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क्या बिहार में कांग्रेस सीट शेयरिंग को फाइनल करने के मूड में, प्रभारी गोहिल देर रात पहुंचे पटना
जनज्वार ब्यूरो, पटना। बिहार में कोरोना और बाढ़ के दोहरे संकट के बीच भी चुनावी गतिविधियां जारी हैं। चुनाव आयोग द्वारा हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर अधिकृत तौर पर कोई घोषणा नहीं की गई है, पर आयोग के स्तर पर तैयारी चल रही है। राजनैतिक दल भी मैदान में उतर चुके हैं और दलीय गठबंधनों का ताना-बाना बुना जाने लगा है।
हाल ही में राहुल गांधी ने बिहार के पार्टी नेताओं के साथ वर्चुअल मीटिंग की। उस मीटिंग में कई तरह की बातें निकलकर सामने आईं, पर सबसे बड़ी बात यह थी कि जल्द ही महागठबंधन में सीटों के तालमेल का काम पूरा कर लिया जाएगा। उन्होंने पार्टी नेताओं को कई टिप्स दिए और महागठबंधन की जीत सुनिश्चित करने के अभियान में जुट जाने का आह्वान किया। उस मीटिंग में राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी के बिहार प्रदेश प्रभारी सांसद शक्ति सिंह गोहिल शीघ्र पटना जाएंगे और सीट शेयरिंग को मूर्त रूप देंगे।
8 अगस्त की देर रात की फ्लाइट से गोहिल पटना आ चुके हैं। रात होने के बावजूद पटना एयरपोर्ट पहुंच पार्टी नेताओं ने उनका गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। माना जा रहा है कि वे महागठबंधन के स्वरूप को अंतिम रूप देने की कोशिश करेंगे और सीट शेयरिंग की बात भी प्रारंभिक तौर पर फाइनल हो सकती है।
8 अगस्त की देर रात पटना पहुंचे गोहिल
वैसे सीटों का यह बंटवारा ऐसा भी आसान नहीं दिख रहा। बिहार के महागठबंधन में राजद खुद को बड़ी पार्टी मानता है और उसी हिसाब से व्यवहार भी करता है। जाहिर है, राजद की सीट की डिमांड भी उसी हैसियत के अनुसार होनी है। राजद के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि पार्टी 160 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है और किसी भी सूरत में कम से कम 150 सीटों पर तो लड़ेगी ही। ऐसे में विधानसभा की 243 सीटों में से महागठबंधन के शेष दलों के लिए 83 से 93 सीटें ही बचतीं हैं।
वर्ष 2015 के पिछले विधानसभा चुनाव में राजद 100 में से 80 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उस वक्त जदयू और कांग्रेस भी साथ थे। जदयू भी 100 और कांग्रेस ने 43 सीटों पर उम्मीदवार दिए थे। उस चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी और उसके 100 में से 80 प्रत्याशी चुनाव जीत गए थे, जबकि जदयू को 71 और कांग्रेस को 43 सीटों पर सफलता मिली थी।
अबतक की गतिविधियों से जाहिर होता है कि इस बार महागठबंधन में राजद और कांग्रेस के साथ उपेंद्र कुशवाहा की 'रालोसपा', मुकेश साहनी की 'वीआईपी' पार्टी साथ है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' के बारे में अभी स्पष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता।
महागठबंधन में कोऑर्डिनेशन कमिटी बनाने की मांग को लेकर वे सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताते रहे हैं और यह भी हो सकता है कि कोई नया रास्ता चुन लें। कल 8 अगस्त को उन्होंने असद्दुदीन ओवैसी की पार्टी एमआईएम की राज्य यूनिट के पदाधिकारियों के साथ बैठक की है। कांग्रेस वामदलों को भी महागठबंधन में लाने की कोशिश कर रही है।
गोहिल के पिछले बिहार दौरे के समय यह बात सामने आई थी और पार्टी के प्रदेश कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष सांसद अखिलेश सिंह ने वामदलों को साथ लेने की बात खुलकर कही थी और यह भी कहा था कि वामदलों के साथ बात हुई है और वे साथ आने को इच्छुक हैं।
ऐसे में सीट शेयरिंग का मसला कोई साधारण मामला नहीं दिख रहा। राजद के सूत्रों के दावों के अनुसार अगर पार्टी 150-160 सीटों पर प्रत्याशी देने की बात कर रही है तो शेष 83 से 93 सीटों पर ही कांग्रेस,रालोसपा, वीआईपी, हम और वामदलों के बीच सीट शेयरिंग करनी पड़ सकती है। कांग्रेस पिछले चुनाव में 43 सीटों पर लड़ी थी, लिहाजा कम से कम उतनी सीटें तो चाहेगी ही। शेष बची 40-50 सीटों में ही रालोसपा, वीआईपी, हम और वामदलों को एडजस्ट करना किसी चुनौती से कम नहीं होगी।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर ही गोहिल पटना आए हैं और उन्हें सीट शेयरिंग का कोई न कोई फार्मूला भी मिला होगा, जिसपर वे अन्य दलों के साथ चर्चा कर सकते हैं। यह भी बताया जा रहा है कि पटना में वे तेजस्वी यादव सहित अन्य घटक दलों के प्रमुख नेताओं के साथ मीटिंग कर सकते हैं। हालांकि सीट शेयरिंग का मुद्दा इतना आसान भी नहीं दिख रहा।