World News : दुनिया की जेलों की दो तस्वीरें : इक्वाडोर में कैदियों की हिंसक झड़प में 30 की मौत, नीदरलैंड में बंद हो रहीं जेलें
(इक्वाडोर की जेलों में हिंसा और नीदरलैंड में कैदियों की कमी से जेलें बंद)
World News जनज्वार। दुनिया के दो देशों के जेल अपने अलग अगल कारणों के चलते लोगों के बीच में चर्चा में हैं। एक जेल में कैदियों की बड़ी संख्या की बजह से सामूहिक संघर्ष इस कदर बढ़ गया कि दो दिन पूर्व 30 लोगों की मौत हो गई अभी चार दर्जन से अधिक कैदी जीवन व मौत के बीच जूझ रहे हैं। उधर दुनिया में एक देश इस रूप में पहचान बना रहा है कि कैदियों के अभाव में वहां के जेलों में लगातार स्थाई रूप से तालाबंद हो रहे हैं।
जेल की दो परिस्थितियों पर चर्चा करने के दौरान पहले बात करते हैं इक्वाडोर (Equador) के तटीय शहर ग्वायाकिल के एक प्रायद्वीप स्थित जेल की। यहां हिंसक झड़प (Violent Clash) के दौरान 30 कैदियों की मौत हो गई और 47 अन्य घायल हो गए। पुलिस और सेना करीब पांच घंटे बाद ग्वायाकिल क्षेत्रीय जेल पर हालात काबू में कर पाई। इस हिंसक झड़प में गोलियां भी चलीं, चाकू भी चलाए गए और धमाके भी हुए। जेल में 'लॉस लोबोस' और 'लॉस चोनेरोस' गिरोह के बीच यह हिंसक झड़प हुई। टेलीविजन पर दिखाई जा रही तस्वीरों में कैदियों को जेल की खिड़कियों से गोलियां चलाते देखा जा सकता है।
गुआस सरकार ने अपने ट्विटर अकाउंट पर भी कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिसमें जेल के एक हिस्से से छह रसोइयों को निकाले जाते देखा जा सकता है। इससे पहले, देश की एक जेल में जुलाई में हुई हिंसक झड़प में 100 से अधिक कैदी मारे गए थे।
दूसरी तरफ नीदरलैंड (NetherLands) की जेलों में इतने कम क़ैदी आ रहे हैं कि पिछले कुछ सालों में 19 से ज़्यादा जेल बंद करने पड़ गए हैं और अगले साल कई और जेल बंद करने की योजना है। इस देश में क्राइम रेट इतना घट गया है कि यहां जेल में कैदियों की किल्लत हो गई है। हालत ऐसी हो गई है कि यहां की जेलें बंद होने के कगार पर है। ऐसे में अब ये देश पड़ोसी देशों से कैदियों की डिमांड कर रहा है।
जबकि एक दशक पहले नीदरलैंड की जेलों में बड़े पैमाने पर क़ैदी थे और यूरोप में जेल जाने वालों की सबसे बड़ी तादाद नीदरलैंड (NetherLands) में ही थी। अब हालात ऐसे हैं कि यहां जेल जाने वाले की दर एक लाख लोगों पर सिर्फ़ 57 की है, जो इंग्लैंड और वेल्स की तुलना में बेहद कम है। साल 2005 में नीदरलैंड में बड़े पैमाने पर ड्रग माफियाओं के पकड़े जाने की वजह से क़ैदियों की संख्या में इतनी बढ़ोत्तरी देखी गई थी। क्रिमिनल लॉ की प्रोफेसर पॉलिन स्कॉट के मुताबिक़ अब नीदरलैंड की पुलिस की प्राथमिकताएं सिर्फ़ ड्रग्स तक ही सीमित नहीं रह गई हैं। वो कहती हैं, "पुलिस अब ड्रग्स पर नहीं, बल्कि मानव तस्करी और चरमपंथ पर अपना ध्यान लगा रही है।"
इसके अलावा एक बड़ी वजह क़ैदियों को सुधारने को लेकर किए गए प्रयास हैं। लेकिन नीदरलैंड (NetherLands) में अपराध कम करने में एकमात्र यही वजह नहीं है। नीदरलैंड में जज अक्सर क़ैदियों को जेल की सज़ा देने के बजाय समाजसेवा और जुर्माना जैसी सज़ाएं देते हैं। नीदरलैंड में जेलों की व्यवस्था देखने वाली डायरेक्टर एंजेलीन वान डैक का कहना है कि जेल सिर्फ़ उन्हीं क़ैदियों को भेजा जाता है, जिनसे इस बात का ख़तरा रहता है कि वो बाहर जाकर ख़तरनाक साबित होंगे। वो कहती हैं, "कभी-कभी बेहतर यही होता है कि लोग अपने परिवार और अपने काम-धंधों को करते हुए ही दूसरे तरीकों से सज़ा भुगतें।"
