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अंधविश्वास Blind faith : डायन बताकर भतीजे ने चाचा-चाची और भाभी की कर दी हत्या
अंधविश्वास में भतीजे ने चाचा-चाची और भाभी को उतारा मौत के घाट (प्रतीकात्मक तस्वीर)
विशद कुमार की रिपोर्ट
Andhvishvash जनज्वार। झारखंड (Jharkhand) के गुमला जिला (Gumla District) अंतर्गत गुमला थाना से 20 किमी दूर लूटो पनसो गांव में डायन बिसाही के अंधविश्वास (Superstition) में भतीजे ने अपने चाचा-चाची सहित चचेरी भाभी की भी हत्या (Murder) कर दी। उसकी इस दरिन्दगी का शिकार होते होते दो मासूम इसलिए बच गए कि वे दोनों बच्चे दूसरे घर सोए थे।
घटना पिछले 25 सितंबर दिन शनिवार की रात नौ बजे की है। मृतकों में वृद्ध बंधन उरांव, उसकी पत्नी सोमारी देवी व बहू बसमनी देवी है। घटना की सूचना पर रात को पुलिस गांव पहुंची और तीनों शवों को कब्जे में कर ली। दूसरे दिन 26 सितंबर दिन रविवार को तीनों शवों का पोस्टमार्टम कराया गया। वहीं मृतका बसमनी के दो बच्चों को पुलिस ने अपनी सुरक्षा में ले लिया है। घटना के वक्त दोनों बच्चे सो रहे थे। इसलिए उनकी जान बच गयी।
घटना के बारे बताते हैं कि 25 सितंबर शनिवार की रात नौ बजे परिवार के लोग खाना पीना करने जा रहे थे। तभी बंधन का भतीजा विपता उरांव (25 वर्ष) लोहे का पाइप लेकर पहुंचा और बंधन व सोमारी को पीटने लगा। फिर घर पर रखे टांगी से दोनों को काट दिया। बसमनी देवी घर के अंदर थी। विपता ने उसे भी घर से निकाला और उसे भी टांगी से काटकर भाग गया। घटना के बाद पुलिस ने आरोपी विपता उरांव को गिरफ्तार कर रविवार को जेल भेज दिया।
बताते चलें कि विपता उरांव ने पुलिस (Jharkhand Police) को बताया कि वह तमिलनाडु में मजदूरी करता था। परंतु दिमागी हालात खराब होने पर उसे लगा कि उसके चाचा व चाची उसे भूत पिशाच करके पागल करने में लगे हैं। इसके बाद विपता तमिलनाडु से अपने गांव लौटा और तीनों की हत्या की।
बताया जाता है कि जिस समय विपता उरांव खूनी खेल, खेल रहा था। उस वक्त मृतका बसमनी का बेटा ज्ञान उरांव व बेटी ज्ञानी कुमारी गहरी नींद में सोये हुए थे। विपता पर जिस प्रकार खून सवार था। अगर ये दोनों बच्चे घटना के वक्त सामने रहते तो विपता इन दोनों को भी मार सकता था। परंतु शुक्र है कि बच्चे गहरी नींद में सोये रहे और घटना की उन्हें पता तक नहीं चला। जिस कारण दोनों बच्चों की जान बच गयी।
बता दें कि मृतक बंधना उरांव के दो बेटे हैं जो गरीबी के कारण दोनों मजदूरी करने दूसरे राज्य गये हुए हैं। पुलिस के अनुसार घटना की सूचना मृतक के दोनों बेटों को दे दिया गया है। उन्हें गुमला वापस बुलाया गया है।
थाना प्रभारी गुमला मनोज कुमार ने बताया कि डायन बिसाही व आपसी विवाद के कारण भतीजे ने अपने चाचा, चाची व भाभी की हत्या कर दिया है। पुलिस ने आरोपी भतीजा विपता उरांव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।
बताते चलें कि गुमला जिला में जादू-टोना, भूत-पिशाच व डायन बिसाही जैसे अंधविश्वास आज भी नहीं निकल पाया है। यही कारण है कि आए दिन जिले में अंधविश्वास में हत्याएं होती रहती हैं।
बता दें कि 24 फरवरी 2021 को जिले के कामडारा प्रखंड के पहाड़गांव में अंधविश्वास में पांच लोगों की निर्मम हत्या कर दी गयी थी। ग्रामीणों ने पहले बैठक की थी। इसके बाद सभी को मौत के घाट उतार दिया था। जिले में 23 जुलाई 2019 को सिसई प्रखंड के नगर सिसकारी गांव में डायन बिसाही के अंधविश्वास में चार लोगों की हत्या कर दी गयी थी। ये चारों वृद्ध थे। ग्रामीणों ने बैठक करने के बाद इन चारों वृद्धों को मार दिया था।
जिले के पालकोट थाना क्षेत्र के बिलिंगबीरा में डायन बिसाही में पति, पत्नी व मासूम बेटे की हत्या कर दी गयी थी। इतना ही नहीं शव को जमीन में गाड़ दिया था। पुलिस ने दो महीने बाद शव बरामद की थी।
जिले के सोसो महलीटोली में डायन बिसाही के अंधविश्वास में वृद्ध दंपती की उसके ही तीन बच्चों के सामने हत्या कर दी गयी थी। इस हत्याकांड का उदभेदन हो चुका है परंतु अभी भी इस गांव में अंधविश्वास है..पिछले सात वर्षों में अंधविश्वास में हुई हत्याओं की सूची में वर्ष 2014 - 11, 2015 - 10, 2016 - 07 , 2017 - 11, 2018 - 05, 2019 - 03 और 2020 - 03 डायन हत्याएं हुई हैं।
गुमला जिले की घटना से प्रशासनिक अधिकारी व पूरा अमला परेशान रहता है। लेकिन अंधविश्वास की जो मोटी परत गुमला में जमी है, वह कम होती दिखायी नहीं देती। अंधविश्वास में हत्या के अलावा वृद्धों को गांवों से सिर मुड़ाकर गांव से निकालने तक की घटनाएं घट चुकी हैं। सबसे दुखद बात यह है कि कई ऐसे घटनाएं पढ़े लिखे लोगों के सामने हुई, लेकिन पढ़े लिखे लोग मूक दर्शक बने रहे। सबसे ज्यादा अंधविश्वास गांवों में है।
क्षेत्र के कुछ पढ़े-लिखे लोगों का मानना है कि इस अंधविश्वास को जड़ से मिटाने में सभी को मिलकर पहल करनी होगी। अंधविश्वास (Superstition) को खत्म करने के लिए स्वयं सेवी संस्थाओं को आगे आना होगा। गांव में काम कर रही महिला समूहों को भी इसमें अहम भूमिका निभानी होगी। जनप्रतिनिधि भी इसमें रूचि दिखाते हुए लोगों को जागरूक करें। तभी गांवों से अंधविश्वास खत्म होगा क्योंकि प्रशासन के भरोसे अंधविश्वास को खत्म नहीं किया जा सकता है।
बताते हैं कि इस तरह के अंधविश्वास के फैलते जड़ को खत्म करने के लिए प्रशासन व गुमला पुलिस गांव गांव में जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम अभी तक नहीं मिल पाया है।
जरूरत के अनुसार प्रशासनिक अधिकारी भी गांव जाकर लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन इसका असर नहीं पड़ रहा है। प्रशासन का मानना है कि गांव की महिलाएं जिस दिन समझ जायेंगी कि अंधविश्वास मन का भ्रम है, उस दिन से अंधविश्वास खत्म हो जायेगा।