अंतर्राष्ट्रीय खेलों से क्यों 'गायब' हो जाते हैं खिलाड़ी? ना सिर्फ एथलीट, कोच भी गेम छोड़कर भाग जाते हैं

बर्मिंघम में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स 8 अगस्त को खत्म हो जाएंगे. इन खेलों में एक बार भारतीय खिलाड़ियों ने अपने देश के परचम की लाज रखते हुए मेडलों के ढेर लगा दिए हैं. लेकिन हम इस रिपोर्ट में भारत या फिर मेडल की बात करने नहीं आएं हैं बल्कि खिलाड़ियों के गायब हो जाने को लेकर कुछ बातें करने आए हैं. चार दिन पुरानी बात है कि राष्ट्रमंडल खेलों के लिए पहुंची श्रीलंकाई टीम ने अपने खिलाड़ियों और अफसरों को पासपोर्ट जमा कराने को कहा है कि क्योंकि टीम में शामिल तीन मेंबर्स गायब हो गए हैं. भारी आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका ने खेलों के लिए 51 अफसरों समेत 161 मेंबरी टीम को भेजा था. बताया गया कि गायब होने वाले खिलाड़ियों में एक जूडो खिलाड़ी, एक पहलवान और जूडो मैनेजर गायब हो गए हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका के लिए ऐसी घटना कोई नई नहीं है. घरेलू उथल-पुथल और गृहयुद्ध के वर्षों में अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के दौरान देश ने कई एथलीटों को गायब होते देखा है. इससे पहले साल 2004 में 'फ्रेंडली गेम्स' के लिए जर्मनी का दौरा करते वक्त 23 सदस्यीय "हैंडबॉल टीम" गायब हो गई थी. श्रीलंका के खेल अफसरों ने दावा किया था कि उन्हें नहीं पता था कि देश में ऐसी टीम भी थी.
हालांकि यह पहली बार नहीं जब खिलाड़ी गायब हुए हैं. 2018 में गोल्ड कोस्ट में या इससे पहले हुए कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान भी कई खिलाड़ी लापता हो गए थे. लेकिन 2018 इन मामलों की वजह से ज्यादा सुर्खियों में रहा था. क्योंकि 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स से कैमरून, युगांडा, सियेरा लियाने और रवांडा के करीब 13 खिलाड़ी लापता हो गए थे. इसके बाद खबर आई थी कि अफ्रीका के करीब 100 खिलाड़ी और अफसर गेम्स के बाद लापता हो गए थे. इतना ही नहीं कई खिलाड़ी तो अपने गेम्स को छोड़कर ही भाग गए थे.
खिलाड़ी वापस क्यों नहीं जाना चाहते अपने देश
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसी जो खिलाड़ी वहां से भाग जाते हैं वो अपने घर वापस नहीं लौटना चाहते थे. क्योंकि उन्हें अपने देश के हालात कुछ ठीक नहीं लगते. खेलों के बीच गायब होने वाले खिलाड़ी ज्यादातर उन देशों के रहे हैं जो अपनी घरेलू समस्याओं से बुरी तरह जूझ रहे होते हैं. ये खिलाड़ी गैरकानूनी तरीके से उन्हीं देशों में रहते हैं. कुछ एथलीट स्थायी रूप से बस जाते हैं, नौकरी करते हैं और घर वापस पैसा भेजते हैं. हालांकि कुछ एथलीट बाद में घर भी जाते हैं. उनके घर पर किसी तरह की परेशानी हो जाने या फिर उचित दस्वातेज़ ना होने की वजह से भी वो वहां से चले अपने घर वापस चले जाते हैं. हालांकि इन एथलीट्स को बाद में बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.