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जन्मजात नेत्रहीन दंपती को 20 सालों के इंतजार के बाद भी नहीं मिला आवास, 40 किमी दूर DM के पास पहुंचने पर भी लौटा निराश
जन्मजात नेत्रहीन दंपती को 20 सालों के इंतजार के बाद भी नहीं मिला आवास, 40 किमी दूर DM के पास पहुंचने पर भी लौटा निराश
लईक अहमद की रिपोर्ट
Fatehpur news : उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में सरकारी योजनाओं के माध्यम से गरीब और असहाय लोगों की मदद के दावे की पोल खुल जाती है। विभागीय अधिकारियों के रिपोर्ट के अनुसार दावा किया जा रहा है कि हर जरूरतमंद को हर तरह से मदद मिली है, मगर लेकिन विभागीय अधिकारियों के रिपोर्ट में कितनी सच्चाई है इसकी पोल उस वक्त खुल गई जब दोनों आंखों से नेत्रहीन दंपती शनिवार 28 जनवरी को को कलेक्ट्रेट जिलाधिकारी से मिलने प्रार्थनापत्र लेकर पहुंचा।
जिलाधिकारी समाधान दिवस में शामिल होने के लिए 40 किलोमीटर दूर से आया परिवार अपनी गुहार जिलाधिकारी से भी नहीं लगा पाया, एक बार वह फिर निराश हैं। नेत्रहीन दंपती ने बताया कि वह भूमिहीन है, भीख मांगकर परिवार का गुजर बसर करता है, लेकिन उसे आवास योजना का लाभ नहीं दिया गया।
विकास खंड हथगाम क्षेत्र के अमिलिहापाल का पुरवा रामपुर निवासी 45 वर्षीय अनीता देवी और उनके 50 वर्षीय पति रमेश कुमार दोनों जन्मजात अंधे हैं। इन्होंने दुनिया नहीं देखी, लेकिन हालातों से जरूर रूबरू हो रहे हैं। इसके बावजूद आज तक इनको प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका। दंपती परिवार अपने आवास में जर्जर छत के नीचे गुजर बसर कर रहा है, जिसकी छत किसी भी दिन ढह सकती है। छत से कच्ची मिट्टी टपक रही है, जो रहने लायक नहीं है, बल्कि यूं कहें की दुर्घटना को दावत देती दिखायी देती है।
दंपती का आरोप है कि वह अपनी गुहार लगाने के लिए गांव के पूर्व प्रधान और वर्तमान प्रधान के पास कई बार गए हैं, मगर कोई उनकी नहीं सुनता। थक हारकर नेत्रहीन अनीता और रमेश 40 किलोमीटर की यात्रा कर जिलाधिकारी के दरबार में पहुंचे, लेकिन यहां भी उनकी बात सुनने के लिए जिलाधिकारी नहीं थे। निराश होकर अन्य जिम्मेदार अधिकारी को प्रार्थनापत्र देकर लौट गए।
इस बारे में बात करने पर एसडीएम सदर कहते हैं कि इस तरह के मामले की जानकारी उन्हें नहीं है वह किसी और अधिकारी से मिले होंगे।
नेत्रहीन दंपती का आरोप है कि उनका अन्त्योदय राशन कार्ड बना हुआ है, मगर कोटेदार से पूरा राशन नहीं मिलता है। हालांकि निर्धारित राशन से कम दिए जाने पर सिस्टम और व्यवस्था को यह परिवार कोसता है, मगर उन्हें कोटेदार से कोई शिकवा नहीं है।
नेत्रहीन अनीता का आरोप है कि 2010 की आवास पात्रता सूची में उसका नाम शामिल था। वह लगातार प्रधान की चौखट में आवास के लिए चक्कर काटती आयी है। करीब साल भर पहले आवास के लिए सर्वे भी हुआ, लेकिन आवास नहीं मिल सका। आवास देने की एवज में बीस हजार मांगे गए, जो यह परिवार देने में असमर्थ है।
रमेश के परिवार में नेत्रहीन पत्नी के अलावा तीन बच्चे भी हैं, जो इस दंपती के बुढापे का सहारा हैं। रमेश कहता है, हमारे दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ता है, इस भ्रष्ट व्यवस्था के लिए हम कहां से पैसा लायें। हमें उम्मीद थी कि जिलाधिकारी श्रुति हमारी आवाज सुनेंगी, आवास की अपील पर गौर करेंगी, मगर किस्मत देखिये उनसे भी नहीं मिल पाये।