आगे वो जेल में क़ैदियों की कम संख्या होने के बारे में बताती हैं, "चूंकि हमारे यहां कम समय के लिए जेल की सज़ा होती है और अपराध दर भी कम हो रहा है, इसलिए हमारे जेलों में अब क़ैदियों की संख्या कम होती जा रही है।"
पड़ोसी देशों से आ रहे कैदी
नीदरलैंड में जेल वीरान है। लेकिन उसके पड़ोस में बसे देश नार्वे में अपराध दर काफी ज्यादा है। ऐसे में अब नार्वे से कैदियों को नीदरलैंड (NetherLands) भेजा जा रहा है। ऐसा 2015 से हो रहा है। दरअसल, नार्वे में अपराध इतना ज्यादा है कि वहां कैदियों को रखने के लिए जेल में जगह की कमी हो रही है। इस कारण उन्हें नार्वे से नीदरलैंड भेजा जा रहा है।
अगर नीदरलैंड (NetherLands) के जेल बंद हो गए तो देश पर कई तरह के प्रभाव पड़ेंगे। अगर जेल बंद हुए त्यों वहां काम करने वाले लोग बेरोजगार हो जाएंगे। इसके बाद लगभग 2 हजार लोग नौकरी खो देंगे। हालांकि, कम क्राइम रेट की वजह से दुनिया में इस देश की काफी तारीफ हो रही है।
भारत के जेलों में क्षमता से अधिक हैं कैदी
भारत में जेल, कैदियों और उन पर निगरानी रखने के लिए तैनात पुलिस बलों से जुड़ी नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) की एक रिपोर्ट ने द प्रिजन स्टैटिक्स इंडिया, 2016 जारी किया। इस रिपोर्ट के लिए आंकड़ें जुटाने का काम अप्रैल 2017 में शुरू किया गया जो दिसंबर 2017 तक जारी रहा। अंतिम आंकड़े अगस्त 2018 तक लिए गए। हालांकि यह रिपोर्ट लोकसभा चुनाव प्रचार के शोर में ज्यादा चर्चा नहीं पा सकी। हालांकि यह रिपोर्ट बताती है कि जेल में बंद कैदियों की क्या स्थिति है। रिपोर्ट बताती है कि 2016 के अंत तक देश में 4,33,033 लोग जेलों में बंद थे, जिसमें से 68 फीसदी कैदी अंडर ट्रायल थे या फिर ऐसे लोग जिन्हें अपराध के लिए दोषी तय किया जाना है। अंडर ट्रायल कैदियों की यह संख्या दुनिया के किसी अन्य देश से बंद विचाराधीन कैदियों से कहीं ज्यादा है।
31 दिसंबर 2016 तक 1,35,683 लोगों को अपराध के लिए दोषी ठहराया गया, जबकि 2,93,058 कैदी अंडर ट्रायल थे। सबसे ज्यादा 68,432 अंडर ट्रायल कैदी (71.8 फीसदी) उत्तर प्रदेश में थे, जिसमें 65,767 पुरुष और 2,665 महिलाएं शामिल थीं। इसके बाद बिहार का नंबर आता है जहां 27,753 कैदी अंडर ट्रायल (83.8 फीसदी) थे जिसमें 26,782 पुरुष कैदी थे. इसके बाद महाराष्ट्र का नंबर है जहां 22,693 अंडर ट्रायल कैदी के रूप में जेल में बंद थे। भारत में 31 दिसंबर, 2016 तक कुल 1412 जेल हैं जिसमें 137 सेंट्रल जेल और 394 जिला जेल के अलावा 732 सब जेल हैं।
देशभर में महिलाओं के लिए अलग से 20 जेल बनाए गए हैं। सर्वाधिक महिला जेल तमिलनाडु (Tamilnadu) में है जहां पर राज्य भर में 5 महिला जेल हैं, जबकि इसके बाद केरल में 3 महिला जेल हैं। इसी तरह राजस्थान में 2 महिला जेल हैं। आबादी के लिहाज से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में महज एक महिला जेल है।
सेंट्रल जेल की बात करें तो 29 राज्य और 7 केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे ज्यादा सेंट्रल जेल दिल्ली और मध्य प्रदेश में है जहां दोनों राज्यों में 11-11 सेंट्रल जेल हैं। महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और तमिलनाडु में 9-9 सेंट्रल जेल हैं। यहां भी उत्तर प्रदेश काफी पीछे है और महज 5 सेंट्रल जेल हैं।
