UKSSSC Paper Leak : घोड़े और टैंपो चलाने वाले भी बन गए उत्तराखंड के भर्ती घोटाले में करोड़पति, 24वां शातिर भी हुआ गिरफ्तार
उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग द्वारा वीडियो/वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक मामले में एसटीएफ टीम ने 24वें आरोपी के तौर पर केंद्रपाल नाम के व्यक्ति की गिरफ्तारी की है
UKSSSC Paper Leak : उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग द्वारा वीडियो/वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में प्रश्नपत्र लीक मामले में एसटीएफ टीम ने 24वें आरोपी के तौर पर केंद्रपाल नाम के व्यक्ति की गिरफ्तारी की है। केंद्रपाल भर्ती घोटाले की इस परीक्षा की पूर्व संध्या पर परीक्षार्थियों को धामपुर में लाकर प्रश्न पत्र हल करवाने में मुख्य भूमिका में था।
भर्ती घोटाले में भारतीय जनता पार्टी के जिला पंचायत सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के खासमखास हाकम सिंह रावत की गिरफ्तारी होते ही हाकम सिंह के एक रिसोर्ट में पार्टनर केंद्रपाल समझ गया था कि अब उसकी भी जेलयात्रा का मुहूर्त आ चुका है। लेकिन केंद्रपाल पुत्र भीम सिंह निवासी टीचर कॉलोनी धामपुर उत्तर प्रदेश ने अपने ऊपर आए इस संकट को टालने के लिए अपने खिलाफ एक मारपीट के चल रहे पुराने मुकदमे में अपनी जमानत तुड़वाते हुए जेल जाने का षड्यंत्र रच लिया, मगर एसटीएफ ने इसके बाद भी इस मामले में इसकी गिरफ्तारी कर ली।
केंद्रपाल की गिरफ्तारी के बाद भी उसके फर्श से अर्श तक पहुंचने की वही सिनेमायी टाइप की कहानी सामने आई है जो इससे पहले कुख्यात हाकम सिंह व चन्दन मनराल की गिरफ्तारी के बाद सामने आई थीं।
संदर्भ के तौर पर बता दें कि इस मामले में गिरफ्तार हो चुका भारतीय जनता पार्टी का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह रावत एक अधिकारी के यहां मामूली कुक था। बेरोजगारों को नौकरियां बेचने का धंधा करने के बाद वह अच्छे-अच्छे लोगों को खरीदने की स्थिति में आ गया था। क्या तो प्रशासन और क्या ही राजनीतिज्ञ, सब उसके हमनिवाला-हमप्याला हुआ करते थे। दोनों क्षेत्र के नामचीन लोगों के साथ वायरल हाकम की फोटो से हाकम के रूतबे का पता चलता है।
वहीं इस मामले में गिरफ्तार हुए चन्दन मनराल की बात करें तो अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे ब्लॉक में घोड़े चराने वाला चन्दन शुरुआती दौर में रामनगर आकर यात्री बस में कंडक्टर हुआ करता था। घपले-घोटालों का ही प्रताप था कि आज वह अरबपति बनकर मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के बाजू में बैठकर फोटो खिंचवाने कूवत रखता था। ऐसे ही लोगों के देखते ही देखते फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाला यह केंद्रपाल था।
पूछताछ के दौरान एसटीएफ को जानकारी मिली उसके अनुसार केंद्रपाल धामपुर में ही वर्ष 1996 में टेंपो चलाता था। उसके बाद कुछ सालों तक रेडीमेड दुकान पर काम किया। उसके बाद उसने कपड़ों की सप्लाई का काम किया। वर्ष 2011-2012 में अभियुक्त प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने के गिरोह से जुड़ा तो इसकी किस्मत पलटनी शुरू हुई। साल 2012 में केंद्रपाल की इस भर्ती घोटाले के मामले में पहले गिरफ्तार हो चुके चन्दन मनराल से हुई। इसी समय केंद्रपाल की मुलाकात पूर्व में गिरफ्तार हाकम सिंह रावत से हरिद्वार के एक लेबर कांट्रेक्टर के माध्यम से हुई थी। उन दिनों हाकम सिंह भी हरिद्वार में रहता था। यहीं से हाकम सिंह रावत का केंद्रपाल के घर पर आना शुरू हुआ। केंद्रपाल की मुलाकात इसी मामले में पूर्व में गिरफ्तार लोकगायक गोपाल बाबू गोस्वामी के पुत्र जगदीश गोस्वामी से वर्ष 2019 में ही जागेश्वर अल्मोड़ा में एक मंदिर में हुई थी। वहीं से यह दोनो भी दोस्त बन गए थे।
केंद्रपाल ने बेरोजगारों को नौकरी बेचने के धंधे से ही करोड़ों की संपत्ति इकट्ठा की थी। एसटीएफ के अनुसार केंद्र पाल ने करीब 12 बीघा जमीन धामपुर में ली। इसके अलावा धामपुर में एक आलीशान मकान, सांकरी में हाकम सिंह के साथ रिजोर्ट में पार्टनरशिप भी हैं। कुल मिलाकर इन लोगों ने उत्तराखंड में भ्रष्टाचार के ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए थे कि "घोड़े को नहीं मिलती घास और गधे खा रहें हैं चवनप्राश" वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी।