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कोविड -19

कोरोना वैक्सी​नेशन इफेक्ट : नॉर्वे में फाइजर वैक्सीन लगवाने के बाद 23 बुजुर्गों की मौत, दुनियाभर में मचा बवाल

Janjwar Desk
17 Jan 2021 2:37 PM GMT
कोरोना वैक्सी​नेशन इफेक्ट : नॉर्वे में फाइजर वैक्सीन लगवाने के बाद 23 बुजुर्गों की मौत, दुनियाभर में मचा बवाल
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कोरोना टीकों के सभी ट्रायल पूरे होने से पहले फार्माकोविजिलेंस विभाग को भारत सरकार ने क्यों नहीं किया मुस्तैद

फाइजर वैक्सीन लेने के बाद जो भी मौतें हुयी हैं, ज्यादातर के परिजन मौत के लिए वैक्सीन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, भारत में भी कोरोना वैक्सीनेशन के बाद मौत के मामले सामने आ चुके हैं....

लंदन। नॉर्वे में कोविड -19 फाइजर-बायोएनटेक एमआरएनए वैक्सीन लेने के बाद 23 बुजुर्ग मरीजों की मौत की चौंकाने वाली खबर सामने आने पर देश ने मामलों में विस्तृत जांच शुरू कर दी है।

प्रतिष्ठित ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (बीएमजे) ने शुक्रवार 15 जनवरी की रिपोर्ट में कहा कि, सामने आई मौतों के बाद नॉर्वे में डॉक्टरों को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन प्राप्त करने वाले बुजुर्ग मरीजों का अधिक गहन मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है।

जानकारी के मुताबिक, नार्वे में फाइजर (Pfizer) की कोरोना वायरस वैक्‍सीन लगवाने के कुछ समय बाद 23 लोगों की मौत हुई है। इनमें 13 लोग ऐसे हैं जिनके बारे में कहा जा रहा है कि उनकी मौत कोरोना वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट की वजह से ही हुई।

इन मौतों के बाद अमेरिका की बनी फाइजर वैक्सीन (Pfizer Vaccine) को लेकर दुनियाभर में सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि नॉर्वे में लोगों को जो वैक्सीन लगाई गई है वो अमेरिका निर्मित फाइजर की वैक्सीन ही है।

नॉर्वे सरकार का कहना है कि वैक्सीनेशन के बाद जिन लोगों की मौत हुई है वो सभी बुजुर्ग थे और दूसरी बीमारियों की चपेट में भी थे। मरने वालों की उम्र 80 साल से ऊपर बताई जा रही है। गौरतलब है कि नार्वे में 33,000 लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जा चुकी है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) ने कहा है कि वह नॉर्वे में मौतों पर नजदीकी नजर बनाए हुए है।

नार्वेजियन मेडिसिन्स एजेंसी (एनओएमए) के मेडिकल डायरेक्टर, स्टीमर मैडसेन ने बीएमजे को बताया, "यह एक संयोग हो सकता है, लेकिन फिलहाल हम निश्चिंत नहीं है।" उन्होंने आगे कहा, "इन मौतों और वैक्सीन के बीच कोई निश्चित संबंध नहीं है।"

एजेंसी ने अब तक 13 मौतों की जांच की है और निष्कर्ष निकाला है कि एमआरएनए टीकों की सामान्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं जैसे कि बुखार, मतली और दस्त से कुछ कमजोर रोगियों पर वैक्सीन का बुरा प्रभाव पड़ा

मैडसेन के हवाले से कहा गया, "यह संभावना हो सकती है कि ये सामान्य प्रतिकूल प्रतिक्रियाएं, जो कि स्वस्थ, युवा रोगियों में खतरनाक नहीं हैं, वह बुजुर्गों में बीमारी को बढ़ा सकती हैं।"

उन्होंने कहा, "हम अब डॉक्टरों से टीकाकरण जारी रखने के लिए कह रहे हैं, लेकिन बहुत बीमार लोगों का अतिरिक्त मूल्यांकन करने के लिए कहा गया है।" वहीं फाइजर ने अपने बयान में कहा, "फाइजर और बायोएनटेक बीएनटी 162 बी 2 लेने के बाद रिपोर्ट की गई मौतों से अवगत हैं। हम सभी प्रासंगिक जानकारी एकत्र करने के लिए एनओएमए के साथ काम कर रहे हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "सभी रिपोर्ट की गई मौतों का एनओएमए द्वारा पूरी तरह से मूल्यांकन किया जाएगा कि क्या ये घटनाएं वैक्सीन से संबंधित हैं या नहीं। नार्वे सरकार मरीजों के स्वास्थ्य को अधिक ध्यान में रखने के लिए उनके टीकाकरण निर्देशों को समायोजित करने पर भी विचार करेगी।" जर्मनी में पॉल एर्लिच इंस्टीट्यूट भी कोविड-19 टीकाकरण के तुरंत बाद 10 मौतों की जांच कर रहा है।

नॉर्वेजियन मीडिया एनआरके की रिपोर्ट के अनुसार, "सभी मौतें नर्सिग होम में बुजुर्ग व अन्य बुजुर्ग मरीजों की हुई हैं। सभी की उम्र 80 साल से अधिक है और उनमें से कुछ 90 से अधिक हैं।"

फाइजर की वैक्सीन लगवाने के बाद दुनिया के अलग-अलग देशों में अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। अमेरिका के मियामी शहर में 56 वर्षीय डॉक्‍टर ग्रेगरी माइकल की मौत भी सुर्खियां बनी थी।। डाॅक्टर की पत्नी ने आरोप लगाया कि फाइजर की कोरोना वायरस वैक्‍सीन लगायी थी और इसी टीके के कारण उनकी मौत हुयी।

फाइजर वैक्सीन लेने के बाद जो भी मौतें हुयी हैं, ज्यादातर के परिजन मौत के लिए वैक्सीन को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। गौरतलब है कि भारत में भी कोरोना वैक्सीनेशन के बाद मौत के मामले सामने आ चुके हैं।

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