Rajasthan News : राजस्थान (Rajasthan) से अंधविश्वास (Blind Faith) की हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। यहां भीलवाड़ा (Bhilwara) शहर के एक रिसॉर्ट के स्वमिंग पूल में डूबने से दो सगे भाईयों की मौत हो गई। बच्चे के परिजनों ने अंधविश्वास में दोनों बच्चों के शवों को नमक में दबा दिया। उन्हें विश्वास था कि नमक में दबाने से बच्चे जिंदा हो जाएंगे लेकिन घंटा भर बाद भी बच्चे जिंदा नहीं हुए तो परिजनों को गलती का एहसास हुआ।
खेलते हुए स्वीमिंग पूल में डूब गए दोनों भाई
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार काछोला निवासी अमित काष्ट के दो बेटे अरनव और अहान बेटे रविवार को हरणी महादेव क्षेत्र स्थित एक रिसॉर्ट में आए थे। दोनों बच्चों की उम्र करीब सात साल और पांच साल थी। यहां उनके बुआ के यहां शादी थी। पूरा परिवार शादी समारोह में व्यस्त था। इस दौरान दोनों भाई खेलते हुए स्वमिंग पूल की ओर चले गए। खेल-खेल में दोनों पूल में डूब गए।
जिंदा करने के लिए शव नमक में दफनाए
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार परिजनों को काफी देर के बाद बच्चों का ध्यान आया तो उन्होंने मासूमों को ढूंढना शुरू किया। जिसके बाद दोनों का शव स्विमिंग पूल में मिला। परिजन शवों को निकालकर अस्पताल ले गए। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उसके बाद परिजनों ने अंधविश्वास में दोनों शवों को नमक में दबा दिया। उन्हें लगा कि बच्चे जिंदा हो जाएंगे। इस दौरान परिजनों और पुलिस में बहुत देर तक बहस भी हुई, बाद में परिजनों ने अपनी गलती मानी।
रिसॉर्ट के मालिक के खिलाफ केस दर्ज
पुलिस ने बच्चों के पिता अमित कुमार की शिकायत पर रिसोर्ट मालिक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। बच्चों के शवों को जब मुर्दाघर में रखवाया गया तो बाहर मौत को मात देने का खेल शुरु हुआ। किसी ने सोशल मीडिया पर देखकर बताया कि नमक में शव दबा दें तो सासें वापस लौट सकती हैं। परिवार वालों ने तीन से चार घंटे शव दबा दिया। सांसे तो लौटी नहीं उल्टे शव गलने लग गए। बच्चों को मोक्षधाम में परिजनों ने एक साथ हमेशा के लिए विदा किया।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू—ब—रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।
सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)