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रक्षा पर सांसदों की समिति ने जताई गंभीर चिंता, मोदी सरकार को चेताते हुए कहा - इस मामले में भूल से भी न हो कटौती

Janjwar Desk
17 March 2022 11:54 AM GMT
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जुआल ओराम की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कुछ पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव को लेकर मोदी सरकार को आगाह किया है। देश की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मौजूदा परिदृश्य में सशस्त्र बलों को पर्याप्त बजटीय आवंटन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

नई दिल्ली। रक्षा संबंधी संसदीय समिति ( Parliamentary Committee of MPs on Defense ) ने देश की सुरक्षा ( Indian security ) को लेकर अपनी रिपोर्ट लोकसभा में पेश की। बीजेपी सांसद जुआल ओराम की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कुछ पड़ोसी देशों के साथ बढ़ते तनाव को लेकर मोदी सरकार ( Modi Government ) को आगाह किया है। देश की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मौजूदा परिदृश्य में सशस्त्र बलों को पर्याप्त बजटीय ( Defence Budget ) आवंटन उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

किसी भी स्तर पर न हो कोताही

इस समिति में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार सहित 30 सांसद शामिल हैं। रक्षा पर संसदीय समिति ने पूंजीगत परिव्यय और बजटीय आवंटन के लिए तीनों रक्षा सेवाओं की मांग के बीच के अंतर का जिक्र करते हुए सरकार से सिफारिश की है कि रक्षा मंत्रालय को आने वाले सालों में राशि में कोई कमी नहीं करनी चाहिए। ऐसा करना देश की सुरक्षा से खिलवाड़ साबित हो सकता है।

कमेटी ने कहा है कि 2022-23 के लिए पूंजीगत मद में 2,15,995 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। आवंटन केवल 1,52,369.61 करोड़ रुपये का किया गया। इसके साथ ही छावनी क्षेत्रों में निवासियों के कल्याण और देश में छावनी बोर्डो में लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखने के मकसद से समिति ने नए छावनी विधेयक को अविलंब अंतिम रूप देने और इसे यथाशीघ्र संसद में प्रस्तुत करने की भी सिफारिश की है।

नये सिरे से हो छावनी क्षेत्रों में परिसीमन

रक्षा समिति के 26वें प्रतिवेदन में कहा गया है कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के प्रावधानों के मुताबिक छावनी क्षेत्रों के परिसीमन, स्थानीय स्वशासन, छावनी प्राधिकारियों के गठन और शक्तियों एवं किराए के नियंत्रण सहित आवास के विनियमन करने के लिए संसद सक्षम है।

संविधान के 74वें संशोधन के मुताबिक छावनी अधिनियम 1924 के अंतर्गत छावनियों के प्रशासन और छावनी बोर्डों की भूमिका पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत महसूस है। इसका मकसद छावनियों के प्रशासन से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करना, वित्तीय व्यवस्था में सुधार तथा विकास से संबंधित कार्यो एवं अन्य संबंधित मामलों में प्रावधान करना है।

छावनियों से संबंधित नए विधेयक की मुख्य विशेषताओं में अन्य बातों के साथ साथ छावनी बोर्ड में निर्वाचित सदस्यों की संख्या में वृद्धि करना, छावनी ढांचे का अधिक लोकतंत्रीकरण और आधुनिकीकरण, निर्वाचित प्रतिनिधियों को अधिक वित्तीय शक्ति प्रदान करना शामिल है। प्रस्तावित विधेयक में नये एवं आधुनिक नगरपालिका अधिनियम को लागू करना तथा नागरिकों के लिए सुविधाजनक जीवन पर विचार करना भी शामिल है।

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