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Bundelkhand Farmers Ground Report : कर्ज के चक्रव्यूह में फंसे बुंदेलखंड के किसान, कोई नहीं उनका दर्द समझने वाला
Bundelkhand Farmers Ground Report : जनकल्याण के सरकारी दावे अक्सर सरकार की फाइलों में ही दबकर रह जाते हैं। किसान हो मजदूर समाज के अंतिम छोड़ पर बैठे व्यक्ति के हाथ कुछ नहीं आता है। विडंबना ये होती है कि उनका दर्द सुननेवाला भी कोई नहीं होता है। कुछ ऐसी ही त्रासदी झेल रहे हैं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके के किसान। किसानों का कहना है कि एक तरह बारिश नहीं होने से फसल बचाने के लिए उन्हें महाजन से महंगी दरों ब्याज पर पैसे लेकर सिंचाई इंतजाम करना पड़ता है। महाजन मनमाने पैसे वसूलते हैं। उस अनुपात में उत्पादन भी नहीं हो पाता है।
कई बार तो महंगी सिंचाई का इंतजाम करने के बावजूद फसलें खराब हो जाती हैं। ऐसे में किसान के हाथ कुछ नहीं लग पाता है। जो थोड़ा बहुत उत्पादन होता है उससे हुई आमदनी भी महाजन को देनी पड़ती है। इसका परिणाम यह होता है कि जो किसान पहले से दर्द में था, वह दर्द में ही रह जाता है।
जनज्वार से बातचीत में बुंदेखंड के भेदरवारा गांव के किसानों ने बताया है कि एक को बारिश नहीं होने के करण वे प्रकृति की मार झेल रहे हैं तो दूसरी ओर उन्हें प्रशासनिक उदासीनता का खामियाजा भी भुगतना पड़ता हैं। फसल खराब होने के बाद भी प्रशासनिक स्तर से किसानों को राहत देने के लिए कोई पहल नहीं की जाती है।
सरकार की घोषणाएं केवल घोषणाएं भर ही है। उसका किसी को कोई फायदा नहीं मिलता हैं। किसान सम्मान योजना, फसल बीमा योजना और किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सरकारी योजनाओं के बारे में केवल बातें ही होती है, उसका लाभ बमुश्किल एक-दो किसानों को ही मिल पाता है। बड़ी संख्या में किसानों के हिस्से आती है तो सिर्फ और सिर्फ बदहाली झेलने की मजबूरी।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है।
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