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कोविड -19

Omicron Variant : अभी मास्क से दूरी कल सड़क में रेंगते घर जाना होगा जरूरी

Nirmal kant
8 Dec 2021 5:17 PM IST
Omicron Variant : अभी मास्क से दूरी कल सड़क में रेंगते घर जाना होगा जरूरी
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(देहरादून में बिना मास्क पहने लोग)

Omicron Variant : मास्क न पहनने वाले अधिकतर लोग मज़दूर वर्ग के हैं और इन्हें मास्क की चिंता न होकर अपने काम मिलने की चिंता अधिक है...

उत्तराखंड से हिमांशु जोशी

Omicron Variant : आज सुबह की ही खबरों के अनुसार दुनियाभर के 38 से ज्यादा देशों में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के मामले सामने आ रहे हैं। दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले सामने आए इस वेरिएंट के अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप, भारत में भी काफी तेजी से नए केस मिलने लगे हैं। ब्रिटेन में ओमिक्रॉन सामुदायिक रूप से फैलना शुरू हो चुका है और वहां बिना ट्रैवल हिस्ट्री के भी काफी लोग कोरोना के नए वेरिएंट से संक्रमित हो रहे हैं।


सिर्फ़ भारत की बात की जाए तो तस्वीर में भारत के पिछले 30 दिनों के कोरोना आंकड़े हैं, साफ देखा जा सकता है कि भारत में भी कोरोना से मौत के आंकड़ों में उछाल आने लगा है। लोगों का मास्क मीडिया की खबरों के अनुसार निकलता है और वह भी अधिकतर ठुड्डीयों में ही लटका रहता है।

अभी हम कोरोना से जुड़ी जो खबरें देख-पढ़ रहे, यह ठीक वैसी ही हैं जैसी हमने कोरोना की पहली लहर के शुरुआती दौर में देखी थी। उसके बाद ऑक्सीजन, वेंटिलेटर, बेडों की कमी वाली कहानी शायद हम भूल चुके हैं।

आजतक की एक ख़बर के अनुसार ओमिक्रॉन वेरिएंट का ट्रांसमिशन रेट पिछले सभी वेरिएंट से बहुत ज्यादा है। ये वेरिएंट ज्यादा तेजी से इंसान को संक्रमित कर सकता है, भारत में पहली लहर अल्फा वेरिएंट से आई थी। जिसमें एक इंसान दो से तीन व्यक्तियों को संक्रमित कर सकता था। दूसरी लहर डेल्टा वेरिएंट की वजह से आई थी जिसका ट्रांसमिशन रेट 6.5 था यानी ये पहली लहर से तीन गुना तेज था।

अब अनुमानों के मुताबिक, नए ओमिक्रॉन वेरिएंट का ट्रांसमिशन रेट 12 से 18 के बीच है और ये डेल्टा से करीब तीन गुना ज्यादा तेजी से फैल सकता है।

यह फ़ोटो आज सुबह-सुबह देहरादून की है और इसे ज़ूम करके देखेंगे तो मास्क पहने शायद ही कोई दिखेगा। इस स्थान पर सुबह मजदूरों का जमावड़ा लगा रहता है और अगर कल कोरोना बढ़ने से लॉकडाउन लगाया जाता है तो यही मज़दूर कल सड़क पर भूखे-प्यासे अपने घर जाते दिखेंगे।

मास्क न पहनने वाले अधिकतर लोग मज़दूर वर्ग के हैं और इन्हें मास्क की चिंता न होकर अपने काम मिलने की चिंता अधिक है। अब सवाल यह है कि इन्हें मास्क पहनने के लिए जागरूक कौन करेगा! कोरोना काल आए दो वर्ष होने को हैं पर हम अब तक भारत की आबादी को मास्क पहनने के लिए जागरूक करने में कामयाब नही हो पाए हैं, सिर्फ मोबाइल की रिंगटोन भर से मज़दूर वर्ग मास्क पहनने के लिए जागरूक नहीं हो सकता। इसके लिए हमें संचार के अपने पारंपरिक तरीकों की तरफ लौटना होगा,जैसे उन चौराहों पर जहां इन मजदूरों का जमावड़ा रहता है वहां नाटक दिखाया जाए। जिसमें मास्क न पहनने के नुकसान को दिखाया जा सकता है।

यह कार्य हमें जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी शुरू करना होगा क्योंकि सुनी पड़ी सड़कों से घरों के बर्तन भी सुने पड़ने जल्दी ही शुरू हो सकते हैं।

नोट- आलेख डराने नहीं जागरूक करने के लिए लिखा गया है, जब जागो तब सवेरा।

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