केंद्र ने बंद की अल्पसंख्यक समुदाय के शोधार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति, प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप पहले से ही है बंद
Researchers Scholarship : केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यक समुदायों के शोधार्थियों को मिलने वाली छात्रवृत्ति करने जा रही है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने लोकसभा में इसकी सूचना सदन को दी है। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों के रिसर्च स्कॉलर्स को मिलने वाली मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप को चालू वित्त वर्ष से बंद किया जा रहा है। यह फेलोशिप सच्चर समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए यूपीए शासनकाल में शुरू की गई थी।
योजनाओं के दोहराव को रोकने के लिए उठाया ये कदम
द हिंदू के मुताबिक अल्पसंख्यक मंत्रालय संभाल रहीं केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने गुरुवार को लोकसभा में कहा कि यह निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि एमएएनएफ कई अन्य योजनाओं के साथ ओवरलैप कर रही थी। ईरानी ने कहा चूंकि एमएएनएफ योजना सरकार द्वारा लागू उच्च शिक्षा के लिए कई अन्य फेलोशिप योजनाओं के साथ ओवरलैप करती है और अल्पसंख्यक छात्रों को पहले से ही ऐसी योजनाओं के तहत कवर किया गया है, इसलिए सरकार ने 2022-23 से एमएएनएफ योजना को बंद करने का फैसला किया है।
7 सालों में शोधार्थियों ने उठाया 738 करोड़ का लाभ
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के मुताबिक योजना को लागू करने वाले विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 और 2021-22 के बीच लगभग 6,722 उम्मीदवारों का चयन किया गया था। इस दौरान 738.85 करोड़ रुपये की फेलोशिप वितरित की गई। द हिंदू ने जुलाई 2022 में एक रिपोर्ट में बताया था कि शोधार्थियों को फेलोशिप मिलने में कई महीनों की देर हुई थी। छात्रों ने इस योजना के जारी रहने को लेकर भी संदेह जताया था।
इस बात की पुष्टि करते हुए ईरानी ने संसद में कहा कि 2019-20 के बाद से केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों द्वारा शुरू की गई अधिकांश योजनाओं के तहत लाभार्थियों की संख्या में कमी आई है। दो दिन पहले यानि 8 दिसंबर को ईरानी ने कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन के एक सवाल के जवाब में कहा कि एमएएनएफ को छोड़कर ऐसी सभी योजनाएं अल्पसंख्यकों सहित सभी समुदायों के उम्मीदवारों के लिए खुली हैं, लेकिन अल्पसंख्यक छात्रों को मिली फेलोशिप का विवरण केवल एमएएनएफ के तहत ही लिया जाता है।
यह छात्रों के साथ नाइंसाफी है
कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने कहा कि वह एमएएनएफ को रोकने का मुद्दा संसद में उठाएंगे। यह नाइंसाफी है। कई शोधार्थी इस कदम से आगे पढ़ने का अवसर खो देंगे।
कमियों को दूर करने के बादल छात्रवृत्ति को ही बंद कर दिया
नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन के जामिया मिलिया इस्लामिया के अध्यक्ष एनएस अब्दुल हमीद ने कहा कि यह मुद्दा कई अल्पसंख्यक छात्रों को प्रभावित करेगा जिन्हें ओबीसी नहीं माना जाता है। अल्पसंख्यकों, ओबीसी, दलितों और आदिवासियों के लिए छात्रवृत्ति ओवरलैप हो जाती थी क्योंकि आवेदक समान सामाजिक या धार्मिक पृष्ठभूमि से हो सकते हैं। हम केंद्र से विसंगतियों को दूर करने की मांग करते रहे हैं। केंद्र ने विसंगतियों को दूर करने के बजाय छात्रवृत्ति को पूरी तरह से बंद कर दिया है। यह कई मुस्लिम, सिख और ईसाई छात्रों को प्रभावित करेगा, जिन्हें विभिन्न राज्यों में ओबीसी के रूप में नहीं माना जाता है।
प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप पहले से ही है बंद
इससे पहले नवंबर 2022 में केंद्र सरकार ने एक आदेश में कहा था कि अब से पहली से आठवीं कक्षा तक के अल्पसंख्यक छात्रों को प्री-मैट्रिक स्कॉलरशिप नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह इस कानून के तहत पहली से आठवीं कक्षा तक के छात्रों को अनिवार्य शिक्षा प्रदान कर रही है इसलिए स्कॉलरशिप दिए जाने की ज़रूरत नहीं है।