यूपी : RTI के तहत मांगी गई जानकारी ना देने पर 17 हजार अफसरों पर हुई अर्थदंड की कार्रवाई
RTI का जवाब ना देने पर कार्रवाई (photo - business standard)
जनज्वार, लखनऊ। यूपी में कानपुर सहित आसपास के जिलों में सूचना का अधिकार (RTI) के तहत मांगी गई जानकारी ना देने वाले 17 हजार अफसरों पर अर्थदंड की कार्रवाई की गई है। इस कार्रवाई में भी आंखों में धूल झोंकी जा रही है, क्योंकि आदेश के बाद अभी तक महज 800 अधिकारियों से ही वसूली की जा सकी है।
गौरतलब है कि, 2006 से अब तक लंबित पड़ी RTI का जवाब ना देने के बाद यह कार्रवाई की गई है। राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने इसे प्रशासनिक सिस्टम की खामी बताया है। साथ ही आयुक्त ने आरटीआई के तहत निजी हितों की बजाय लोकहित के सवाल पूछने पर जोर दिया है।
नगर निगम में RTI के तहत लंबित मामलों की सुनवाई के तीसरे दिन राज्य सूचना आयुक्त ने पत्रकारों को बताया कि, सूचना साक्ष्य हैं, इन्हें न्यायालय सहित कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है। आरटीआई के जवाब में यह नहीं लिखा जाना चाहिए की सूचना का इस्तेमाल न्यायालय में साक्ष्य के तौर पर नहीं कर सकते।
सूचना आयुक्त ने बताया कि, लखनऊ में सुनवाई के दौरान वादी आते थे। लेकिन प्रतिवादी कम आते थे अथवा उनके वकील स्पष्ट सूचना नहीं दे पाते थे। सुनवाई के दौरान वादी और प्रतिवादी उपस्थित रहें, इसी उद्देश्य से नगर निगम में विभाग से संबंधित आरटीआई मामलों की सुनवाई की गई।
मलाईदार विभागों में ज्यादा करप्शन
राज्य सूचना आयुक्त के मुताबिक जिन विभागों को मलाईदार डिपार्टमेंट कहा जाता है, सबसे अधिक अपारदर्शिता वहीं है। उनका मानना है कि उन्ही डिपार्टमेंट्स में सबसे ज्यादा करप्शन रहता होगा।