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पर्यावरण

अत्यधिक गर्मी में बढ़ जाती है महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न, भारत में यह प्रभाव सर्वाधिक

Janjwar Desk
9 July 2023 7:24 AM GMT
अत्यधिक गर्मी में बढ़ जाती है महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न, भारत में यह प्रभाव सर्वाधिक
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अध्ययन के अनुसार भारत में वार्षिक औसत तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने पर महिलाओं पर घरेलू शारीरिक हिंसा में 8 प्रतिशत और यौन हिंसा में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

Women are silent victim of unusual rise in temperature. फिलहाल तो देश का अधिकतर हिस्सा भारी बारिश के कारण बाढ़ की चपेट में है, पर मार्च के अंत से जून के अंत तक अधिकतर हिस्से झुलसाने वाली गर्मी से परेशान थे। असहनीय गर्मी का ऐसा कहर था कि देश के अनेक्क हिस्सों में तापमान के अनेक रिकॉर्ड टूटने के साथ ही अनेक लोगों की असमय मृत्यु भी हो गयी। तापमान के रिकॉर्ड टूटने और इससे होने वाली मौतों के समाचार तो आते हैं, पर अत्यधिक गर्मी का एक और सामाजिक असर है, जिस पर कोई चर्चा नहीं की जाती है। हाल में ही जामा साइकाइट्री नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अत्यधिक गर्मी के समय महिलाओं पर घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न के मामले बढ़ जाते हैं, और भारत उन देशों में शामिल है जहां यह प्रभाव सर्वाधिक है।

इस अध्ययन को दक्षिण एशिया के तीन देशों – भारत, पाकिस्तान और नेपाल – की कुल 194871 महिलाओं और बालिकाओं के वर्ष 2010 से 2018 तक लगातार किये गए सर्वेक्षण के आधार पर किया गया है। इन महिलाओं और बालिकाओं की उम्र 15 से 48 वर्ष के बीच थी। वर्ष 2010 से 2018 के तापमान के आंकड़े सम्बंधित देशों के मौसम विभागों से एकत्रित किये गए थे।

इस अध्ययन के अनुसार वार्षिक औसत तापमान में एक डिग्री सेल्सियस की बृद्धि होने पर महिलाओं पर घरेलू हिंसा, मानसिक उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के मामलों में औसतन 6.3 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हो जाती है। इन तीनों देशों में महिलाओं पर घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न के सर्वाधिक मामले दर्ज किये जाते हैं और भारत में ही अत्यधिक तापमान के कारण महिलाओं पर हिंसा में भी सर्वाधिक बढ़ोत्तरी दर्ज की जाती है। इस अध्ययन के अनुसार भारत में वार्षिक औसत तापमान में 1 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी होने पर महिलाओं पर घरेलू शारीरिक हिंसा में 8 प्रतिशत और यौन हिंसा में 7.3 प्रतिशत की वृद्धि हो जाती है।

इस अध्ययन की सह लेखिका मिशेल बेल येल यूनिवर्सिटी में एनवायर्नमेंटल हेल्थ की प्रोफ़ेसर हैं। इनके अनुसार बढ़ते तापमान के साथ हिंसा बढ़ने के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण हैं। अत्यधिक तापमान के समय लोग घरों में ही बंद रहते हैं, काम के लिए बाहर नहीं जा पाते और आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है। आर्थिक स्थिति प्रभावित होने से मानसिक तनाव बढ़ता है, जिससे महिलाओं पर हिंसा बढ़ती है। यह हिंसा हरेक आर्थिक वर्ग में बढ़ती है, पर सबसे अधिक बढ़ोत्तरी निम्न आय वर्ग और ग्रामीण आबादी में देखी गयी है।

इससे पहले शंघाई स्थित फुदान यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने बताया था कि तापमान बढ़ने के कारण सामाजिक हिंसा बढ़ती जा रही है और इससे सबसे अधिक प्रभावित महिलायें हो रही हैं। मेड्रिड में किये गए एक अध्ययन के अनुसार तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि के समय महिलाओं की हत्या दर में 40 प्रतिशत वृद्धि हो जाती है, जबकि केन्या में तापमान बढ़ने से महिलाओं पर हिंसा के मामले 60 प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं। एक दूसरे वैश्विक अध्ययन के अनुसार तापमान बढ़ने से घरेलू हिंसा में औसतन 2.3 प्रतिशत और सामाजिक हिंसा में 13.2 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हो जाती है।

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