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Pakistan News : अविश्वास प्रस्ताव मंजूर, जानिए पीएम इमरान खान की वो 10 कमजोरियां जिसके कारण खतरे में है उनकी कुर्सी

Janjwar Desk
29 March 2022 7:30 AM IST
अविश्वास प्रस्ताव मंजूर, जानिए पीएम इमरान खान की वो 10 कमजोरियां जिसके कारण खतरे में है उनकी कुर्सी
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पाकिस्तान पीएम इमरान खान।

Pakistan News : 2018 में इमरान खान सेना के सहयोग से पाकिस्तान में सरकार बनाने में कामयाब हुए थे। विपक्षी पार्टियां अब उसी रणनीति के तहत उन्हें सत्ता से बेदखल करने पर आमदा है।

Pakistan News : पिछले कुछ महीनों से पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता का दौर बरकरार है। सेना की बेरूखी से इमरान खान ( Imran Khan ) मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। पीटीआई के 24 सांसद बागी हो गए हैं। इसका लाभ उठाकर सियासी विरोधियों ने पाक नेशनल असेंबली ( National Assembly ) में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। 31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदाना होना है। माना जा रहा है कि इस बार वो नेशनल असेंबली में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे। यानि वह अपनी सरकार का कार्यकाल पूरा होने से एक साल पहले सत्ता से बेदखल हो सकते हैं। आइए, हम आपको बताते हैं कि आखिर ऐसा क्या हो गया जिसकी वजह से इमरान ( PM Imran Khan ) सरकार की कुर्सी खतरे में है।

ये हैं इमरान खान की 10 कमजोरियां

1. करीब चार साल पहले लोगों को नए पाकिस्तान का ख्वाब दिखा कर इमरान खान ( Imran Khan ) की पार्टी पीटीआई सत्ता में आई थी। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, युवाओं को रोजगार मुहैया कराने, विकास को बढ़ावा देने जैसे वादे उन्होंने अवाम से किए थे, जो अभी तक पूरा नहीं कर पाये।

2. कट्टरपंथी ताकतों को समर्थन देने की नीतियों की वजह से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाल दिया था। इससे वहां की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। पाकिस्तान को हर साल करीब 10 अरब डालर का नुकसान हो रहा है। इस सूची से देश को बाहर निकलने में वो पूरी तरह विफल रहे हैं।

3. पाकिस्तान में एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता का संकट गहरा गया है। वहां पर अगले साल आम चुनाव होने हैं। उसके पहले कई विपक्षी दल लामबंद होकर इमरान खान की सरकार को हटाने के लिए आंदोलन चला रहे हैं।

4. पाकिस्तान ( Pakistan ) में बढ़ती महंगाई, बेतहाशा कर्ज, महिलाओं पर अत्याचार, मुल्क के कई हिस्सों में अलगाववादी आंदोलन और अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद पाकिस्तान आने वाले शरणार्थी संकट ने इमरान सरकार की मुश्किलों बढ़ा दी हैं। इसके अलावा सरकार की तरफ से लागू की गई नई कर नीतियों ने आम जनता के जीवन को जोखिम में धकेल दिया है।

5. पाकिस्तान के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक लगभग आधे वक्त तक सेना ने सीधे तौर पर शासन किया है। पाकिस्तान की चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार में भी सुरक्षा और विदेशी मामलों में सेना का पूरा दखल रहता है। यदि कोई राजनीतिक दल सेना के हितों को प्रभावित करने की कोशिश करता है तो फिर उसके लिए सत्ता में बने रह पाना मुश्किल हो जाता है। इस कड़ी को इमरान खान तोड़ नहीं पाये। पहले की तरह उनका पाक सेना के साथ अब बेहतर रिश्ता नहीं रहा। इसलिए अब उनका सत्ता में बने रहना लगभग मुश्किल है।

6. पिछले कुछ समय से पाकिस्तान में कोई भी नेता सर्वमान्य नहीं है। जन असंतोष के चलते इमरान खान पहले की तरह लोकप्रिय नहीं रहे। पार्टी सांसदों के बागी रुख की वजह से इमरान खान की पार्टी नेशनल असेंबली में अल्पमत में आ गई है। तमाम राजनीतिक दल इमरान खान का विरोध कर रहे हैं। इसका लाभ पाकिस्तानी सेना उन्हें सत्ता से बेदखल करना चाहती है।

7. पाक नेशनल असेंबली में विपक्ष का अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो गया है। 31 मार्च को इस पर मतदान होना है। 342 सदस्यी असेंबली में इमरान सरकार को 172 सांसदों का समर्थन चाहिए। इमरान सरकार के पास 155 सांसद हैं। उनके अपने ही 24 सांसद बागी हो गए हैं। ऐसे में उनकी सरकार का गिरना तय माना जा रहा है।

8. राजनीतिक रूप से धुर विरोधी मानी जाने वाली आसिफ अली जरदारी, मौलाना फजलुर्रहमान और शाहबाज शरीफ इमरान खान ने सियासी तौर पर हाथ मिला लिया है। इस बार इमरान खान विरोधी गठजोड़ को तोड़ नहीं पा रहे हैं।

9. एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर इस समय करीब 51 लाख करोड़ ( पाकिस्तानी ) रुपए का कर्ज और देनदारियां हैं। इसमें से करीब इक्कीस लाख करोड़ रुपए का कर्ज सिर्फ वर्तमान सरकार के कार्यकाल के दौरान बढ़ें हैं। इमरान खान विदेशी कर्जों की रिकार्ड अदायगी का दावा तो करते हैं, लेकिन हकीकत में उनके कार्यकाल के दौरान देश का कुल विदेशी कर्ज अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है।

10. साल 2018 के आम चुनाव में इमरान खान की पार्टी पीटीआई सेना के सहयोग से सरकार बनाने में कामयाब हुई थी। अब वह उसी मामले में कमजोर साबित हो रहे हैं। विपक्षी पार्टियां अब उसी रणनीति के तहत उन्हें सत्ता से बेदखल करने पर आमदा है।

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