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अमेरिका के पादरी ने ब्लीचिंग पाउडर को कोरोना की दवा बताकर बेचा, 7 लोगों की हुई मौत
जनज्वार। अंधविश्वास सिर्फ हिंदुस्तान व विकासशील और पिछड़े देशों में ही नहीं है। दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका भी इससे वंचित नहीं है। अमेरिका का एक आर्चबिशप व उसका बेटा इंडस्ट्रीयल ब्लीच को मिरेकल क्योर यानी जादुई दवा के नाम पर बेचने के आरोप में दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया से गिरफ्तार किया गया है। उसके इस काले कारनामे में उसके तीन बेटे भी शामिल थे। अमेरिकी सरकार अब उसका प्रत्यर्पण करा कर कड़े मुकदमे चला कर उसे सजा देगी। उसकी इस दवा को पीने से सात अमेरिकी नागरिकों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं उसने राष्ट्रपति तक से इस दवा के प्रचार प्रसार की सिफारिश कर दी थी।
आर्चबिशप मार्क ग्रेनोन अमेरिका के फ्लोरिडा प्रांत में कोरोना क्योर के नाम पर ब्लीच को बेचने का कारोबार कर रहा था। उसका दावा था कि यह कोरोना से इलाज में कारगर है। अब उसके व उसके बेटे जोसेफ ग्रेनोन का अमेरिका में प्रत्यर्पण की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
कोलंबिया के शीर्ष लोक अभियोजक ने उसकी व उसके बेटे की गिरफ्तारी की जानकारी ट्विटर पर दी है। अमेरिका की सरकार अब आर्चबिशप व उसके तीन बेटों पर अमेरिकी कानूनों के तहत कड़ा अभियोग चलाएगी। उस पर फ्लोरिडा प्रांत में ही मुकदमा चलाया जाएगा। वह स्वघोषित आर्चबिशप है और एक चर्च का संचालक है।
आर्चबिशप मार्क ग्रेनोन कोरोना क्योर के नाम पर क्लोरीन डाय ऑक्साइड लोगों को बेच रहा जो एक पाॅवरफुल ब्लीच है जो कपड़ा निर्माण उद्योग में काम आता है। उसने अपनी इस दवा को मिरेकल मिनरल साल्यूशन नाम दिया था और बाजार में इसी नाम से इसकी मार्केटिंग कर रहा था।
वह यह दावा किया करता था कि इस इस क्योर को पीने से कोविड, कैंसर, एचआइवी जैसे बीमारियां लगभग ठीक हो जाती हैं। अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने ग्रेनोन व उसके बेटे की दवा को प्रतिबंधित कर दिया था। लोगों को भी यह सलाह दी गई थी कि वे उसके मिरेकल मिनरल साल्यूशन नामक दवा न पीएं।
आर्चबिशप ग्रेनन ने अप्रैल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इसके लिए पत्र लिखा था कि वे उसके मिरेकल मिनरल साल्यूशन नामक दवा को लोगों को स्वीकारने के लिए प्रोत्साहित करें। उसने राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में दावा किया था कि यह कोरोना बीमारी से छुटकारा दिला सकती है।