Begin typing your search above and press return to search.
दुनिया

विंटर ओलंपिक 2022: मानवाधिकार मुद्दे पर चीन को क्यों घेर रहे हैं कुछ देश ?

Janjwar Desk
19 March 2021 3:19 PM IST
विंटर ओलंपिक 2022: मानवाधिकार मुद्दे पर चीन को क्यों घेर रहे हैं कुछ देश ?
x
चीन का दावा है कि उसने पिछले दशकों में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। शिनच्यांग उईगुर स्वायत्त प्रदेश में भी लगभग वहीं कार्य किए हैं, जैसे कि देश के अन्य हिस्सों में। इससे साफ हो जाता है कि चीन में मानवाधिकार उल्लंघन जैसी कोई समस्या मौजूद नहीं है।

बीजिंग से अनिल आजाद पांडेय की रिपोर्ट

चीन ने लगभग 12 साल पहले 2008 में ओलंपिक का जबरदस्त आयोजन कर दुनिया को यह दिखा दिया था कि वह क्या करने में सक्षम है। अब दूसरी बार इस तरह के बड़े आयोजन करने का अवसर चीन को हासिल हो रहा है। 2008 की ही तरह 2022 के शीतकालीन ओलंपिक को भी चीन एक मिसाल बनाना चाहता है। ऐसा उदाहरण पेश करना चाहता है कि विश्व के दूसरे देश यह जान सकें कि कोरोना के दौर में भी बहुत कुछ संभव है। इसके लिए चीन ने तैयारी आदि में कोई कमी नहीं छोड़ी है, और विंटर ओलंपिक शुरू होने में अब लगभग 321 शेष हैं।

लेकिन इस बीच कनाडा आदि कुछ देश चीन को मानवाधिकार मुद्दे पर घेर रहे हैं। यहां तक कि वे चाहते हैं कि चीन आगामी विंटर ओलंपिक का आयोजन ही न कर पाए। कनाडा के कुछ नेता शिन्चयांग में मानवाधिकार हनन होने का आरोप मढ़ रहे हैं। इसमें प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी शामिल हैं। उनका कहना है कि अगर चीन में इस तरह की घटनाएं जारी रहीं तो ओलंपिंक खेलों को कहीं और शिफ्ट करवा देना चाहिए। इसके लिए वे ओलंपिक कमेटी में भी मामला उठाने वाले हैं।


हालांकि चीन बार-बार कहता रहा है कि, वह शिन्चयांग के नागरिकों का भी पूरा खयाल रखता है। इस बाबत चीन ने आंकड़े भी पेश किए हैं। जिसमें हाल के वर्षों में वहां के स्थानीय लोगों की आबादी में इजाफा होने और धार्मिक स्वतंत्रता आदि की बात की गयी है।हालांकि यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि खेल विशुद्ध खेल होते हैं, उन्हें राजनीति से नहीं जोड़ना चाहिए। मैं यहां पेइचिंग ओलंपिक से पूर्व तत्कालीन ओलंपिक कमेटी के उस बयान का उल्लेख करना चाहूंगा। जिसमें कमेटी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि, हमारा कार्य ओलंपिक खेलों का सफल आयोजन है। हम अन्य मुद्दों पर ध्यान नहीं देते। उस समय आईओसी के अध्यक्ष जैक रोग्गे ने कड़े शब्दों में कहा कि ओलंपिक में राजनीति का कोई स्थान नहीं है। उक्त वक्तव्य को वर्तमान संदर्भ में जोड़कर देखा जा सकता है। कोरोना के प्रसार की बात हो या अन्य मसले, कुछ देश चीन पर बार-बार आरोप लगाते रहे हैं। पर चीन का कहना है कि विरोध के पीछे उनके अपने हित हैं, ऐसे में अन्तर्राष्ट्रीय जगत को चीन की चिंताओं पर गौर करना चाहिए।

चीन का दावा है कि उसने पिछले दशकों में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। शिनच्यांग उईगुर स्वायत्त प्रदेश में भी लगभग वहीं कार्य किए हैं, जैसे कि देश के अन्य हिस्सों में। इससे साफ हो जाता है कि चीन में मानवाधिकार उल्लंघन जैसी कोई समस्या मौजूद नहीं है।

गौरतलब है कि 2008 के पेइचिंग ओलंपिक से पहले भी कुछ देशों ने तिब्बत मुद्दे को उछालकर चीन को दोषी ठहराने की कोशिश की। लेकिन चीन ने उक्त बातों पर ज्यादा ध्यान न देकर ओलंपिक के आयोजन पर पूरा ध्यान दिया। उसके चलते 2008 में चीन ने विश्व को अपना करिश्मा दिखाया, जिसके बाद हर कोई देश चीन को ज्यादा महत्व देने लगा। क्योंकि पेइचिंग ओलंपिक से पहले किसी को चीन में ऐसे शानदार आयोजन की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। लेकिन चीनी एथलीटों ने इसमें न केवल सबसे अधिक मैडल हासिल किए, बल्कि चीनी लोगों की मेजबानी ने भी सबका दिल जीत लिया।

लगभग वैसी ही स्थिति अगले साल के शीतकालीन ओलंपिक को लेकर पैदा की जा रही है, पर चीन की संबंधित एजेंसियां मेहनत से विभिन्न खेल स्थलों और संसाधनों को तैयार करने में जुटी हैं।

(लेखक चाइना मीडिया ग्रुप में वरिष्ठ पत्रकार हैं और पिछले 11 वर्षों से चीन में कार्यरत हैं।)

Next Story

विविध