक पूरा करने की आवश्यकता है। उचित प्रतिबंध लगाने से हेट स्पीच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को विनियमित करने में मदद मिलती है।