CVC report on Corruption : इस मामले में है पीएम मोदी और केजरीवाल की सोच एक समान!
CVC report 2021 : इस मामले में है पीएम मोदी और केजरीवाल की सोच एक समान!
CVC report on Corruption : वैसे तो पीएम नरेंद्र मोदी ( PM Modi ) और सीएम अरविंद केजरीवाल ( CM Kejriwal ) विचारधारा, सियासी पार्टी, कार्यशैली, संस्थागत और योजनागत प्राथमिकतों, राष्ट्रवाद, सुशासन आदि मुद्दों पर कामकाज के तौर तरीके अलग-अलग हैं, लेकिन एक मुद्दा है, जिस मामले में दोनों की सोच एक समान है। और वो मुद्दा है भ्रष्टाचार का। इसका मतलब ये नहीं है दोनों भ्रष्टाचार के धुर विरोधी हैं, बल्कि इस मामले दोनों की सोच सलेक्टिव यानि एक जैसी है। दोनों के भ्रष्टाचार के पैमाने को लेकर अपनों और परायों में भेद करते हैं। दोनों अप्रत्यक्ष रूप से भ्रष्टाचार ( Corruption ) का आंख मूंदकर समर्थन करते हैं, पर ये हर माले में खुलकर सामने नहीं आता। यही वजह है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मामले में दोनों एक जैसे हैं।
ऐसा मैं नहीं कह रहा। देश की सबसे बड़ी सतर्कता एजेंसी यानि केंद्रीय सतर्कता आयोग ( CVC ), जिसके लिए अन्ना हजारे ने लंबा आंदोलन चलाया और यूपीए टू को सत्ता से बेदखल होना पड़ा। उसी सीवीसी ने भ्रष्टाचार को लेकर जो साल 2021 की रिपोर्ट जारी की है। सीवीसी ने 55 मामलों में सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी, लेकिन उक्त मामले में कार्रवाई नहीं हुई। ताज्जुब की बात ये है कि भ्रष्टाचार ( Corruption ) के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले पीएम मोदी ( PM Modi ) और सीएम केजरीवाल ( CM Kejriwal ) एक ही पैमाने पर खड़े नजर आते हैं। अंतर केवल इतना है कि केजरीवाल के अधीन कम एजेंसियां हैं तो उनके पास भ्रष्टाचार के मामले कम है, मोदी सरकार के देशभर की एजेंसियां हैं तो उनके पास भ्रष्टाचार के मामले भी अधिक हैं। दोनों की सोच में समानता बात भी सीवीसी की रिपोर्ट ( CVC report ) की वजह से ही सामने उभरकर आई है।
दरअसल, केंद्रीय सतर्कता आयोग ( CVC report 2021 on corruption ) की 2021 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी विभागों ने 55 मामलों में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को दंडित करने की सिफारिशों को नहीं माना। रेल मंत्रालय उन सरकारी विभागों की सूची में सबसे ऊपर है जिन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने संबंधी सीवीसी के सुझावों का पालन नहीं किया और अपने मन मुताबिक़ मामलों का निपटारा कर दिया। रेल मंत्रालय के 11 ऐसे मामले हैं जहां सिफारिशें नहीं मानी गई हैं।
भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों के खिलाफ नहीं की कार्रवाई
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट 2021 में कहा गया है कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक यानि सिडबी, बैंक ऑफ इंडिया और दिल्ली जल बोर्ड में ऐसे चार-चार मामले हैं। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने तीन मामलों में अपने कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। भ्रष्टाचारियों को दंडित करने के लिए आयोग की सिफारिश नहीं मानने के ऐसे दो-दो मामले इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और उत्तरी दिल्ली नगर निगम जो अब एकीकृत दिल्ली नगर निगम का हिस्सा है।
सिफारिशों न मानना सतर्कता प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने जैसा
सीवीसी ( CVC ) का कहना है कि केंद्रीय सतर्कता आयोग की सिफारिशों को नहीं मानना अथवा आयोग से विचार विमर्श नहीं करना केंद्र और राज्य दोनों स्तर पर सतर्कता की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है। सतर्कता प्रशासन की निष्पक्षता को कमजोर करता है। ऐसे ही एक मामले का ब्योरा देते हुए सीवीसी ने कहा कि विभिन्न क्षमताओं में काम करते हुए रेलवे के एक मुख्य कार्मिक अधिकारी -सीपीओ- ने अपनी आय के ज्ञात स्रोत से 138.65 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित की। उन्हें संपत्ति की खरीद और उनके या उनकी पत्नी द्वारा किए गए निवेश तथा परिवार के सदस्यों द्वारा लिए गए उपहारों के बारे में मौजूदा नियमों के अनुसार विभाग की अनुमति नहीं लेने या उसे सूचित नहीं करने का जिम्मेदार पाया गया।
सीवीसी ( CVC ) ने पहले चरण में 7 मार्च 2021 को तत्कालीन मुख्य कार्मिक अधिकारी के खिलाफ बड़ा जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू करने का सुझाव दिया। वहीं दूसरे चरण में उनके खिलाफ रेलवे सेवा, पेंशन नियम के तहत जुर्माना लगाने की सलाह दी थी। इसमें कहा गया कि अनुशासनात्मक प्राधिकार अर्थात रेलवे बोर्ड, मेंबर स्टाफ ने मामले को बंद करने का फैसला किया। इसी के साथ अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई। बीते वर्ष की रिपोर्ट में रेलवे में ऐसे 9 मामले पाए गए थे। रिपोर्ट में अन्य मामलों के भी ब्योरे पेश किए गए हैं।
SIDBI ने भी दोषी अधिकारियों को आरोपमुक्त कर दिया
सिडबी के एक मामले में भी नतीजा बड़े वित्तीय नुकसान के रूप में सामने आया था। वर्ष 2017 में बैंक के कोषागार और उसके प्रबंधन विभाग में काम करने वाले अधिकारियों ने आठ शाखाओं में दो परस्पर संबंधित निजी वित्तीय संस्थानों के साथ सावधि जमा, फिक्सड डिपॉजिटद् के रूप में 1,000 करोड़ रुपए रखें इस दौरान न कोई कोटेशन लिया, न संस्थानों के साथ ब्याज दरों की तुलना या बातचीत की और सिडबी के कोषागार ऑपरेशंस की एसओपी का उल्लंघन कियां। इस मामले में सीवीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पूरे मामले के संबंध में आयोग ने मामले से जुड़े दो अधिकारियों पर बड़ा जुर्माना लगाने की सलाह दी थी लेकिन अनुशासनात्मक प्राधिकरण ने आयोग की सलाह से इतर जाकर दोनों अधिकारियों को आरोपमुक्त कर दिया
DJB अधिकारियों के खिलाफ भी नहीं हुई कार्रवाई
यहां पर यह बता देना जरूरी है कि दिल्ली जल बोर्ड ( DJB ) विशुद्ध रूप से दिल्ली सरकार यानि केजरीवाल के अधीन है। दिल्ली जल बोर्ड में भी भ्रष्टाचार के चार मामले सामने आये थे, लेकिन केजरीवाल सरकार ( Kejriwal Government ) ने कोई कार्रवाई नहीं की। दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा और कांग्रेस का विरोध प्रदर्शन भी समय-समय पर होता रहा है। दिल्ली जल बोर्ड हजारों करोड़ घाटे में है। इसके बावजूद केजरीवाल सरकार ने सीवीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कार्रवाई नहीं की।