क्षमता से ज्यादा कैदियों के रखने मामले में देश भर में खराब हालत में दादर एंड नागर हवेली, छत्तीसगढ़, नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मेघालय की जेल हैं। दादर नागर हवेली में क्षमता से दोगुना 200 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 189.9 फीसदी, दिल्ली में 179.8 फीसदी और मेघालय में 132.2 फीसदी कैदी बंद हैं। हालांकि केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में कैदियों की स्थिति थोड़ बेहतर है क्योंकि यहां पर जेल में कुल क्षमता का महज 10.9 फीसदी कैदी ही बंद हैं। यहां की जेलों में 64 कैदियों को रखे जाने की क्षमता है जबकि यहां पर महज 7 कैदी ही बंद हैं।
अगर राज्य के आधार पर बात करें तो नगालैंड की जेल में 1,450 कैदियों की रख जाने की क्षमता है जबकि महज 413 कैदी ही बंद हैं। प्रतिशत के आधार पर देखा जाए तो 28.5 फीसदी बैठता है। 11 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के जेलों की कुल क्षमता से कम कैदी बंद हैं।
दुनिया की ये जेल अपराधियों के लिए हैं नरक से भी बदतर
ला सबनेटा, वेनेज़ुएला : वेनेज़ुएला की ला सबनेटा जेल साउथ अमेरिका की सबसे डरावनी जेलों में गिनी जाती है, जिसकी वजह यहां का टॉर्चर देने का तरीका और जेल की हालत है। बीमार होने के बावजूद यहां कैदियों के साथ कोई रहम नहीं बरता जाता।
गिटारामा सेंट्रल प्रिजन, रवांडा : अफ्रीका की ब्मदजतंस जेल को दरिंदो की जेल कहना ज़्यादा सटीक है, क्योंकि 90 के दशक के दौरान इस जेल के कैदी दूसरे कैदियों का मांस खाया करते थे।
ब्लैक डॉलफिन जेल, रूस : ये रूस की सबसे खतरनाक जेल मानी जाती है जहाँ पर गंभीर अपराधियों जैसे रेपिस्ट, मर्डरर,देशद्रोही आदि को रखा जाता है। यहाँ के नियमों के अनुसार उठने के बाद से सोने के वक्त तक अपराधियों को बैठने और आराम करने पर मनाही है, साथ ही कैदियों को कड़ी यातनाएं भी मिलती है।
बैंग क्वांग जेल, बैंकाक : ये जेल अपनी खतरनाक यातनाओं के लिए मशहूर है और साथ ही यहाँ पर खाने में कैदियों को रोजाना सिर्फ एक कटोरा चावल का सूप मिलता है, और 24 घंटे लोहे की जंजीरों में जकड़ कर रखा जाता है।
विश्व की सबसे खतरनाक जेलों में से एक ताड़मोर जेल अपनी अमानवीय यातनाओं के लिए मशहूर है। यहाँ पर कैदियों को इतना टार्चर किया जाता है की कई बार उनकी मौत भी हो चुकी है, कुल्हाड़ी से काटने जैसी सजा के चलते कैदी यहाँ आने की बजाये मरना पसंद करते है।
जॉर्जिया (Georgia) की इस जेल के बारे में 2012 में लीक हुई वीडियो से ज्यादा बेहतर तरीके से पता चल पाया.। इस वीडियो के जरिए इस बात का खुलासा हुआ कि जेल में बंद कैदियों के साथ काफी बुरा व्यवहार किया जाता है, जिसमें सुरक्षा कर्मियों द्वारा किया यौन उत्पीड़न भी शामिल है।
एडीएक्स फ्लोरेंस, अमेरिका का यह जेल मुखयतः खतरनाक अपराधियों के लिए है जिन्हें देश और समाज के लिए बड़ा खतरा माना जाता है। दिन के 23 घंटे तक कड़ी यातनाये देने जैसा बर्ताव इस जेल में कैदियों के साथ आम बर्ताव है,माना जाता है यहाँ पर सजा काट रहे कैदी अधिकतर अपना मानसिक संतुलन खो बैठते है।
यूनिट 1391 जेल, इसराइल जेल के बारे में कभी आधिकारिक बयान जारी नहीं करता पर माना जाता है इसराइल इस जेल को दुनिया से छुपा कर रखता है और यहाँ पर कैदियों के साथ बेहद अमानवीय व्यवहार होता है। इस जेल में अधिकतर युद्धबंदी और आतंकियों को रखा जाता है।
