Delhi School News : स्कूलों में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों से हो रही पढ़ाई, आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के अभिभावक पैसे नहीं दे पाए तो उन्हें थमा दी एनसीईआरटी की किताबें
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Delhi School News : दिल्ली (Delhi) के स्कूलों से एक चौकानें वाला मामला सामने आया हैं। सोशल मीडिया (Social Media) पर कुछ वीडियो चल रहे हैं जिसमें अभिभावकों और शिक्षकों के बीच पुस्तकों के वितरण को लेकर बात चल रही हैं। यह वीडियो सेक्टर 18 के माउंट आबू पब्लिक स्कूल (Mount Abu Public School) का बताया जा रहा है। वीडियो के अनुसार दिल्ली के सीबीएसई स्कूलों (CBSE Schools) में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EWS) के बच्चों लिए जो कोटा लागू हैं उसमें बच्चों का किसी तरह से नामांकन हो जाए तो भी उनके अभिभावक निश्चिंत नहीं हो सकते हैं। उन्हें समय-समय पर स्कूल प्रबंधन (School Management) की ओर से प्रताड़ित किया जाता है। खबरों के मुताबिक कुछ स्कूलों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बच्चों पर निजी प्रकाशकों की किताबें खरीदने का दबाव बनाया जा रहा हैं।
कुछ अभिभावकों (Parents) के मुताबिक दिल्ली के एक स्कूल माउंट आबू पब्लिक स्कूल में स्कूलों के पाठ्यक्रम निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाई कराया जाता है। इसके लिए बच्चों के अभिभावकों से मोटी राशि भी वसूली जाती है। एक अभिभावक ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर बताया है कि उन्हें स्कूल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि पुस्तकों के लिए पहले आय प्रमाण पत्र जमा करवाएं। पर आय प्रमाण पत्र जमा करवाने के बाद शिक्षक कहने लगे कि अगर निजी प्रकाशकों की पुस्तक चाहिए तो कम से कम दो हजार रुपए का भुगतान करना होगा अन्यथा उन्हें एनसीईआरटी की पुस्तकें ही उपलब्ध करायी जाएंगी।
आपको बता दें कि इसी स्कूल में निजी प्रकाशकों की पुस्तकों के लिए सामान्य वर्ग के बच्चों से चार हजार रुपए तक वसूले जाने की भी सूचना है। अभिभावकों का कहना है कि पहले उनसे कहा गया था कि वो अपने आय से संंबंधित प्रमाणपत्र स्कूल में जमा करवा दें उसके बाद उन्हें पुस्तकें उपलब्ध करवा दी जाएंगी। पर आय प्रमाण पत्र स्कूल में देने के बाद अब स्कूल प्रबंधन इसमें आनाकानी करने लगा है।
आय प्रमाण पत्र दिए जाने के बाद भी एसीईआरटी की पुस्तकें देने पर जब कुछ अभिवावकों ने आपत्ति जाहिर करने हुए कहा कि एक ही स्कूल में एक बच्चा निजी प्रकाशक की पुस्तक से पढ़ाई करेगा और दूसरा बच्चा एनसीईआरटी की पुस्तक से पढ़ाई करेगा तो क्या बच्चों को इससे पढ़ने में परेशानी नहीं होगी? तो इस पर स्कूल प्रबंधन की ओर से साफ-साफ शब्दों में कहा गया कि अगर निजी प्रकाशकों की पुस्तकें चाहिए तो दो हजार रुपए का भुगतान करना ही पड़ेगा। नहीं तो एनसीईआरटी की पुस्तकों से ही बच्चों को पढ़ाई करनी पड़ेगी। इस बारे में जब जनज्वार की टीम ने स्कूल के प्रिसिपल ज्योति अरोड़ा से बात कर उनका पक्ष जानने की कोशिश की गयी तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।
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