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शिक्षा

JNU में छात्रों को लगता है कि यहां 'सब कुछ फ्री' है- वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित

Janjwar Desk
27 April 2022 2:00 PM IST
JNU में छात्रों को लगता है कि यहां सब कुछ फ्री है- वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित
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JNU में छात्रों को लगता है कि यहां 'सब कुछ फ्री' है- वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित

JNU : वाइस चांसलर शांतिश्री धूलिपुडी पंडित ने कहा कि छात्रों को भ्रम है कि जेएनयू में सबकुछ फ्री है...

JNU : दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (JNU) की वाइस चांसलर शांतिशरी धूलिपुडी पंडित (Shanthishri Dhulipudi Pandit) का कहना है कि वह जेएनयू से प्यार करती हैं क्योंकि यह देश का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय है। हालांकि विश्वविद्यालय को लेकर कुछ चीजें उन्हें पसंद नहीं है। उन्होंने इस बारे में भी बात की और कहा कि छात्रों को लगता है कि यहां सबकुछ फ्री है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जेएनयू में अन्य विचारधाराओं के लिए नफरत की कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

वाइस चांसल धूलिपुडी पंडित से जब सवाल किया गया कि वे कौन सी दो चीजें हैं जो उन्हें जेएनयू के बारे में पसंद नहीं है या वह उनको बदलना चाहती हैं? इसपर उन्होंने कहा कि दो चीजें जो मुझे पसंद नहीं है, वह है एक भ्रम...छात्रों को लगता है कि सबकुछ फ्री है। जब वे बाहर जाते हैं तो उनमें से कुछ मानसिक रूप से प्रभावित हो जाते हैं वे जेएनयू नहीं छोड़ना चाहते हैं क्योंकि दुनिया ऐसी नहीं है और हम उन्हें यथार्थवादी नहीं बनाते। हमें लगता है कि सबकुछ जेएनयू जैसा है।

उन्होंने कहा कि आप कुछ भी पहन सकते हैं, किसी को कोई परेशानी नहीं होती लेकिन बाहर की दुनिया ऐसी नहीं है। या आजादी के साथ भी, वे सोचते हैं कि आप जो कुछ भी करेंगे, आपके खिलाफ कोई केस नहीं होगा।

वाइस चांसलर ने कहा कि दूसरी बात, यहां घृणा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। अपनी विचारधारा रखें, अपना नरजरिया रखें लेकिन नफरत न करें। नफरत एक ऐसी चीज है जो इतनी नकारात्मक है और मुझे लगता है कि क्योंकि हम टैक्सपेयर्स के पैसे पर हैं और बहुत सारे लोग हैं जो जेएनयू को बंद करो लिखते रहते हैं।

धुलिपुडी पंडित ने आगे कहा कि मुझे लगता है कि छात्रों को भी यह समझना चाहिए कि यह जीवन का एक फेज है। इसे जियो, इसका आनंद लोग, यहां से बाहर जाकर अच्छा करो जैसा हमने अपने समय में किया था। ऐसा कुछ न करें जिससे आपको ही तकलीफ हो। जेएनयू में सर्वश्रेष्ठ प्रोफेसर हैं जो प्रतिबद्ध हैं।

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