EPFO News : CPI नेता बिनॉय विश्वम ने वित्त मंत्री को लिखा खत, कहा - PF पर ब्याज दरों में कटौती गैर जिम्मेदाराना फैसला, कटौती वापस ले सरकार
नई दिल्ली। यूपी सहित पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के तत्काल बाद केंद्र सरकार द्वारा ईपीएफ ब्याज दरों में कटौती ( EPF interest rate ) की सख्त आलोचना जारी है। इस बीच भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता बिनॉय विश्वम ( Binoy Viswam ) ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ( Nirmala Sitharaman ) को पत्र लिखकर ईपीएफ ( EPF ) पर ब्याज दरों में कटौती का खुलकर विरोध किया है। उन्होंने अपने पत्र के जरिए वित्त मंत्री से कटौती को वापस लेने की मांग की है। भारतीय ट्रेड यूनियनों ने भी केंद्र के इस फैसले की तीखी आलोचना की है।
सरकार को नहीं है मेहनत करने वालों की चिंता
सीपीआई नेता बिनॉय विश्वम ने अपने पत्र में इस फैसले को गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए कहा है कि ईपीएफओ द्वारा ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत से घटाकर 8.1% करने का निर्णय न केवल गैर-जिम्मेदारारा है बल्कि् देश में मेहनत करने वाले लोगों कि सरकार को कितनी चिंता है इसको भी दर्शाता है। चुनाव जीतने के बाद सत्तारूढ़ भाजपा ने एक बार फिर अपने असली रंग दिखा दिया है।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ( EPFO ) ने 2021-22 के लिए भविष्य निधि (PF) जमा पर ब्याज दर घटाकर 8.1 फीसदी करने का शनिवार को फैसला किया था। यह बीते चार दशक से भी अधिक समय में सबसे कम ब्याज दर है। वित्त वर्ष 2020-21 में यह दर 8.5 फीसदी दी। इससे पहले ईपीएफ पर ब्याज दर सबसे कम 8 फीसदी 1977-78 में थी। बिनॉय विश्वम ( Binoy Viswam ) ने आपने पत्र में लिखा है कि केंद्र सरकार को इस निर्णय पर फिर से विचार करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने सरकार से 8.5 प्रतिशत की वर्तमान ब्याज दर को बनाए रखने की भी अपील की है। उन्होंने कहा कि पीएफ में ब्याज दरों पर बढ़ोतरी की जरूरत न कि कटौती की।
बता दें कि 11 और 12 मार्च 2012 को गुवाहाटी में हुई बोर्ड की मीटिंग में ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड के सभी कर्मचारियों ने इसका विरोध किया है। इसके बावजूद बोर्ड ने प्रस्ताव के आधार पर ब्याज दर कम करने का फैसला किया है। पिछले 40 सालों में ये सबसे कम ब्याज दर है। इससे पहले साल 1977-78 में ईपीएफ पर सबसे कम 8 फीसदी ब्याज दर था। सरकार के इस कदम से पीएफ खातों पर ब्याज ले रहे ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स को अब कम ब्याज मिलेगा। कोरोना महामारी और यूक्रेन-रूस युद्ध के बीच केंद्र का यह फैसला वित्तीय संकट की मार झेल ने मेहनतकशों की परेशानी को और बढ़ाने वाला साबित होगा।
वित्त वर्ष 2015-16 में EPF पर ब्याज दर 8.80 फीसदी थी। इसके बाद 2019-20 में घटते हुए ये 8.50 फीसदी हुई। 2021-22 में इसे 8.1 फीसदी कर दिया गया है। यह पिछले कुछ चार दशकों में सबसे ब्याज दर है। आम आदमी के लिए निवेश के मौके लगातार कम हो रहे हैं। दूसरी तरफ बैंकों ने भी फिक्स्ड डिपॉजिट की दरें बहुत कम कर दी हैं। शेयर बाजार में अनिश्चितता के कारण निवेश मुश्किल है। सोना खरीदना भी सबके बस की बात नहीं है। अब ईपीएफ पर भी ब्याज कम कर दिया गया है।