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गुजरात में शहीद के मां-बाप ने लौटाया शौर्य चक्र, कहा कुरियर से भेजकर बेटे की शहादत का सरकार ने किया अपमान

Janjwar Desk
8 Sep 2022 2:12 PM GMT
गुजरात में शहीद के मां-बाप ने लौटाया शौर्य चक्र, कहा कुरियर से भेजकर बेटे की शहादत का सरकार ने किया अपमान
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गुजरात में शहीद के मां-बाप ने लौटाया शौर्य चक्र, कहा कुरियर से भेजकर बेटे की शहादत का सरकार ने किया अपमान (photo : twitter)

Martyr Gopal Singh Bhadoriya : शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के परिजनों का कहना है कि उनके बेटे ने देश के लिए अपने जान न्यौछावर की है और सरकार ने उसकी शहादत का ये सिला दिया है जो हमें बिलकुल भी मंजूर नहीं है.....

Martyr Gopal Singh Bhadoriya : मरणोपरांत किसी को शौर्य चक्र से सम्मानित किया जाना फक्र की बात है। अपनी औलाद का खोने का गम भी शायद उस वक्त मां-बाप भूल जायेंगे, उन्हें लगेगा शौर्य चक्र के रूप में वह अपने बेटे को ही सीने से लगा रहे हैं। मगर यही सम्मान जब एक शहीद के मां-बाप वापस कर दें तो उन हालातों को सिर्फ समझा जा सकता है, क्योंकि कलेजे के टुकड़े को खोने के बाद शायद उनके लिए उसके सम्मान के बजाय शौर्य चक्र अपमान लगा, वो भी सरकार की संवेदनहीनता के कारण। जिस शौर्य चक्र को मां-बाप को सम्मानित कर दिया जाना चाहिए था, उसे कुरियर से भेजकर जब सरकार ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली तो गुस्साये मां-बाप ने सम्मान लौटा दिया।

यह खबर गुजरात के अहमदाबाद की है, जहां के एक पिता ने बहुत गर्व से अपने बेटे को देश की रक्षा करने भेजा था। उनका बेटा देश की रक्षा करते करते शहीद हो गया। अहमदाबाद शहर के रहने वाले शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के मरणोपरांत के बाद भारत सरकार ने उन्हें उनकी वीरता से नवाजते हुए शौर्य चक्र देने का फैसला लिया, मगर मां-बाप को सम्मान के साथ देने के बजाय कुरियर के माध्यम से भेज दिया गया।

बेटे की शहादत का इस तरह अपमान देखकर मां-बाप का दिल छलनी हो गया। बेटे की शहादत कुरियर से भेजे जाने के बाद क्या कोई वीर जवान भारत माता की रक्षा के लिए अपना प्राण न्यौछावर करना चाहेगा, क्या कोई पिता अपने जिगर के टुकड़े को खुद से अलग करना चाहेगा। आज पूरे देश के लिए यह बहुत बड़ा सवाल बन गया है, न जाने आज कितने माता-पिता का विश्वास डगमगा गया होगा।

सरकार का यह व्यवहार शहीद के परिजनों को दुखी कर गया, जिसके बाद उन्होंने शौर्य चक्र को वापस लौटाते हुए भारत सरकार से कहा कि शहादत के सम्मान को कुरियर से भेजकर आपने हमारे शहीद बेटे का अपमान किया है, इसलिए हम इसे वापस लौटा रहे हैं।

मीडिया में आई खबरों के अनुसार शहीद लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया के परिजन अब राष्ट्रपति भवन जाएंगे और पूरे देश के सामने राष्ट्रपति के द्वारा उनके बेटे को सम्मानित करने की मांग करेंगे। परिजनों का कहना है कि उनके बेटे ने देश के लिए अपने जान न्यौछावर की है और सरकार ने उसकी शहादत का ये सिला दिया है जो हमें बिलकुल भी मंजूर नहीं है।

पिता दुखी होकर कहते हैं, हमने अपना जबान बेटा खोया है, फिर भी मुझे इस बात का बिलकुल दुख नहीं है क्योंकि हम हिंदुस्तानी हैं हम अपने देश के लिए हंसते-हंसते जान दे देंगे, लेकिन हमें सरकार से यह उम्मीद कतई नहीं थी कि शौर्य चक्र से सम्मानित हमारे बच्चे का अपमान करेगी। क्या शौर्य चक्र कोई गुप्त रखने की चीज है, जो आप इसे चुपचाप दे रहे हैं।

शहीद गोपाल सिंह भदौरिया के पिता मुकीम सिंह भदौरिया कहते हैं, मेरे बेटे ने देश के लिए अपना प्राण न्यौछावर किये हैं, इसलिए उसे देश के सामने ही सम्मान मिलना चाहिए। बता दें कि गोपाल सिंह को मुंबई में 26/11 के आतंकी हमलों में उनकी बहादुरी के लिए 'विशिष्ट सेवा पदक' से भी सम्मानित किया गया था। साल 2017 में जम्मू कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों हमले के दौरान राष्ट्रीय राइफल्स के लांस में नायक गोपाल सिंह देश के लिए शहीद हो गए थे।

गौरतलब है कि शहीद की निजी जिंदगी भी काफी उथल पुथल भरी रही थी, जिस कारण उन्हें इतने समय बाद शौर्य चक्र मिला है। जानकारी के मुताबिक लांस नायक गोपाल सिंह की शादी 2007 में हुई थी, लेकिन पत्नी से मतभेद के कारण वो अलग अलग रहने लगे। आपस में मन नहीं मिलने के कारण दोनों में दूरियां बढ़ती गयीं, जिसके बाद उन दोनों ने तलाक लेने का फैसला किया था। कोर्ट में डाइवोर्स फाइल कर दिया गया, किंतु दोनों के व्यस्त रहने के कारण साल 2013 में शादी तोड़ने की याचिका भी खारिज कर दी गयी थी।

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि जवान के माता पिता और उसकी पत्नी के बीच कई वर्षों तक कोई संपर्क नहीं था, वहीं भदौरिया ने पत्नी को किसी भी सेवा लाभ के अनुदान पर आपत्ति जताई थी और शहर की एक सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हालांकि जब 2017 में गोपाल सिंह शहीद हो गए तो 2018 में उन्हें शौर्य चक्र के लिए चुना गया। गोपाल सिंह के मरने के बाद उनके माता-पिता और पत्नी के बीच सुलह कराने की कोशिश की गई, लेकिन वह 2020 तक भी नहीं सुलझ पाया। काफी कोशिश के बाद साल 2021 में शहीद की पत्नी और माता.पिता के बीच कोर्ट के जरिए एक समझौता करवाया गया, जिसके बाद अदालत ने आदेश दिया कि शहीद गोपाल सिंह को मरणोपरांत वीरता पुरस्कार और माता पिता को पुरस्कार से जुड़े सभी लाभ प्रदान किए जाएं।

साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि शहीद गोपाल सिंह की पेंशन, केंद्र या राज्य सरकार या सेना से प्राप्त होने वाली किसी प्रकार की सहायता को दोनों पक्षों को बराबर हिस्सों में बांटा जायेगा।

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