Dehradun News : शिक्षक हृदय राम ने बदल डाली इस सरकारी स्कूल की तस्वीर, अब प्राइवेट स्कूल भी नहीं टक्कर में
Dehradun News : शिक्षक हृदय राम ने बदल डाली इस सरकारी स्कूल की तस्वीर, अब प्राइवेट स्कूल भी नहीं टक्कर में
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Dehradun News : उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों (Govt Schools In Uttarakhand) के बारे में यह बात बड़े जोरशोर से कही जाती है कि सरकारी स्कूल के अध्यापकों का ध्यान बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर कम और अपनी मांगों के लिए आंदोलन करने पर ज्यादा रहता है। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि चुनाव में पोलिंग सेंटर बनने के अलावा यह स्कूल केवल इन मास्टरों की तनख्वाह बांटने वाले अड्डे बने हुए हैं। अतिश्योक्तिपूर्ण इन आरोपों में भले ही बहुत ज्यादा सच्चाई हो लेकिन फिर भी इन्हीं स्कूलों से कोई ऐसी खबर निकल आती है, जो अभी भी इन सरकारी स्कूलों से पूरी तरह नाउम्मीद नहीं होने देती।
ऐसी ही एक उम्मीद जगाने वाली खबर टिहरी जिले (Tehri Garhwal) के एक सरकारी स्कूल की है, जहां एक अध्यापक ने अपनी मेहनत व जुनून के चलते विद्यालय का पूरा परिवेश ही बदलकर रख दिया। इस हृदयराम (Hriday Ram) नाम के अध्यापक की तैनाती टिहरी जिले के भिलंगना ब्लॉक के अति दुर्गम क्षेत्र के प्रावि लेणी हिंदाव विद्यालय में है। इस स्कूल में हृदय राम ने अपने नाम की तरह हृदय से काम करते हुए अपने स्कूल को न केवल एक मॉडल के तौर पर स्थापित किया बल्कि शिक्षा क्षेत्र की अविस्मरणीय कृति तोतोचान के तोमोए विद्यालय के हेड मास्टर सोसाकु कोबायाशी की भी याद दिला दी, जिनका मानना था कि "सभी बच्चे स्वभाव से अच्छे होते हैं। उस अच्छे स्वभाव को उभारने, सींचने-संजोने और विकसित करने की जरूरत है। स्वाभाविकता मूल्यवान है। चरित्र यथासंभव स्वाभाविकता के साथ निखरे। बच्चे अपनी निजी वैयक्तिकता में बड़े हों। आत्मसम्मान के साथ बिना किसी हीन भाव व कुंठा के। बच्चों को पूर्व निश्चित खांचों में डालने की कोशिश न करें। उन्हें प्रकृति पर छोड़ो। उनके सपने तुम्हारे सपनों से कहीं अधिक विशाल हैं।"
हृदय राम की 2009 में जब नियुक्ति इस दुर्गम विद्यालय में हुई थी तब स्कूल में बच्चों की संख्या मात्र 18 थी। लेकिन हृदय राम ने हार नहीं मानी दिन-रात एक कर के इस स्कूल में वह सब सुविधाएं उपलब्ध कराई जो कि किसी प्राइवेट स्कूल (Private School) में होती हैं। जैसे कि लैपटॉप प्रोजेक्टर कंप्यूटर आदि इसके अतिरिक्त विद्यालय में नवाचार के साथ बेहतर शिक्षण व्यवस्था उपलब्ध करवाई।
हृदय राम की मेहनत के बदौलत ही आज इस स्कूल के बच्चों की संख्या 48 तक पहुंच गई है। इससे पहले क्षेत्र के बच्चे प्राइवेट स्कूलों में जाते थे। किंतु धीरे-धीरे यहां की बढ़ती हुई सुविधाओं और मजबूत शिक्षा प्रणाली को देखते हुए यहां के लोगों ने अपने बच्चों को कि सरकारी स्कूल में दाखिला दिलवाया है।
हृदय राम ने अपने स्कूल के भवन को भी दुबारा से निर्माण कर के दुरुस्त करवाया है। यदि आप स्कूल के परिसर को देखेंगे तो आपको यहां पर कई सारी खूबसूरत फूलों की क्यारियां बनी हुई दिखाई देंगी जो कि हृदयराम ने खुद ही बनाई और सजाई हैं। हृदय राम के प्रयासों के कारण ही आज स्कूल की कायाकल्प बदल गई है। हृदयराम छुट्टी के दिन क्षेत्र के लोगों के घर जाकर उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक करते हैं और जो शिक्षा व्यवस्था उन्होंने अपने स्कूल में लाई है उसके बारे में लोगों को बताते हैं।
हृदयराम के इस सराहनीय प्रयासों के कारण उनके स्कूल के बच्चों का चयन जवाहर नवोदय के लिए भी हो रहा है। हृदयराम की बच्चों के प्रति कर्मठता को देखते हुए उनका चयन शैलेश मटियानी पुरस्कार के लिए भी हुआ है।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए 'जनज्वार' लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रु-ब-रु कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं। हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है। सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आएं और अपना सहयोग दें।)