कोरोना विशेष : पिछले 7 सालों में देश को बांटा, अब आपको रोग बांट रहे
मोदी सरकार ने कोरोना महामारी को दूसरी लहर के दौरान नरसंहार में तब्दील कर दिया
प्रसिद्ध रंगचिंतक मंजुल भारद्वाज की टिप्पणी
जनज्वार। मुसलमानों को हिन्दुओं का शत्रु बताकर बहुमत हासिल करने वाले मोदी असल में हिन्दुओं के तारणहार नहीं शत्रु हैं। मनमोहन सिंह काल में आई वैश्विक आर्थिक मंदी ने जब दुनिया की आर्थिक महासत्ताओं की कमर थोड़ दी, तब मनमोहन ने भारत को दिवालिया होने से तो बचा लिया, पर अपनी सत्ता नहीं बचा पाए। वैश्विक आर्थिक मंदी से भारत के मध्यमवर्ग के मुनाफ़े को गहरा झटका लगा। बेरोज़गारी बढ़ी और मध्यमवर्ग का लालच चरम पर पहुँच गया। जिस देश ने सिर्फ़ कंगाली देखी थी उसने मनमोहन काल में जमकर घी पीया, पर ये दिल मांगे मोर की मध्यमवर्गीय तृष्णा को मनमोहन शांत नहीं कर पाए और विकास के जुमले का शिकार हो गए।
देश में मनमोहन काल को भ्रष्टाचार का सबसे काला अध्याय साबित करने के लिए आरएसएस ने भारत की ख़ुफ़िया एजेंसी के पूर्व अधिकारी को षड्यंत्र की बागडोर सौंपी। आरएसएस ने संवैधानिक संस्थाओं में सेंध लगाई और कैग के ज़रिये मनमोहन सरकार पर कालिख पोत दी. मुनाफ़ाखोर मीडिया ने नकली गांधी खड़ा किया। जन्मजात कांग्रेसी विरोध में जलते-भुनते भारत के बुद्धिजीवी, जनहित में लगे सामाजिक कार्यकर्ता, नामी गिरामी वकील आर एस एस प्रायोजित तथाकथित भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन की बलि चढ़ गए। मनमोहन सरकार की छवि मलिन हो गई। आरएसएस का षड्यंत्र कामयाब हुआ।
आरएसएस ने मध्यमवर्ग की लालसा को विकास का जुमला देकर साध लिया। मोदी को विकास पुरुष का अवतार सिद्ध कर मुनाफ़ाखोर मीडिया के बल पर गुजरात को विकास का मॉडल साबित कर दिया। मुंबई में हुए 26 /11 के आतंकवादी हमले ने आग़ में घी का काम किया। पाकिस्तान का तड़का लगा मोदी भारतीय मानस को हिन्दू–मुसलमान में विभाजित करने में कामयाब हो गया। गर्व से हिन्दू बनी भेड़ों ने पहली बार देश में आरएसएस की बहुमत वाली हिन्दू सरकार बनाई!
आरएसएस सरकार ने नोटबन्दी करके हिन्दू मज़दूरों, ग़रीब मुसलमानों,छोटे लघु और कुटीर उद्योग की कमर तोड़ दी। भारतीय अर्थव्यवस्था को कालाधन समाप्त करने के नाम पर बर्बाद कर दिया। नोटबंदी आम हिन्दू को बर्बाद करने की साज़िश थी. इस विद्रोह को शांत करने के लिए मोदी ने राष्ट्रवाद का तड़का लगाया और सैनिकों की शहादत पर दोबारा बहुमत हासिल किया। देश विदेश में भारतीय मूल के लोगों को अपनी चुनावी आग में झोंक दिया। शिगूफ़ा छोड़ा भारत के पासपोर्ट का आज दुनिया सम्मान कर रही है, पर ठीक उसके उलटे ट्रम्प ने हज़ारों भारतीयों के वर्किंग वीजा रद्द कर दिए, पर भेड़ें मंगल गीत गाती रहीं।
न्यायपालिका को रौंदकर भारत की पंथ निरपेक्षता को भगवा रंग दिया। राम मन्दिर निर्माण का ऐलान कर भूख्रे,बेरोज़गार हिन्दुओं के आक्रोश को दबाया। भेड़ों ने नारा लगाया 'आयेगा तो मोदी ही।' व्यक्तिगत आस्था को राष्ट्र की अस्मिता बनाने का दुष्कर्म कर आरएसएस ने 'भारत एक विचार' की जड़ों को खोद डाला। अहंकार में डूबी सरकार व्यक्तिवाद का शिकार हो गई। पूरा प्रशासन चरमरा गया। कोरोना में हाहाकार हो गया। चारों ओरमौत ही मौत, श्मशान कम पड़ रहे हैं, कब्रिस्तान लाशों से पट गए हैं। एक एक सांस के लिए जनता मारी मारी फिर रही है और विकारी मोदी सरकार न अस्पताल में बेड का, न दवा का और न ही ऑक्सीजन दे पा रही है।
हिन्दुओं के दिल में मुसलमानों के खिलाफ़ नफ़रत की आग़ लगाकर मोदी को सत्ता तो मिल गई, पर वो आग़ हिन्दुओं की चिता बन गई। उसी आग़ की चिता में हिन्दू जल रहे हैं। हिन्दू और मुसलमान दोनो मर रहे हैं। विदेशों में भारत की थू थू हो रही है। आरएसएस भारत का विध्वंसक है. प्रेम,विविधता और सहिष्णुता भारत की संस्कृति और दुनिया में पहचान है। विकारी संघ ने उसी संस्कृति को मारने के लिए जनमानस में एकाधिकार वाद,हिन्दू बहुलतावाद और श्रेष्ठतावाद का विष भरा है। विदेशी अखबार देश की दुर्गति और मोदी के कुकर्मों से भरे पड़े हैं।
दुनिया ने मान लिया है 'भारत की जनता नहीं सांस्कृतिक विरासत' मर गई हैं । मरी हुई संस्कृति के सिंहासन पर बैठा है विकारी शासक! हिन्दुओं के शत्रु मोदी और भारत के विध्वंसक आरएसएस का कारनामा दुनिया जान गई है! भेड़ो! यह भारतीय पासपोर्ट का सम्मान नहीं देहावसान है।