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Bihar News: बिहार में बारिश नहीं होने से मछुआरा समाज परेशान, राज्य में उत्पादन कम होने से हो सकती है मछली की भारी कमी

Janjwar Desk
14 Aug 2022 9:51 PM IST
Bihar News: बिहार में बारिश नहीं होने से मछुआरा समाज परेशान, राज्य में उत्पादन कम होने से हो सकती है मछली की भारी कमी
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Bihar News: बिहार में अभी अकाल जैसी स्थिति बनी हुई है। यहां किसान के साथ-साथ गर्मी मछुआरा समाज के लोगों के लिए भी यह त्रासदी आफत लेकर आई है। आपको बता दें इस समय पूरा उत्तर बिहार बाढ़ और बारिश के पानी में डूबा होता था।

राहुल तिवारी की रिपोर्ट

'इस बार बारिश नहीं हो रही है तो नदी और नाले सूख चुके हैं। आखिर ऐसे हालातों में हम लोग कैसे मछली का व्यापार करें। बाजार से मछली खरीद कर बेचने के लिए कर्ज लेना पड़ता है, मगर हम लोग डेली कमाकर खाने वाले लोग हैं। हमको तो कोई कर्ज भी नहीं देता है। हम लोगों का तो जीवन जीना मुश्किल हो गया है। दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए जान पर बन आयी है।'

यह कहना है शिवहर जनपद के शिवहर सदर ब्लॉक में पड़ने वाले बिसाही गांव में रहने वाले गरीब गछुवारे सुनर सहनी का।


बरसात के सीजन में हर साल बाढ़ में जलमग्न रहने वाला बिहार इस बार सूखे की मार झेल रहा है। इससे जहां किसानों की रोजी रोटी मुश्किल में पड़ चुकी है, वहीं मछली बेचकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने वाला मछुआरा समाज भी बहुत बुरे हाल में है। यानी किसान के साथ-साथ सूखे जैसे हालात मछुआरा समाज के लिए भी यह त्रासदी और आफत लेकर आये हैं।

सूखे से हाहाकार करते बिहार में खेतों में दरारें पड़ चुकी हैं, तो नदियों का पानी भी बहुत कम हो गया है जिससे मछलियों का उत्पादन भी नहीं हो पा रहा। मछलियां कम होने से सीधा असर मछुआरा समाज पर पड़ रहा है, जिससे ये लोग बहुत परेशान हैं। मछली की पैदावार इतनी कम हो गयी है कि मछली सेवन करने वाले लोगों को बाजार में जिंदा मछली बमुश्किल मिल पा रही है। कहा जा रहा है कि अगर यही हालात रहे तो बिहार में मछली की भारी कमी हो सकती है। अभी भी मांग के अनुसार बाजार में मछलियां नहीं आ पा रहीं और जिंदा मछलियां तो न के बराबर।

गौरतलब है कि मछली की कमी से तब बिहार जूझ रहा है, जबकि श्रावण मास चला हुआ है और बड़ी तादाद में हिंदू समाज इस माह में मीट मांस का सेवन नहीं करता। लोग कहने लगे हैं यही हालात रहे तो दूसरे राज्यों से मछली का आयात करना पड़ सकता है।

सबसे ज्यादा असर छोटे मछुआरे पर

बिहार में सूखे जैसे हालातों का सबसे ज्यादा असर गरीब किसानों और छोटे मछुआरों पर पड़ रहा है। शिवहर जनपद के शिवहर सदर ब्लॉक के बिसाही गांव के मछुआरे सुनर सहनी कहते हैं, पहले हम बारिश के मौसम में छोटे नदी नालों में पानी होने से आसानी से मछली निकालकर बाजार ले जाकर बेचते थे, लेकिन इस बार बारिश नहीं हो रही है तो नदी और नाले सूख चुके हैं। आखिर ऐसे हालातों में हम लोग कैसे मछली का व्यापार करें। बाजार से मछली खरीद कर बेचने के लिए कर्ज लेना पड़ता है, मगर हम लोग डेली कमाकर खाने वाले लोग हैं। हमको तो कोई कर्ज भी नहीं देता है। हम लोगों का तो जीवन जीना मुश्किल हो गया है। दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करने के लिए जान पर बन आयी है।'


