मोदी सरकार में घुटने के बल गिरी अर्थव्यवस्था, देश के इतिहास में पहली बार GDP माइनस 7 के रहेगी नीचे
GDP Growth Rate : जीडीपी ग्रोथ रेट में आ सकती है गिरावट, चौथी तिमाही में 3.5 फीसदी रह सकती है विकास दर
जनज्वार ब्यूरो। मोदी सरकार के अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बड़े हवाई दावों के बीच आजाद भारत के इतिहास में पहली बार देश का सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के माइनस 7.7 पर तक गिरने का अंदेशा उत्पन्न हो गया है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा गुरुवार को जारी पहले अग्रिम अुनमान में इसको लेकर आशंका व्यक्त की गयी है और अगर ऐसा होगा तो पिछले 73 साल से अधिक के स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह अबतक की सबसे बड़ी गिरावट होगी।
महत्वपूर्ण बात यह कि जीडीपी को लेकर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय का अनुमान रिजर्व बैंक के 7.5 प्रतिशत संकुचन के अनुमान के करीब है। अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञो ंका अनुमान है कि सालाना वास्तविक जीडीवी वृद्धि ऋणात्मक 6.5 प्रतिशत से ऋणात्मक 9.9 प्रतिशत गिर सकती है। यानी पहले से ऋणात्मक रही जीडीपी वृद्धि दर और अधिक ऋणात्मक हो जाएगी।
इस संबंध में भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि निवेश में कमी और सरकारी व्यय की वृद्धि धीमी रही है। उन्होंने कहा कि इस साल की स्थिति अलग है, कंपनियां अच्छा मुनाफा दिखा रही हैं लेकिन उनके वेतन बिल में कमी आयी है।
कहां कितनी गिरावट की संभावना
नए अनुमान के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में 9.4 प्रतिशत, सेवा क्षेत्र में 8.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। आंकड़े बताते हैं कि व्यापार, हाॅस्पिटिलिटी, ट्रांसपोर्ट व संचार सेवाओं में 21.4 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। निर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर 12.6 प्रतिशत तक गिर सकती है। वहीं, कृषि क्षेत्र में सकल मूल्यवर्द्धन में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है।
वहीं, सरकार का अनुमान है कि नाॅमिनल जीडीपी में 4.2 प्रतिशत की संकुचन आएगा। वित्त मंत्रालय के द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है, हाल के महीनों में उच्च आवृत्ति वाले संकेतक आर्थिक गतिविधियों में सुधार को दर्शाते हैं। विकसित देशों की तुलना में महामारी का बेहतर तरीके से प्रबंधन करने से आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखा जा रहा है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में निवेश में 14.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी, जबकि निजी उपभोक्ता व्यय 9.5 प्रतिशत तक घट सकता है। जारी वित्त वर्ष में पहली छमाही में केंद्र व राज्य का व्यय अधिक नहीं बढा था, हालांकि आंकड़े ये संकेत देते हैं कि दूसरी छमाही में व्यय बढ रहा है और जारी वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में पूंजीगत व्यय बढान से आर्थिक सुधार को हल्की गति मिल सकती है।