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पर्यावरण

उत्तराखंड में बेवक्त खिलता बुरांश गंभीर पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन की चेतावनी !

Janjwar Desk
28 Feb 2024 10:17 AM GMT
उत्तराखंड में बेवक्त खिलता बुरांश गंभीर पर्यावरणीय संकट और जलवायु परिवर्तन की चेतावनी !
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इस फूल के जल्दी खिलने से न सिर्फ बुरांश के औषधीय गुणों पर असर पड़ सकता है, बल्कि फूलों की मात्रा भी कम हो सकती है, बुरांश पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी से भरपूर होता है, इसका इस्तेमाल दवाओं और खाने के सामानों में भी किया जाता है....

Climate Change : पहाड़ों का गहना उत्तराखंड का राजकीय फूल बुरांश, इस बार किसी उत्सव की सूचना नहीं, बल्कि खतरे की घंटी बजा रहा है. फरवरी में ही ये लाल रंग के शानदार फूल खिल गए हैं, जिसने पर्यावरणविदों और स्थानीय लोगों की चिंता बढ़ा दी है.

आमतौर पर ये फूल मार्च-अप्रैल में अपने पूरे रंग में खिलते हैं, लेकिन इस बार इनका बेवक्त आगमन, जलवायु परिवर्तन की जहरीली करतूतों का नतीजा माना जा रहा है. डॉ पंकज नौटियाल, कृषि विज्ञान केंद्र के प्रमुख वैज्ञानिक बताते हैं, "इस साल जनवरी में ना तो ठीक से बारिश हुई और ना ही ठंड पड़ी. दिन का तापमान तो इतना ज्यादा रहा कि मानो मार्च आ गया हो. यही वजह है कि बुरांश भी बेवक्त खिल गए."

पर्यावरणविद डॉ. बीडी जोशी कहते हैं, "हर जीवित प्राणी का अपना एक जैविक चक्र होता है, जो हजारों सालों से प्रकृति के हिसाब से चलता आ रहा है. लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से तापमान बेतहाशा बढ़ रहा है और बारिश कम हो रही है. इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है और पौधे भी समय से पहले खिलने को मजबूर हो रहे हैं."

पहाड़ों में सर्दियां कमजोर पड़ रही हैं, दिन गर्म हो रहे हैं और बारिश का नामोनिशान तक नहीं है. मौसम विभाग के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम का चक्र ही बदल रहा है. पश्चिमी विक्षोभ, जो सर्दियां लाते हैं, कमजोर पड़ गए हैं. दिसंबर और जनवरी में कम बारिश होने और तापमान बढ़ने से, सर्दी का असर ही कम हो गया.

डॉ पंकज नौटियाल आगे कहते हैं कि इस फूल के जल्दी खिलने से न सिर्फ बुरांश के औषधीय गुणों पर असर पड़ सकता है, बल्कि फूलों की मात्रा भी कम हो सकती है. बुरांश पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन और विटामिन सी से भरपूर होता है. इसका इस्तेमाल दवाओं और खाने के सामानों में भी किया जाता है.

इसके साथ ही, बुरांश के जल्दी खिलने से इससे बनने वाले जूस, स्क्वैश और अन्य खाने के पदार्थों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ सकता है. पर्यटन पर भी इसका असर हो सकता है, क्योंकि पर्यटक अक्सर बुरांश के फूलों से बने उत्पादों को पसंद करते हैं.

उत्तराखंड के राजकीय फूल का जल्दी खिलना, जलवायु परिवर्तन के दूरगामी प्रभावों की एक गंभीर चेतावनी है. इससे न सिर्फ पर्यावरण को खतरा है, बल्कि लोगों की रोजी-रोटी और पहाड़ों की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है. हमें मिलकर जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कदम उठाने की सख्त जरूरत है!

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