अब IIT दिल्ली में बीटैक के छात्र ने मौत को लगाया गले, देशभर में उच्च शैक्षणिक संस्थानों में 5 साल में 98 युवा जिंदगी को कह चुके अलविदा
IIT Delhi Student Suicide : 12वीं करने के बाद पहले उच्च शैक्षणिक संस्थानों में एडमिशन से जूझते और उसके बाद किसी तरह एडमिशन मिल भी जाये तो कैरियर के अन्य तनावों से युवाओं का दोचार होना आम बात हो चुकी है। अपने बच्चे को करियर में उच्च पायदान पर देखने की चाहत कई बार बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो जाती है। मां—बाप के सपने पूरे करने के लिए पढ़ते युवा अपनी जिंदगी को कब अलविदा कह देते हैं, शायद उन्हें भी पता न चल पाता हो। जी हां, एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 5 सालों में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट में पढ़ रहे 98 युवा आत्महत्या कर चुके हैं। यह तो वह घटनायें हैं जो सामने आयी हैं, अभी एक बड़ा आंकड़ा ऐसी मौतों का भी होगा जो अखबारों की सुर्खियां न बन पाये हों।
अब दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) में 21 साल के बीटेक स्टूडेंट द्वारा मौत को गले लगाने की खबर सामने आयी है। कल 1 सितंबर की शाम को छात्र की लाश उसके हॉस्टल के कमरे में लटकती हुयी बरामद हुयी थी।
मीडिया में आयी खबरों के मुताबिक 21 साल का अनिल IIT दिल्ली में मैथमेटिक्स और कंप्यूटिंग साइंस के 2019-2023 बैच का छात्र था। वह IIT दिल्ली के विंध्यांचल हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करता था। जानकारी यह भी सामने आयी है कि अनिल का कोर्स इसी साल जून में खत्म हो चुका था, मगर कुछ विषयों में वह पास नहीं हुआ था, जिस कारण वह हॉस्टल में 6 माह के एक्सटेंशन पर रह रहा था। इस घटनाक्रम के बाद ऐसा लग रहा है कि अनिल ने पास न होने के तनाव में आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाया होगा।
इस घटना की जांच कर रही पुलिस का कहना है कि यह मामला शुक्रवार 1 सितंबर की शाम 6 बजे का है। उनके पास फोन आया कि अनिलद अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोल रहा, वहां पहुंचने पर जब अंदर से बंद कमरे का दरवाजा तोड़ा गया तो उसकी लाश फंदे से लटकी हुयी थी। आनन फानन में पुलिस उसे हॉस्पिटल लेकर गयी, मगर तब तक उसकी जान जा चुकी थी, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस का कहना है कि अनिल के कमरे से किसी तरह का कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ था। पुलिस भी यही मान रही है कि शायद सभी पेपर क्लियर न हो पाने के कारण भारी तनाव में अनिल ने यह जानलेवा कदम उठाया होगा।
गौरतलब है कि अनिल आईआईटी दिल्ली में आत्महत्या करने वाला पहला छात्र नहीं है। इससे मात्र दो माह पहले यहां इसी तरह की एक अन्य घटना भी सामने आयी थी। 8 जुलाई को IIT दिल्ली के उदयगिरि हॉस्टल में B Tech फोर्थ ईयर के 20 वर्षीय छात्र आयुष ने अपने कमरे में फंदे से लटककर आत्महत्या कर ली थी।
मनोचिकित्सकों का भी मानना है कि उच्च शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्र फेल होने के बाद इस तरह के मानसिक तनाव और ट्रॉमा में जी रहे होता हैं कि वह मौत को गले लगा लेते हैं, उन्हें इससे बेहतर कोई विकल्प नजर नहीं आता, क्योंकि यहां तक भी वह खुद से ज्यादा मां-बाप के सपने पूरे करने पहुंचे होते हैं। फेल होने पर जब उन्हें लगता है कि वह जिंदगी में असफल हो रहे हैं तो आत्महत्या ही एकमात्र रास्ता नजर आता है।
एक आंकड़े के मुताबिक पिछले 5 सालों में जहां देश के उच्च शैक्षणिक संस्थानो में 98 छात्रों ने आत्महत्या की है, वहां सबसे ज्यादा 39 मामले सिर्फ आईआईटी से जुड़े हुए हैं। देशभर के 23 आईआईटी में 5 सालों के दौरान 39 छात्रों ने तनाव में मौत को गले लगाया।
शिक्षा राज्य मंत्री सुभाष सरकार ने 26 जुलाई को संसद में जानकारी देते हुए बताया था कि पिछले पांच सालों में देशभर के हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स से 98 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की थी और इनमें सबसे ज्यादा IIT से 39 मामले सामने आये हैं। NIT से 25 और सेंट्रल यूनिवर्सिटी से 25 स्टूडेंट्स ने मौत को गले लगाया था। उच्च शैक्षणिक संस्थानों में जहां साल 2023 में 20 मामले सामने आये थे, वहीं 2022 में 24 और 2021-21 में 14 छात्रों ने आत्महत्या जैसा घातक कदम उठाया था।
5 सालों में हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट से 98 स्टूडेंट्स की आत्महत्याओं में से 66 मामले सिर्फ इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्रों के हैं।