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बिहार में विधान परिषद की 29 सीटें को लेकर राजनैतिक दलों की तैयारी शुरू
जनज्वार ब्यूरो पटना। देश व राज्य में कोरोना की स्थिति भले ही बिगड़ रही हो, राजनैतिक दल और उनके नेता कुर्सी और पावर हासिल करने का कोई भी मौका चूकने के मूड में नहीं। अब बिहार में विधान परिषद की 29 सीटों के लिए राजनैतिक दलों में रस्साकशी शुरू होने लगी है। चुनाव आयोग की तरफ से भले ही बिहार विधानपरिषद चुनाव को लेकर अभी तारीख का ऐलान नहीं किया गया है, लेकिन राजनैतिक दलों और पार्टी में इन सीटों के दावेदारों की कवायद जरूर शुरू हो गई है।
बिहार में सत्ताधारी बीजेपी-जेडीयू और राजद-कांग्रेस आदि की तरफ से इसको लेकर रणनीति बनाने की कोशिश शुरू हो गई है। बिहार बीजेपी के प्रभारी भूपेंद्र यादव के पटना में मौजूद होने के बाद इन तमाम मुद्दों को लेकर रणनीति बनाने का दौर तेज हो गया है। बीजेपी में अभी बैठकों का दौर चल रहा है। इसके बाद जेडीयू के साथ बैठक होने की संभावना जताई जा रही है,जिसमें विधानपरिषद चुनाव को लेकर चर्चा हो सकती है।
कोरोना लॉकडाउन पीरियड में ही विगत मई माह में बिहार में विधानपरिषद की 29 सीटें खाली हुई हैं। बिहार के उच्च सदन विधान परिषद में कुल 75 सीटें हैं, जिनमें 29 सीटें खाली हैं। इनमें 17 सीटों का कार्यकाल 6 मई को खत्म हो चुका है, जबकि 12 सीटों का कार्यकाल 23 मई को खत्म हुआ है।
इन सीटों में विधानसभा कोटे से भरी जानेवाली विधान परिषद की 9 सीटें खाली हो गई हैं, जबकि स्नातक निर्वाचन क्षेत्र और शिक्षक कोटे की 4-4 सीटें खाली हैं। इसके अलावा राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाले कोटे की दस सीटें भी खाली हुई हैं।
जेडीयू के लल्लन सिंह और एलजेपी के पशुपति कुमार पारस भी बिहार विधान परिषद के सदस्य थे,जिनके सांसद बन जाने के बाद ये दो सीटें भी रिक्त हैं। वैसे ये दोनों भी राज्यपाल कोटा से ही मनोनीत हुए थे,इसलिए ये दोनों सीटें भी राज्यपाल कोटे की ही सीटें थीं।इस तरह राज्यपाल कोटे की सीटों की संख्या बढक़र 12 हो जाती है।
कुल मिलाकर बिहार विधानपरिषद की कुल 29 सीटें हो रिक्त हो गईं हैं, जिन्हें भरा जाना है। इन रिक्त सीटों में बिहार सरकार के मंत्रियों समेत कई अन्य कद्दावर नेताओं के सीट भी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी,विधान परिषद के सभापति का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है।
बिहार में जिन प्रमुख लोगों का विधानपरिषद का कार्यकाल समाप्त हुआ है, उनमें नीतीश सरकार में जेडीयू कोटे के दो मंत्री सूचना व प्रसारण मंत्री नीरज कुमार और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी भी शामिल हैं। इसके अलावा जेडीयू कोटे से विधान परिषद सदस्य और विधानपरिषद के सभापति हारून रशीद का भी कार्यकाल भी पिछले 6 मई को खत्म हो गया है।
इन तीनों के अलावा जेडीयू की तरफ से पूर्व मंत्री पीके शाही, सतीश कुमार, हीरा प्रसाद बिंद और सोनेलाल मेहता की सीट भी खाली हो गई है।वहीं बीजेपी के कृष्ण कुमार सिंह, राधमोहन शर्मा के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया सह प्रभारी संजय मयुख का बतौर विधानपरिषद सदस्य कार्यकाल खत्म हो चुका है।
शिक्षक कोटे से सारण क्षेत्र से सीपीआई नेता केदार पांडे, शिक्षक कोटे से ही दरभंगा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा, शिक्षक कोटे से तिरहुत क्षेत्र से सीपीआई के संजय कुमार सिंह और शिक्षक कोटे से ही पटना क्षेत्र से बीजेपी के प्रो. नवल किशोर यादव का कार्यकाल खत्म हो गया है।