हिमाचल में कोरोना पॉजिटिव महिला की लाश को नहीं नसीब हुए 4 कंधे, बेटे ने अकेले पहुंचाया श्मशान
मां की लाश को अकेले कंधे पर ले जाता बेटा (photo : social media)
जनज्वार। कोरोना जिस तरह भयावह रूप लेता जा रहा है, उसी तरह इंसानियत भी मरती जा रही है। कोरोना का खौफ ऐसा छाया हुआ है कि इंसान चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा है। पहाड़ों को आमतौर पर आपसी सौहार्द्र और भाईचारे के लिए जाना जाता है, मगर अब यहां भी लोग कोरोना के डर से सहयोग के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।
ऐसी ही एक घटना हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा से सामने आ रही है। यहां कोरोना पॉजिटिव महिला की मौत के बाद जब अंतिम संस्कार के लिए 4 कंधे भी नसीब नहीं हुए तो अकेला बेटा किसी तरह अपनी मां की लाश लेकर श्मशान घाट पहुंचा।
जब यह मामला मीडिया में उठा तो कांगड़ा जिले के डीसी राकेश प्रजापति कहते हैं कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। वह मामले के बारे मे पता कर रहे हैं। इस घटना की खबर और तस्वीर सोशल मीडिया में सामने आने के बाद अब प्रदेशभर में चर्चा हो रही है कि लोग संकट के समय में लाश को कंधा देने के लिए भी सामने नहीं आ रहे हैं।
कहा जा रहा है कि कोरोना के खौफ के चलते पड़ोसियों-रिश्तेदारों ने महिला की अर्थी को कंधा देने से इंकार कर दिया। मजबूरी में बेटे ने मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशान घाट पहुंचा और किसी तरह मां का अंतिम संस्कार किया।
मीडिया में आई जानकारी के अनुसार कांगडा के रानीताल के समीपवर्ती गांव भंगवार में गुरुवार 13 मई की सुबह एक कोरोना पॉजिटिव महिला की मौत हो गई थी। भंगवार पंचायत की पूर्व उपप्रधान रह चुकी इस महिला की लाश को श्मशान घाट तक ले जाने के लिए कोई भी ग्रामीण आगे नहीं आया। ऐसे में बेटे ने किसी तरह मां की लाश को कंधे पर रखा और अकेले श्मशान घाट तक ले गया। आगे आगे बेटा अपनी मां की लाश को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था और उसके पीछे डेढ़ वर्ष के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी जा रही थी।
जब मामला एक्सपोज हुआ तो मीडिया से भंगवार पंचायत के प्रधान सूरम सिंह ने कहा कि वह खुद बुखार से पीड़ित थे, इसलिए पीड़ित परिवार के घर नहीं जा सके। फिर भी मैंने प्रशासन से पीपीई किट और हरसंभव सहायता के बारे में बात की थी, लेकिन पीड़ित वीर सिंह ने पीपीई किट लेने से मना कर दिया था और कहा था कि मेरे रिश्तेदार किट लेकर आ रहे हैं। यही नहीं मैंने 2 ट्रैक्टर चालकों से भी महिला की लाश को लेकर जाने की बात की थी लेकिन दोनों ट्रैक्टर चालकों ने इंकार कर दिया। हालांकि पीड़ित परिवार की गांव के कुछ लोगों ने मदद की और वो लड़कियां काटने के लिए पहले ही जंगल में चले गए थे।
मीडिया में यह मामला वायरल होने के बाद कांगड़ा जिले के डीसी राकेश प्रजापति कहते हैं कि उन्हें इस घटना की जानकारी नहीं है। वहीं जब हिमाचल का संकट के समय यह चेहरा सामने आया तो देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने घटना पर दुख जताते हुए बयान जरूर दिया कि अब कहीं भी कोरोना संक्रमित की मौत पर वो और उनके स्वयंसेवक लाशों को कंधा देंगे।
हालांकि इस तरह की यह कोई पहली घटना नहीं है। देशभर में ऐसी कई तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। कहीं बेटी ने पैसे के अभाव में मां को जलाने के बजाय दफनाया तो कहीं बुजुर्ग पति पत्नी की लाश अकेले साईकिल पर ढोकर श्मशान तक पहुंचा। ठेलों पर लाश ले जाने की कई घटनायें भी सामने आ चुकी हैं।