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पर्यावरण

तापमान को स्थिर करने के लिए मीथेन एमिशन को 2030 तक 20 प्रतिशत और 2035 तक घटाना होगा 30 फीसदी तक, नई रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Janjwar Desk
6 Nov 2025 6:02 PM IST
तापमान को स्थिर करने के लिए मीथेन एमिशन को 2030 तक 20 प्रतिशत और 2035 तक घटाना होगा 30 फीसदी तक, नई रिपोर्ट में हुआ खुलासा
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अगर देश तुरंत और बड़े पैमाने पर कदम उठाएँ, जैसे तेज़ी से रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ाना, अर्थव्यवस्था को बिजली-आधारित बनाना और जीवाश्म ईंधनों से बाहर निकलना, तो 2050 से पहले ही तापमान स्थिर हो सकता है। रिपोर्ट के Highest Possible Ambition (HPA) परिदृश्य के मुताबिक, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो वैश्विक तापमान लगभग 1.7°C पर चरम पर पहुँचेगा और 2100 तक गिरकर 1.2°C तक आ जाएगा...

Global warming : दुनिया अभी भी 1.5°C के भीतर तापमान को सीमित करने की दौड़ में है, अगर अब से सबसे ऊँची स्तर की जलवायु प्रतिबद्धता के साथ कदम बढ़ाए जाएँ। क्लाइमेट एनालिटिक्स की नई रिपोर्ट “Rescuing 1.5°C” ने दिखाया है कि भले ही पिछले कुछ सालों में कार्रवाई धीमी रही हो, फिर भी दुनिया अपने तापमान को सदी के अंत तक दोबारा 1.5°C से नीचे ला सकती है।

इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर देश तुरंत और बड़े पैमाने पर कदम उठाएँ, जैसे तेज़ी से रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ाना, अर्थव्यवस्था को बिजली-आधारित बनाना और जीवाश्म ईंधनों से बाहर निकलना, तो 2050 से पहले ही तापमान स्थिर हो सकता है। रिपोर्ट के Highest Possible Ambition (HPA) परिदृश्य के मुताबिक, अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला, तो वैश्विक तापमान लगभग 1.7°C पर चरम पर पहुँचेगा और 2100 तक गिरकर 1.2°C तक आ जाएगा।

रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक CO₂ एमिशन को 2045 तक नेट-ज़ीरो पर लाना होगा। संपूर्ण ग्रीनहाउस गैस एमिशन को 2060 के दशक में नेट-ज़ीरो तक पहुँचना होगा। और 2050 तक दुनिया की दो-तिहाई ऊर्जा मांग बिजली से पूरी की जा सकती है।

क्लाइमेट एनालिटिक्स के सीईओ बिल हेयर ने कहा, “1.5°C से ऊपर जाना एक राजनीतिक असफलता है, जो ऐसी क्षति और टर्निंग पॉइंट्स को जन्म दे सकता है जिन्हें टाला जा सकता था, लेकिन यह रिपोर्ट बताती है कि हम अभी भी हालात को पलट सकते हैं, अगर हम इस ओवरशूट की अवधि को न्यूनतम रखें, तो अपूरणीय जलवायु क्षति से बचा जा सकता है।”

क्लाइमेट एनालिटिक्स के वरिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. नील ग्रांट ने कहा, “पिछले पाँच साल हमने खो दिए हैं, लेकिन इन्हीं पाँच सालों में रिन्यूबल एनर्जी और बैटरियों के क्षेत्र में क्रांति भी हुई है। अगर हम इस रफ़्तार पर सवार हो जाएँ, तो अब भी समय है। यह खिड़की बहुत छोटी है, लेकिन खुली है, फैसला हमारे हाथ में है।”

रिपोर्ट के अन्य निष्कर्षों में कहा गया है कि एनर्जी क्षेत्र में मीथेन एमिशन को 2030 तक 20% और 2035 तक 30% घटाना होगा, ताकि तापमान स्थिर हो सके। वहीं, कार्बन रिमूवल टेक्नोलॉजी को 2050 तक सालाना पाँच अरब टन CO₂ कैप्चर करने के स्तर तक लाना होगा। रिपोर्ट यह भी मानती है कि अगर कार्बन रिमूवल की तकनीक आधी रफ़्तार से भी आगे बढ़ी, तब भी सदी के अंत तक तापमान को 1.5°C से नीचे लाना संभव रहेगा।

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब COP30 के ठीक पहले दुनिया इस सवाल से जूझ रही है कि क्या 1.5°C का सपना अब भी जिंदा है। क्लाइमेट एनालिटिक्स की यह नई तस्वीर बताती है कि जवाब है, “हाँ, अगर अभी से कार्रवाई शुरू हो।”

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