बिहार में सिर्फ आंध्र प्रदेश से आयातित बर्फ वाली मछली की बिक्री

बिहार के लगभग हर जिले में फिलहाल आंध्र प्रदेश वाली मछली उपलब्ध होने की वजह से थोड़ी राहत है। गौरतलब है कि कोई भी मछली जो बाजार में उपलब्ध होति है, उसमें जिंदा मछली को नदी और तालाब से निकाला जाता है, लेकिन अभी बिहार में अधिकतर आंध्र प्रदेश से आयातित मछली ही उपलब्ध है और इसका कारण है बारिश का न होना।

तालाब में पंपसेट से पानी पटाकर किया जा रहा है मछली पालन

बिहार में लोग बारिश की कमी की वजह से तालाब में पंपसेट से पानी पटाकर मछली पालन कर रहे हैं। यही हाल शिवहर के मछली पालकों का भी है। मछली पालन करने वाले लोग कहते हैं, अगर पंपसेट से पानी नहीं पटाया जाएगा तो मछली मर सकती है। हम मजबूरी में पंपसेट से पानी पटा रहे हैं, ताकि मछलियां जिंदा रह सकें। पानी कम होने से मछली में बीमारी होने की भी संभावना रहती है।

सरकार से अनुदान की आस

शिवहर के सदर ब्लॉक के बिसाही गांव के ही किसान रुदल सहनी कहते हैं, बिहार में बारिश नहीं होने से हम लोगों का काम धंधा चौपट हो चुका है। हम लोगों के पास अपने तालाब या नदियां नहीं हैं, जहां से मछली पालन कर सकते हैं। हम लोगों के पास दो वक्त की रोटी खाने के लिए तक रुपया नहीं है। ऐसे में हमारी सरकार से मांग है कि वह गरीब मछुआरों को अनुदान के रूप में कुछ रुपए दे ताकि उनसे अपने परिवार को का पेट पाल सकूं।'

सरकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ दलालों और बड़े किसान को

छोटे किसान रुदल सहनी की मानें तो, सरकारी योजना का लाभ तो बड़े किसान और दलाल तक ही खत्म जाता है। हम जैसे गरीब किसान को कौन पूछता है, जिनके पास जमीन भी नहीं है। वैसे भी सरकारी योजनाओं का लाभ जिस किसी को भी मिलता है वह दलाल के माध्यम से ही होता है। हम लोगों की पहुंच प्रशासनिक अधिकारियों तक भी नहीं है। हम लोग पढ़े लिखे भी नहीं हैं, इसलिए सरकारी योजनाओं को समझ नहीं पाते हैं। हम सरकार से अपील करते हैं कि इस आपदा की स्थिति में हमारी मदद करे, ताकि 2 वक्त की रोटी का जुगाड़ मुश्किल न हो।

बिहार में कम बारिश का मामला लोकसभा में भी उठा

बिहार के पाटलिपुत्र से सांसद रामकृपाल यादव ने भी बिहार में कम बारिश का मामला लोकसभा में उठाया था। उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि केंद्र सरकार एक टीम भेजकर जांच करवा कर बिहार को सूखा प्रदेश घोषित करे जलवायु परिवर्तन का दुष्परिणाम बिहार बिहार भुगत रहा है। 29 जुलाई तक बिहार में 484.4 मिली मीटर बारिश की तुलना में मात्र 287.4 मिली मीटर बारिश हुई है। इसके अनुसार 41 प्रतिशत बारिश कम हुई है। आंकड़ों की ही मानें तो बिहार के 90 प्रतिशत से अधिक किसान सूखे से प्रभावित हुए हैं।

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