आमतौर पर जब भी जेल का नाम जेहन में आता है तो मन में कई तरह के सवाल कौंध जाते हैं। मसलन वहां की सुरक्षा, कैदियों के खाने-पीने की व्यवस्था कैसी होगी। लेकिन क्यूबा में एक ऐसी जेल है, जहां इन सब बातों को सोचने का कोई मतलब ही नहीं बनता है, क्योंकि यहां सिर्फ एक कैदी पर करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। यही वजह है कि यह जेल दुनिया की सबसे महंगी जेल मानी जाती है। इस जेल का नाम है ग्वांतानमो बे जेल। इस जेल का ये नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि यह ग्वांतानमो खाड़ी के तट पर स्थित है। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस जेल में फिलहाल 40 कैदी हैं और हर कैदी पर सालाना करीब 93 करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस जेल में करीब 1800 सैनिक तैनात हैं। यहां सिर्फ एक कैदी पर करीब 45 सैनिकों की नियुक्ति है। जेल की सुरक्षा में तैनात सैनिकों पर हर साल करीब 3900 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर इस जेल में कैदियों को इतनी सुरक्षा क्यों दी जाती है? तो आपको बता दें कि यहां कई ऐसे अपराधियों को रखा गया है, जो बेहद ही खतरनाक हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 9/11 हमले का मास्टरमाइंड खालिद शेख मोहम्मद भी इसी जेल में बंद है। इस जेल में तीन इमारतें, दो खुफिया मुख्यालय और तीन अस्पताल हैं।
इसके अलावा यहां वकीलों के लिए भी अलग-अलग कंपाउंड बनाए गए हैं, जहां कैदी उनसे बात कर सकते हैं। यहां स्टाफ कैदियों के लिए चर्च और सिनेमा की भी व्यवस्था की गई है, जबकि अन्य कैदियों के लिए खाने के लिए अलावा जिम और प्ले स्टेशन भी बनाए गए हैं। पहले ग्वांतानमो बे में अमेरिका का नेवी बेस था, लेकिन बाद में इसे डिटेंशन सेंटर (हिरासत केंद्र) बना दिया गया। अमेरिका के राष्ट्रपति रहे जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने यहां एक कंपाउंड बनवाया, जहां आतंकियों को रखा जाता था। इसे कैंप एक्स-रे नाम दिया गया था।
यहां पैसा तय करता है कि कौन किस सेल में रहेगा
बोलीविया के सैन पेडरो जेल में माहौल किसी शहर की गलियों जैसा रहता है। यहां लगभग 1500 कैदी रहते हैं, लेकिन अंदर कोई सुरक्षा गार्ड नहीं तैनात रहता। कुछ लोग जेल के ही बाजार में काम करते हैं, तो कुछ फूड स्टॉल (Food Stall) लगाकर अपना गुजर-बसर करते हैं। इस जेल की विशेष बात यह है कि यहां कौन सा कैदी कौन सी सेल में रहेगा इस बात पर निर्भर करता है कि कैदी किसी सेल में रहने के लिए कितना पैसा खर्च कर सकता है। दरअसल यहां कैदियों को अपने रहने के लिए सेल खरीदने पड़ते हैं। यानी अगर आपके पास पैसा है तो आप यहां राजा की तरह रह सकते हैं।
यहां कैदियों को नाचने-गाने और मौज मस्ती करने की है छूट
अगर आपके जेहन में जेल की छवि एक बोझिल और उदास जगह की है, तो यह जेल आपकी धारणा को बदल सकती है। फिलीपींस (Philipins) की सेबू जेल में कैदियों का पूरा मनोरंजन किया जाता है। इन कैदियों की डांसिंग वीडियो को टाइम पत्रिका ने अपनी वायरल वीडियोज की सूची में पांचवे नंबर पर रखा था।
अब इस जेल में आप भी गुजार सकते हैं रातें
यह जेल किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं है। जेल की इमारत के बारे में आपका क्या ख्याल है? यहीं न कि, एक ऐसी जगह जिसके चारो ओर मोटी-मोटी दीवारें होती हैं। लेकिन एक ऐसी भी जेल है इस दुनिया में जिसकी दीवारें कांच की बनी हैं। ये जेल ऑस्ट्रिया में है। इसका नाम जस्टिनजेंट्रम लियोबेन है। कांच से ढकी पूरी विशाल इमारत बाहर से देखने पर शायद आपको किसी होटल से कम न लगे, लेकिन ये जेल है।